वर्तमान में हर देश की सरकार अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी (CBDC) के निर्माण की दिशा में कार्य कर रही है। भारत, चीन, रूस और ब्रिटेन जैसे देश जहां CBDC के निर्माण में काफी आगे बढ़ चुके हैं, वहीं अमेरिका जैसी महाशक्ति इस रेस में पिछड़ती नजर आ रही है। वहीँ दुनिया के अन्य देश भी इस करंसी को एक्सप्लोर करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। ऐसे में CBDC के बारे में जानना और उसे समझना जरुरी हो जाता है।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) Financial System में एक बड़ा बदलाव लेकर आती है, यह पैसे की पारंपरिक धारणा को चेलेंज करते हुए, लेनदेन के एक नए तरीके को परिभाषित करती हैं। यह किसी देश की सरकार या सेंट्रल बैंक द्वारा जारी की गई करंसी का डिजिटल रिप्रजेंटेशन है। चूंकि यह किसी देश की सरकार द्वारा समर्थित होती हैं, ऐसे में यह डिजिटल मनी का एक साकार रूप बन जाती है। वर्तमान में हर देश की सरकार इसकी क्षमताओं का पता लगाने में लगी हुई हैं। जिससे इसके बारे में जानने की जिज्ञासा हर व्यक्ति के मन में बढ़ती जा रही हैं। CBDC के डेवलपमेंट के पीछे के मुख्य कारणों में इसका वित्तीय लेनदेन की कार्यक्षमता में सुधार करना है। यह शीघ्र और कम लागत वाले पीयर-टू-पीयर ट्रांसफर की सुविधा प्रदान कर, मीडिएटर्स की आवश्यकता को खत्म करता है। इसके माध्यम से ट्रांजेक्शन भी तीव्र गति से होते हैं।
जैसा कि हम आपको जानकारी दे चुके हैं CBDC को केन्द्रीय बैंको द्वारा जारी किया जाता है, ऐसे में यह आम यूजर्स के लिए काफी सुरक्षित होती है। इसके साथ ही में यह केंद्रीय बैंको को Financial System पर नियंत्रण रखने और निगरानी को बढाने की भी सुविधा प्रदान करती है। वास्तविक समय में CBDC ट्रांजेक्शन की निगरानी की जा सकती है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसी अवैध गतिविधियों का मुकाबला आसानी से किया जा सकता है।
CBDC, क्राइसिस के समय इंडिविजुअल और व्यवसायों को सीधे व्यय करने में सक्षम करके, मोनेटरी पॉलिसी के कुशल ट्रांसमिशन को सुनिश्चित कर अर्थव्यवस्था को भी स्थिर करने में मदद करती है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो CBDC सीधे तौर पर किसी देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में सहायता करती है और डॉलर पर निर्भरता को भी कम करती है। हालांकि CBDC के साथ में कई जोखिम भी है, जैसे इसमें साइबर खतरों और डेटा गोपनीयता उजागर होने का खतरा बना रहता है। हालांकि यह उस देश की सरकार पर निर्भर करेगा कि वह इसको कितना अधिक सुरक्षित बनाती हैं।
CBDC वैश्विक Financial System पर भी गहरा प्रभाव डालेगी। इसके माध्यम से सीमापार ट्रांजेक्शन अधिक आसान हो जाएगा। वहीँ यह अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम भी कर देगी। इसके माध्यम से दो देश आपसी व्यापार आसानी से और कम लागत में कर सकते हैं। फिलहाल रूस और चीन तथा भारत और UAE CBDC में व्यापार करने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। इन देशों के अलाव अन्य छोटे देश भी अपने CBDC निर्माण की दिशा में कार्यरत है। हालांकि अमेरिका इस रेस में पिछड़ गया है, क्योंकि उसे अपने देश में ही CBDC निर्माण को लेकर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह कहा जा सकता है कि CBDC के उदय से ग्लोबल Financial System पूरी तरह से परिवर्तित हो जाएगा।
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