बिटकॉइन बैंकिंग में क्या हो सकती हैं चुनौतियां

06-Apr-2024 By: Rohit Tripathi
बिटकॉइन बैंकिंग में क्या हो सकती हैं चुनौतियां

डिजीटल फाइनेंस के इवॉल्विंग लैंडस्कैप में ट्रेडिशनल बैकिंग के साथ क्रिप्टोकरेंसी, विशेष रूप से बिटकॉइन का इंटिग्रेशन एक डिबेट का विषय रहा है। इस चर्चा का मूल विषय बिटकॉइन के इनहेरेटेंस कैरक्टरस्टिक में स्थापित है और वे ट्रेडिशनल बैकिंग सिस्टम के लिए क्या चुनौतियां पेश करते हैं। यह ब्लॉग विशेष रूप से बिटकॉइन में ट्रांजेक्शन करने वाले बैंक की स्थापना को रोकने वाले मुख्य कारणों की समीक्षा करता है, जैसे कि इसकी वोलैटिलिटी, इसका रोल एज ए स्टोर ऑफ वैल्यू वर्सेज करंसी, एब्सेंस ऑफ रेगुलेटरी ओवरसाइट, इम्पिलकेशन्स ऑफ हाई हेजिंग कॉस्ट और डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) में यह प्रस्ताव एकमात्र समाधान प्रदान कर सकता है। 

बिटकॉइन बैंकिंग में चुनौतियों में से एक सबसे बड़ी चुनौती इसकी हाई वोलैटिलिटी है। गवर्नमेंट कंट्रौल और इकोनॉमिक पॉलिसीज की वजह से अपेक्षाकृत स्थिर रहने वाली फिएट करंसी के अपॉजिट, बिटकॉइन की वैल्यू शॉर्ट टर्म पीरियड में भारी उतार-चढ़ाव की पेशकश कर सकती है। यह वोलैटिलिटी अलग-अलग कारणों से उत्पन्न होती है, जैसे- मार्केट सेंटिमेंट, स्पेकुलेशन और ट्रेडिशनल मार्केट्स के कम्पेरिजन में लिमिटेड लिक्विडिटी। वहीं बिटकॉइन ट्रांजेक्शन में डील करने वाल बैंक के लिए इसका प्रभाव काफी हद तक गहरा पड़ता हुआ नजर आ रहा है, जिसमें लोन को जारी करने से लेकर डिपॉजिट सिक्योरिटी तक सब कुछ प्रभावित होता है और यह बैंक एवं इसके कस्टमर्स के लिए जोखिम भरा प्रयास बन जाता है। 

स्टोर ऑफ वैल्यू वर्सेस करंसी

बिटकॉइन को एक रिवॉल्यूशनरी वैल्यू ऑफ स्टोर के रूप में प्रशंसा मिली है, यह एक ऐसी डिजीटल एसेट क्लास है, जो कि एक एक करंसी के बजाय डिजीटल गोल्ड के समान अधिक मानी जाती है। बिटकॉइन को लेकर यह धारणा इसकी वाइबिलिटी को डेली ट्रांजेक्शन के माध्यम से चुनौती देती है, जो कि एक फंडामेंटल बैंकिंग ऑपरेशन है। यह तर्क है कि बिटकॉइन को एक करंसी के रूप में नहीं लेना चाहिए, बल्कि एक इनवेस्टमेंट या फिर ट्रेडिशनल फाइनेंस सिस्टम के खिलाफ एक हेज के रूप में देखा जाना चाहिए। क्योंकि बिटकॉइन की भूमिका इसे बैकिंग इनफ्रास्ट्रक्चर के भीतर और अधिक जटिल बना देती है, जबकि यह फिएट करंसी को संभालने और दोनों प्रकार के उद्देश्यों की सेवा करने के लिए डिजाइन की गई है। 

लेक ऑफ रेगुलेटरी कंट्रौल

बिटकॉइन का डिसेंट्रलाइज्ड नेचर इसे बैंकिंग से जोड़ने में एक और बाधा की पेशकश करता है। रेगुलेटरी कंट्रौल के बिना एक बिटकॉइन बैंक लीगल और फाइनेंशियल ग्रे एरिया में वर्क करता है, जिसमें कन्ज्यूमर्स की सिक्योरिटी और फाइनेंशियली स्टेबिलिटी को सेट करने वाले प्रोटेक्शन और ओवरसाइट की कमी का अभाव होता है। एक सेंट्रल अथॉरिटी की एब्सेंस स्टेंडर्ड बैंकिंग रूल्स जैसे कि एंटी मनी लॉन्ड्रिंग (AML) और नो-योर-कस्टमर (KYC) पॉलिसीज को इनफोर्स करना अधिक कठिन बना देता है, जिससे इललीगल एक्टिविटीज का जोखिम बढ़ जाता है और बैंकिंग ऑपरेशन के लिए ट्रस्ट की कमी हो जाती है। 

वोलैटिलिटी से जुड़े जोखिमों में कमी के लिए हैवी हैजिंग कॉस्ट का पेमेंट

बिटकॉइन की वोलैटिलिटी से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए फाइनेंस इंस्टिट्यूट्स को हैवी हैजिंग कॉस्ट का पेमेंट करना होगा। वहीं स्ट्रेटेजी रिटर्न को स्टेबल करने और मार्केट में होने वाले अप एंड डाउन के खिलाफ सिक्योरिटी प्रोवाइड करने के लिए आवश्यक मानी जाती हैं, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के अनप्रेडिक्टेबल नेचर को देखते हुए यह स्ट्रेटेजी मंहगी और जटिल प्रतीत होती हैं। वहीं एक बिटकॉइन बैंक के लिए ये कॉस्ट इसके ऑपरेशन को फाइनेंशियली अनफिजीबल बना सकती हैं, प्रॉफिट मार्जिन को कम कर सकती है और ऐसे वेंचर्स में निवेश को डिसकरेज कर सकती है। 

DeFi के रूप में सॉल्यूशन्स 

इन चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) बिटकॉइन को बैंक करने के एक संभावित समाधान के रूप में उभरता है। DeFi प्लेटफॉर्म Blockchain Technology पर काम करते हैं और ट्रेडिशनल इंटरमिडिएरीज की आवश्यकता के बिना फाइनेंशियल सर्विसेज प्रोवाइड करते हैं। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट और डिसेंट्रलाइज्ड एप्लिकेशन्स (dApp) का इस्तेमाल करके DeFi एक अधिक फ्लैक्जिबल और इनक्लूजिव फाइनेंशियल सिस्टम प्रोवाइड कर सकता है। यह मॉडल अधिक प्राकृतिक रूप से बिटकॉइन की विशेषताओं को एडजस्ट कर सकता है, रेगुलेटरी कंट्रौल की आवश्यकता को साइड कर सकता है, इनोवेटिव फाइनेंशियल टूल्स के माध्यम से हेजिंग कॉस्ट को कम कर सकता है और एल्गोरिदमिक सोर्सेस के माध्यम से वोलैटिलिटी और करंसी इश्युज को एड्रेस कर सकता है। 

Conclusion  

एक बिटकॉइन बैंक की अवधारणा इसकी वोलैटिलिटी और वैल्यू ऑफ स्टोर के रूप में स्थिति से लेकर रेगुलेटरी ओवरसाइट की एब्सेंस एवं हाई हेजिंग कॉस्ट तक चुनौतियों से भरी हुई है। लेकिन ये कॉम्प्लैक्सेस ट्रेडिशनल बैंकिंग इनफ्रास्ट्रक्चर के भीतर इनविंसिबल नजर आ सकती है और DeFi का आगमन एक इनोवेटिव पाथ को प्रस्तुत कर सकता है। DeFi, बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसीज को फाइनेंशियल सिस्टम में इंटिग्रेट करने की एक संभावना की झलक प्रदान करता है। वहीं यह संभावना पुराने मॉडलों के अडॉप्टेशन के माध्यम से नहीं आती है, बल्कि डिजीटल एसेट्स की यूनिक एसेट को गले लगाने वाले नए डिसेंट्रलाइज्ड लोगों के निर्माण के माध्यम से आती है। जैसे-जैसे फाइनेंशियल वर्ल्ड डेवलप होता है, वैसे-वैसे इंटिग्रेशन की संभावना हमारे इनोवेटिव और यूनिक अपॉर्च्यूनिटी के प्रति अडॉप्ट होने की कैपेसिटी पर निर्भर करेगी, जो कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज की पेशकश करती है। 

यह भी पढ़े : Bitcoin होती अगर एक मात्र क्रिप्टोकरेंसी तो जानिए क्या होता

WHAT'S YOUR OPINION?
सम्बंधित खबर
संबंधित ब्लॉग

Copyright © 2024 Crypto Hindi News. All Rights Reserved.