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Stablecoins क्या होते हैं, इनके बारे में विस्तार से जानिए

Updated 30-Jan-2025 By: Rohit Tripathi
Stablecoins क्या होते हैं, इनके बारे में विस्तार से जानिए

क्रिप्टोकरेंसी मार्केट की अस्थिरता और कीमतों के उतार-चढ़ाव को देखकर निवेशक अक्सर स्थिर और भरोसेमंद विकल्प की तलाश करते हैं। ऐसे में Stablecoins एक बेहतरीन विकल्प साबित होते हैं। Stablecoins, जैसे कि Tether (USDT), USD Coin (USDC) और DAI, क्रिप्टोकरेंसी के दायरे में आते हुए भी अपनी कीमत को किसी स्थिर असेट्स  जैसे अमेरिकी डॉलर के साथ जोड़ते हैं। इनकी कीमत में उतार-चढ़ाव कम होता है, जो इनको ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के लिए एक सुरक्षित विकल्प बनाता है।

इस आर्टिकल में हम Stablecoins के बारे में विस्तार से जानेंगे, जहाँ हम उनके प्रकार, कार्य, फायदे, और इनकी उपयोगिता के बारे में चर्चा करेंगे।

Stablecoins क्या हैं?

Stablecoins वे क्रिप्टोकरेंसी होती हैं जिनकी कीमत किसी स्टेबल असेट्स (जैसे एक फिएट करेंसी या गोल्ड) से जुड़ी होती है। इनका मुख्य उद्देश्य क्रिप्टोकरेंसी की हाई इनस्टेबिलिटी को कम करना है। सामान्य क्रिप्टोकरेंसी, जैसे Bitcoin या Ethereum, अक्सर बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव करती हैं, जबकि Stablecoins का प्राइस अपेक्षाकृत स्थिर रहता है, क्योंकि यह किसी बाहरी असेट्स से समर्थित होते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि USDT Price 1 USD के बराबर है, तो इसका मतलब है कि Tether (USDT) का मूल्य अमेरिकी डॉलर के मूल्य से जुड़ा हुआ है और यह उतनी ही स्थिरता बनाए रखता है जितनी कि USD की कीमत रहती है।

Stablecoins के प्रकार

Stablecoins मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं:

Fiat-backed Stablecoins 

ये Stablecoins, स्टेबल करेंसी (जैसे अमेरिकी डॉलर) से समर्थित होते हैं। इनको बनाने के लिए एक सर्टेन अमाउंट में फिएट करेंसी (जैसे USD) को बैकिंग के रूप में रखा जाता है, जिससे Stablecoin की कीमत स्टेबल रहती है। Tether (USDT), USD Coin (USDC) और TrueUSD (TUSD) जैसे क्रिप्टोकरेंसी इस श्रेणी में आते हैं।

  • Tether (USDT) सबसे लोकप्रिय Fiat-backed Stablecoin है, जिसे 1 USDT = 1 USD के अनुपात में रखने का प्रयास किया जाता है। अगर आप विस्तार से जानना चाहते हैं की Tether क्या है, तो आप इससे जुड़े हमारे आर्टिकल पर जा सकते हैं

  • USD Coin (USDC) भी एक लोकप्रिय fFiat-backed Stablecoin है, जिसे Coinbase और Circle द्वारा जारी किया गया है। USDC का मूल्य भी डॉलर के बराबर रहता है।

Crypto-backed Stablecoins

इन Stablecoins को किसी क्रिप्टोकरेंसी (जैसे Ethereum, Bitcoin) द्वारा समर्थित किया जाता है। उदाहरण के लिए, DAI एक क्रिप्टो बैक्ड Stablecoin है, जो Ethereum जैसी असेट्स द्वारा समर्थित है। इनका प्राइस स्टेबल बनाए रखने के लिए इनकी बैकिंग असेट्स की मात्रा को नियमित रूप से बनाए रखा जाता है। यदि बैकिंग असेट्स की कीमत घटती है, तो स्टेबलकॉइन के मूल्य को भी स्थिर बनाए रखने के लिए एडिशनल असेट्स जोड़ी जाती हैं।

  • DAI  एक Decentralized Stablecoin है, जिसे MakerDAO द्वारा क्रिएट किया गया है और यह Ethereum के द्वारा समर्थित है।

Algorithmic Stablecoins 

इस प्रकार के स्टेबलकॉइन की कीमत को स्थिर रखने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता हैं। इन्हें किसी फिजिकल असेट का समर्थन नहीं होता है, बल्कि इनकी सप्लाई और डिमांड को नियंत्रित करने के लिए स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स और एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता है। यदि इनकी कीमत बढ़ती है, तो अधिक स्टेबलकॉइन जारी किए जाते हैं और यदि कीमत घटती है, तो उनकी सप्लाई घटा दिया जाता है।

  • Ampleforth (AMPL) एक प्रसिद्ध एल्गोरिथमिक स्टेबलकॉइन है।

Commodity-backed Stablecoins 

यह प्रकार स्टेबलकॉइन सोने, रियल एस्टेट, या धातुओं जैसी वस्तुओं से समर्थित होते हैं। इनमें Paxos Gold (PAXG) और Tether Gold (XAUT) जैसे स्टेबलकॉइन आते हैं, जो सोने से बैक किए गए होते हैं। इन स्टेबलकॉइन्स का मुख्य लाभ यह है कि बिना सोने को भौतिक रूप से रखने के, आप सोने के बाजार में भाग ले सकते हैं।

  • Paxos Gold (PAXG) और Tether Gold (XAUT) जैसे उदाहरण सोने से बैक्ड स्टेबलकॉइन के रूप में लोकप्रिय हैं।

Stablecoins कैसे काम करते हैं?

Stablecoins काम करते समय दो मुख्य पहलुओं का पालन करते हैं, असेट की बैकिंग और प्राइस को स्टेबल बनाए रखने की प्रक्रिया। आइए जानते हैं, कैसे ये काम करते हैं:

असेट्स की बैकिंग

Fiat-backed Stablecoins जैसे Tether (USDT) और USD Coin (USDC) को एक निर्धारित राशि की फिएट करेंसी के साथ बैक किया जाता है। उदाहरण के लिए, 1 USDT को 1 USD के बराबर रखा जाता है। इसके लिए एक बैंक अकाउंट या अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट में एक्चुअल डॉलर रखे जाते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि जब भी कोई व्यक्ति USDT खरीदता या बेचता है, तो उसकी कीमत हमेशा 1 USD के बराबर रहेगी।

मूल्य स्थिर रखने की प्रक्रिया

Stablecoins के मूल्य को स्थिर बनाए रखने के लिए कई तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं:

  • Overcollateralization: Crypto-backed Stablecoins जैसे DAI में, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करके असेट्स का अतिरिक्त बैकअप रखा जाता है ताकि किसी भी मूल्य गिरावट से बचा जा सके।

  • Algorithmic Adjustments: Algorithmic Stablecoins में, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के द्वारा सप्लाई और डिमांड को नियंत्रित किया जाता है ताकि कीमत को स्थिर बनाए रखा जा सके।

Stablecoins के फायदे

Price Stability

Stablecoins का सबसे बड़ा फायदा उनकी प्राइस स्टेबिलिटी है। जब क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में अत्यधिक उतार-चढ़ाव होता है, तो Stablecoins ट्रेडर्स को एक सुरक्षित विकल्प प्रदान करते हैं क्योंकि इनकी कीमत हमेशा स्थिर रहती है और यह फिएट करेंसी के बराबर रहती है।

प्रोसेसिंग स्पीड

Stablecoins का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से ट्रांजेक्शंस को क्विक और सस्ता बनाने के लिए किया जा सकता है। यह फिएट सिस्टम की तुलना में तेज और सस्ता होता है, जो ट्रेडिशनल बैंकों और मनी ट्रांसफर कंपनियों के मुकाबले अधिक प्रभावी होता है।

DeFi में उपयोग

Stablecoins DeFi (Decentralized Finance) एप्लिकेशन्स के लिए एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इनका उपयोग लोन, सेविंग्स, स्टेकिंग और अन्य DeFi प्रोटोकॉल्स में किया जाता है, जो ट्रेडिशनल फाइनेंस सर्विस के मुकाबले ज्यादा ट्रांसपेरेंट और सस्ते होते हैं।

आसान और सस्ता क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसफर

Stablecoins का उपयोग क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसफर के लिए किया जा सकता है। ट्रेडिशनल बैंकिंग सिस्टम में बड़ी फीस और समय लगता है, जबकि Stablecoins के माध्यम से क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसफर तेज और सस्ता हो सकता है।

Ripple का नया स्टेबलकॉइन RLUSD

Ripple Labs ने Ripple USD (RLUSD) को विकसित किया। रिपल ने अप्रैल 2024 में RLUSD को एक स्टेबलकॉइन के रूप में पेश किया था, जो अमेरिकी डॉलर के साथ 1:1 पर आधारित है। यह विशेष रूप से क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट के लिए एक नई क्रिप्टोकरेंसी के रूप में काम करेगा।

अगस्त 2024 में, Ripple ने XRP लेजर और Ethereum Network पर RLUSD की बीटा टेस्टिंग शुरू की और न्यूयॉर्क डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (NYDFS) ने दिसंबर 2024 में RLUSD के लिए अंतिम स्वीकृति प्रदान की। रिपल ने RLUSD को अपनी मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी XRP के पूरक के रूप में पेश किया है। उनका उद्देश्य इसे समय के साथ कई ब्लॉकचेन और DeFi प्रोटोकॉल के माध्यम से उपलब्ध कराना है, ताकि ग्लोबल पेमेंट सिस्टम को और भी मजबूत किया जा सके।

Stablecoins के नुकसान
  1. असेट्स का जोखिम
    Fiat-backed Stablecoins में अगर बैकिंग असेट्स की कीमत में उतार-चढ़ाव होता है, तो इससे उनके प्राइस पर असर पड़ सकता है। हालांकि, इनका उद्देश्य स्थिरता रखना होता है, फिर भी कुछ जोखिम होते हैं।

  2. Regulatory Pressure
    बहुत से देशों में Stablecoins पर रेगुलेटरी प्रेशर बढ़ रहा है। सरकारें इनके उपयोग और रेगुलेशन को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि यह ट्रेडिशनल फाइनेंशियल सिस्टम्स के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

  3. टेक्निकल कॉम्प्लेक्सिटी
    Crypto-backed और Algorithmic Stablecoins की मेथोडोलॉजी कुछ जटिल हो सकती है। इन्हें समझने के लिए टेक्निकल नॉलेज की आवश्यकता होती है और यह सामान्य यूजर्स के लिए कठिन हो सकता है।

कन्क्लूजन

Stablecoins क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे प्राइस स्टेबिलिटी, तेज़ और सस्ता ट्रांजेक्शन और DeFi जैसे स्पेस में उपयोग के लिए आदर्श हैं। Ripple Labs द्वारा पेश किया गया RLUSD इस स्पेस में एक नया कदम है जो क्रिप्टोकरेंसी मार्केट को एक नए दिशा में लेकर जाएगा। हालांकि, कुछ जोखिम और टेक्निकल कॉम्प्लेक्सिटी भी हैं, फिर भी ये क्रिप्टो-मार्केट के लिए एक अनिवार्य टूल साबित हो रहे हैं। भविष्य में इनका उपयोग बढ़ने की संभावना है और यह फाइनेंशियल वर्ल्ड में एक रिवॉल्यूशन ला सकते हैं।

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