Vesting क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में एक महत्वपूर्ण मैकेनिज्म है, जो खासकर Initial Coin Offerings (ICO) और फंड इकठ्ठा करने में इस्तेमाल होता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शुरुआती इन्वेस्टर्स अपने टोकन तुरंत न बेचें और वे प्रोजेक्ट में लंबे समय तक जुड़े रहें। इससे प्रोजेक्ट को स्टेब्लिटी मिलती है और आगे बढ़ने में मदद मिलती है।
हाल ही में Hamster Kombat गेम ने अपने $HMSTR Token Airdrop की घोषणा की है, जिससे क्रिप्टो और गेमिंग कम्युनिटी में खुशी का माहौल है। इस Airdrop में Vesting कांसेप्ट शामिल है, जो प्लेयर्स को लंबे समय तक इंगेज रखने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसलिए, "Vesting Meaning in Hamster Kombat" एक चर्चा का विषय बन गया है।
Vesting प्रोसेस आमतौर पर एक शेड्यूल के अनुसार होती है, जिसमें दो मुख्य हिस्से होते हैं:
Cliff Period : यह एक तरह की वेटिंग पीरियड है, जिसमें आपको कोई टोकन नहीं मिलता। यह कुछ महीनों से लेकर एक साल तक हो सकता है, ताकि लोग प्रोजेक्ट के प्रति कमिटेड रहें।
Gradual Release : क्लिफ के बाद टोकन धीरे-धीरे दिए जाते हैं, अक्सर हर महीने या हर तीन महीने में, जब तक सभी टोकन नहीं मिल जाते। उदाहरण के लिए, अगर क्लिफ एक साल की है, तो उसके बाद अगले 24 महीनों में टोकन मिल सकते हैं।
क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स में वेस्टिंग की कई प्रकार की संरचनाएँ होती हैं:
टाइम-बेस्ड Vesting : इसमें टोकन एक निश्चित समय में, जैसे दो साल में मंथली डिस्ट्रीब्यूशन।
माइलस्टोन-बेस्ड Vesting : यहाँ टोकन तब दिए जाते हैं जब कुछ खास लक्ष्य पूरे होते हैं, जैसे किसी प्रोडक्ट या फीचर का लॉन्च होना।
हाइब्रिड Vesting : यह टाइम-बेस्ड और माइलस्टोन-बेस्ड दोनों का कॉम्बिनेशन है, जो लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट को सुनिश्चित करते हुए लिक्विडिटी प्रदान करता है।
रिवर्स Vesting : इसमें टोकन पहले ही दिए जाते हैं, लेकिन अगर कैंडिडेट कुछ शर्तें नहीं पूरी करते, जैसे प्रोजेक्ट में लगातार पार्टिसिपेट करना, तो टोकन वापस लिए जा सकते हैं।
Blockchain में Vesting को आमतौर पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के जरिए मैनेज किया जाता है। ये ऑटोमैटिक कॉन्ट्रैक्ट यह सुनिश्चित करते हैं कि टोकन रिलीज़ शेड्यूल का साफ, सुरक्षित और सही तरीके से पालन हो। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स मैन्युअल बदलाव के रिस्क को कम करते हैं और स्टैक होल्डर्स को Vesting प्रोसेस के प्रति विश्वास को बढ़ाते हैं।
लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट: Vesting प्रोसेस यह सुनिश्चित करती है कि, टीम के मेंबर, कंसल्टेंट और शुरुआती इन्वेस्टर्स लंबे समय तक प्रोजेक्ट से जुड़े रहें, जिससे डेवलपमेंट जारी रहे।
स्टेब्लिटी: Vesting प्रोसेस बड़ी मात्रा में टोकन को तुरंत सेल करने से रोकती है, जिससे प्रोजेक्ट की कीमत में स्टेब्लिटी बढ़ती है।
ट्रस्ट बिल्डिंग: Vesting प्रोसेस यह दर्शाती है कि, प्रोजेक्ट की टीम अपनी लॉन्ग-टर्म सफलता के लिए कमिटमेंट है, जिससे कम्युनिटी में विश्वास बढ़ता है और और इन्वेस्टर्स को आकर्षित किया जा सकता है।
Vesting प्रोसेस सभी स्टैकहोल्डर्स के हितों को प्रोजेक्ट के लॉन्ग-टर्म गोल से जोड़ने में मदद करती है। यह डेवलपमेंट के लिए एक स्टेबल एनवायरनमेंट बनाती है, जिससे प्रोजेक्ट को अपने प्रोडक्ट और सर्विस को बढ़ाने का समय मिलता है और टोकन की कीमत गिरने का रिस्क भी कम होता है।
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