हाल ही में सोशल मीडिया और विशेष रूप से X (पूर्व में Twitter) पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि भारतीय सरकार Pi Coin को अपनी ऑफिशियल क्रिप्टोकरेंसी के रूप में स्वीकार कर रही है। यह खबर तब और ज्यादा फैल गई, जब कुछ वायरल ट्वीट्स में इस खबर के समर्थन में एक आर्टिकल का लिंक शेयर किया गया। आर्टिकल को भारत सरकार की वेबसाइट से जोड़ा गया था, जिससे यह संदेश मिला कि सरकार Pi Coin को मान्यता दे रही है। ऐसे में क्रिप्टो कम्युनिटी के बीच यह सवाल उठने लगा कि क्या यह सच है और क्या भारत सरकार ने वास्तव में Pi Coin के लिए अपना समर्थन जाहिर किया है? इस आर्टिकल में हम इस वायरल खबर की सच्चाई का पता लगाएंगे और जानेंगे कि भारत सरकार का Pi Coin या Pi Network से क्या संबंध है।
वायरल हो रही खबर में जो आर्टिकल लिंक किया जा रहा है, वह दरअसल भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया था। आयुष मंत्रालय भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण विभाग है, जो पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का प्रचार-प्रसार और अनुसंधान करता है। इस आर्टिकल में Pi Coin के बारे में चर्चा की गई थी, साथ ही इसके भविष्य में मूल्य वृद्धि की संभावना पर विचार किया गया था। हालांकि, यह लेख सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रकाशित नहीं था, बल्कि यह एक यूजर-जनरेटेड कंटेंट (UGC) पोर्टल के माध्यम से पोस्ट किया गया था।
यह पोर्टल सरकारी वेबसाइट से जुड़ा है, लेकिन यह पूरी तरह से अलग एक लिंक-बिल्डिंग प्लेटफॉर्म है। इसका उद्देश्य वेबसाइट की ट्रैफिक बढ़ाने और SEO (Search Engine Optimization) के लिए आर्टिकल्स प्रकाशित करना होता है। यह एक प्रकार का अप्रूव्ड यूजर कंटेंट पोर्टल है, जो गेस्ट राइटर्स को अपना कंटेंट पोस्ट करने का अवसर देता है। यहीं पर Pi Coin के बारे में लेख प्रकाशित किया गया था।
आर्टिकल के आधार पर यह दावा किया जा रहा है कि भारत सरकार Pi Coin का समर्थन कर रही है, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। यह आर्टिकल सरकार द्वारा प्रकाशित नहीं किया गया है और न ही यह आयुष मंत्रालय का आधिकारिक दृष्टिकोण है। मंत्रालय का इस लेख से कोई संबंध नहीं है और न है सरकार Pi Network या Pi Coin को सपोर्ट कर रही है।
इस तरह के आर्टिकल्स का उद्देश्य केवल लिंक-बिल्डिंग करना होता है, जिससे वेबसाइट की रैंकिंग बढ़ सके। इस लेख को आयुष मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित करने का मुख्य कारण यह था कि लोगों का विश्वास इस पर ज्यादा होगा, क्योंकि यह एक सरकारी वेबसाइट है। हालांकि, सरकार के किसी भी विभाग ने Pi Coin या किसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी को समर्थन देने का कोई बयान जारी नहीं किया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे कंटेंट तेजी से फैलते हैं, क्योंकि लोग बिना सही जानकारी के इनपर विश्वास कर लेते हैं। इन वायरल ट्वीट्स में जो दावा किया जा रहा है, वह पूरी तरह से मिसइन्फॉर्मेशन (misinformation) है। कई Pi Coin के प्रमोटर्स ने इस लेख को लेकर भ्रम फैलाने का काम किया है, ताकि क्रिप्टोकरेंसी का प्रचार किया जा सके। ये ट्वीट्स और आर्टिकल्स केवल प्रमोशनल टूल्स हैं, जो Pi Coin को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए हैं।
क्या करें यूजर्स?
सही स्रोत से जानकारी प्राप्त करें -किसी भी खबर या सूचना को विश्वास करने से पहले उसके स्रोत की जांच करें। अगर यह सरकार या किसी अधिकृत निकाय द्वारा प्रकाशित नहीं है, तो उसे संदेह की नजर से देखें।
सोशल मीडिया पर जानकारी की पुष्टि करें - सोशल मीडिया पर शेयर की जाने वाली जानकारी को हमेशा आधिकारिक स्रोतों से क्रॉस-चेक करें। इस मामले में, भारतीय सरकार या आयुष मंत्रालय की ओर से Pi Coin के समर्थन के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित प्रचार से सावधान रहें - क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में हमेशा बदलाव होते रहते हैं और कई बार प्रचार-प्रसार के लिए गलत जानकारी का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए, किसी भी क्रिप्टो प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी प्राप्त करने से पहले पूरी तरह से शोध करें।
Pi Coin के बारे में वायरल हो रही खबरें पूरी तरह से गलत हैं। भारतीय सरकार ने Pi Coin या किसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी को आधिकारिक रूप से समर्थन देने का कोई बयान नहीं दिया है। वायरल ट्वीट्स में जो आर्टिकल लिंक किया जा रहा है, वह आयुष मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित एक यूजर-जनरेटेड कंटेंट है, जिसका सरकार से कोई संबंध नहीं है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह की गलत जानकारी फैलाने वाले क्रिप्टो प्रमोटर्स से बचने के लिए यूजर्स को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी खबर को बिना सही स्रोत के विश्वास में नहीं करना चाहिए।
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