Chainalysis का डेटा कई आशाजनक पहलुओं को उजागर करता है, जिसमें बताया गया है कि LMI श्रेणी के देशों में आमतौर पर विकासशील उद्योग और जनसंख्या होती है। दुनिया की आबादी का 40% से अधिक हिस्सा इसमें शामिल है। डेटा से यह भी पता चलता है कि लंबे समय तक मंदी के बाजार के बावजूद हाई इनकम वाले देशों में संगठनों द्वारा संचालित इंस्टीटूशनल एडॉप्शन की गति बढ़ रही है। रिपोर्ट में क्रिप्टोकरंसी के अडॉप्शन की संभावित भविष्यवाणी भी की गई है, जहां क्रिप्टो एसेट, हाई वेल्थ और विकासशील दोनों देशों के यूजर्स की जरूरतों को पूरा कर सकती हैं।
Chainalysis इंडेक्स के अनुसार, भारत इस क्षेत्र में सबसे बड़ा क्रिप्टोकरंसी मार्केट बना हुआ है और जमीनी स्तर पर इसे अपनाने में सबसे आगे है। यह अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से आगे है। ग्लोबल लेवल पर अनुमानित ट्रांज़ैक्शन वॉल्यूम के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा क्रिप्टो मार्केट बन गया है। Chainalysis ने क्रिप्टोकरंसी ट्रांज़ैक्शन पर लागू भारत की अनूठी टैक्स कटौती पर भी ध्यान दिया है, जिसमें सभी ट्रांज़ैक्शन के लिए 1% टैक्स लगाया जाता है।
इसके साथ ही हाल में भारत ने ग्लोबल क्रिप्टो फ्रेमवर्क को लागु करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत एक सफल G20 समिट का आयोजन करके अपने आपको एक बार फिर साबित कर चुका हैं। अपनी G20 अध्यक्षता के दौरान भारत ने सभी G20 देशो को एकजुट कर क्रिप्टो के रेगुलेशन के लिए एक आम सहमती के लिए तैयार कर लिया है। जहाँ सभी देशों ने तय किया कि क्रिप्टो फ्रेमवर्क 2027 से G20 देशों के बीच सूचना के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा। इसके चलते भारत को कुछ बड़ी जिम्मेदारियां भी मिल सकती है। इन जिम्मेदरियों में क्रिप्टोकरंसी रेगुलेशन की एक बड़ी जिम्मेदारी भी भारत के हिस्से में आ सकती हैं।
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