पिछले तीन वर्षों में हिमाचल प्रदेश में क्रिप्टो स्कैम्स से भारी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह (सुक्खू) के अनुसार, इन स्कैम्स में लगभग 2,000 करोड़ रुपये (लगभग 238 मिलियन डॉलर) की राशि चुराई है। लगभग एक लाख लोगों को इस स्कैम से गंभीर नुकसान हुआ है। सबसे बड़ा स्कैम 1,740 करोड़ रुपये का Bitcoin Scam था। हालांकि 89 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 20 FIR दर्ज की गई है। लेकिन ज़्यादातर चुराई गई राशि अभी भी नहीं मिल पाई है। सिर्फ 11.36 लाख रुपये छह पीड़ितों को वापस किए गए हैं। इस बड़े स्कैम का मास्टरमाइंड, दुर्भाग्यवश सुभाष शर्मा अभी भी फरार है और माना जा रहा है कि वह देश के बाहर छिपा हुआ है।
साइबर क्राइम्स की बढ़ती संख्या के कारण, हिमाचल प्रदेश पुलिस ने 9 जिलों में नए इंटीग्रेटेड साइबर एक्सटेंडेड (ICE) यूनिट्स की योजना बनाई है, जहां वर्तमान में विशेष साइबर पुलिस स्टेशन नहीं हैं। फिलहाल, केवल तीन जिलों में जिसमें मंडी, कांगड़ा और शिमला के पास साइबर सेल्स हैं, जो बढ़ती शिकायतों से दबे हुए हैं।
दरअसल, 2019 से रोज़ाना साइबर क्राइम्स की रिपोर्ट्स 11 से बढ़कर 2024 में 44 हो गई हैं। इसके अलावा, एक Centralized Helpline पर रोजाना लगभग 248 कॉल्स आ रही हैं, जिनमें से अधिकांश Financial Frauds से संबंधित हैं। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश के High Court ने यह निर्णय लिया कि यदि पीड़ित केवल खोई हुई राशि की रिकवरी के प्रयास में हैं तो एफआईआर दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पुलिस के लिए इतने मामलों का प्रबंधन करना बहुत कठिन हो रहा है।
हिमाचल प्रदेश में क्रिप्टोकरेंसी स्कैम्स ने बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है। इसमें पीड़ितों के आँकड़े लगभग 2,000 करोड़ रुपये से एक लाख के करीब है। इसमें लोगों को अरेस्ट भी किया गया हैं और साइबर क्राइम के खिलाफ प्रतिक्रिया प्रयासों को बढ़ाने का काम जारी है, राज्य अब अपने साइबर क्राइम संसाधनों को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है ताकि भविष्य में ऐसे धोखाधड़ी से नागरिकों की बेहतर सुरक्षा की जा सके।
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