डिजिटल सेवाएं प्रदान करने के लिए भारत सरकार लेगी AI की मदद
भारत में 22 प्रमुख भाषाएँ और 1,000 से भी ज्यादा बोलियाँ बोली जाती है। यहाँ के अधिकतर नागरिक ग्रामीण क्षेत्रों में रहते है, जो इन बोलियों और भाषाओँ का ही उपयोग करते है, इसमें से अधिकतर लोग इंग्लिश भाषा का ज्ञान भी नहीं रखते है जिसके चलते यह लोग कई उपयोगी जानकारी और कई आर्थिक अवसरों से वंचित रह जाते हैं। इसके साथ ही इन्हें सरकार की कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पता है क्योंकि आज का समय टेक्नोलॉजी का है जहाँ हर सुविधा मोबाइल एप या वेबसाइट पर उपलब्ध है, यह सभी एप या वेबसाइट इंग्लिश में चलती है। जिसे भारत के अधिकतर ग्रामीण, इंग्लिश भाषा का ज्ञान न होने की वजह से इसका लाभ नहीं ले पाते है।
इस ही समस्या को हल करने के लिए अब भारत सरकार भारत की स्थानीय भाषा या बोली में एप या वेबसाइट चलाने के लिए AI की मदद ले रही है। भारत सरकार का लक्ष्य डिजिटल रूप से अधिक सेवाएं प्रदान करना है इसी के चलते भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY), मिशन Bhashini नामक एक अनूठी पहल चला रही है। Bhashini की मदद से भारत सरकार एक AI बेस्ड लैंग्वेज डेटासेट बना रही है, ताकि भारतीय भाषाओँ में AI टूल्स बनाएं जा सके। जहाँ हजारों भारतीय Bhashini में अपना योगदान दे रहे है।
Bhashini की मदद से ट्यूबरक्लोसिस के लिए देश का पहला AI-आधारित चैटबॉट बनाने के लिए ही हाल में भारतीय राज्य कर्नाटक के नागरिकों ने अपनी मूल कन्नड़ भाषा के दर्जनों शब्दों को रिकॉर्ड किया है। कन्नड़ भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है, जिसे 40 मिलियन से अधिक नागरिक बोलते हैं। यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में 10,000 से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली 121 से अधिक भाषाओं में से एक है।
इसके अलावा सरकार एक ऑटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन और स्पीच-टू-स्पीच ट्रांसलेशन AI टूल बनाने के लिए प्रोजेक्ट Vaani की भी शुरुआत की है जिसकी फंडिंग Google कर रहा है, इसमें अलग-अलग भाषाओँ में लगभग 1 मिलियन भारतीयों का डेटा इकठ्ठा किया जा रहा है। वहीं सरकार समर्थित AI4Bharat centre ने एक AI-आधारित चैटबॉट Jugalbandi लॉन्च किया है, जो कई भारतीय भाषाओं में कल्याणकारी योजनाओं पर सवालों के जवाब दे सकता है। इसे व्हाट्सएप पर भी एक्सेस किया जा सकता है, जिसका उपयोग भारत में लगभग 500 मिलियन लोग कर रहे हैं।
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