जैसे-जैसे ब्लॉकचेन नेटवर्क्स पर यूज़र्स की संख्या बढ़ रही है, इन पर तेज और अफोर्डेबल ट्रांज़ैक्शन की मांग भी बढती जा रही है, लेकिन अभी भी धीमे और महंगे ट्रांज़ैक्शन ब्लॉकचेन बेस्ड एप्लीकेशन में यूज़र एक्सपीरियंस को बिगड़ रहे हैं। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में यह प्रॉब्लम स्केलेबिलिटी से जुड़ी है। Blockchain Layer 2 Solutions की ज़रूरत इसी के कारण पड़ी, जो Layer 1 की लिमिटेशन से बाहर जाकर यूज़र्स को तेज़, सस्ते और बेहतर अनुभव देने का काम करती है।
इस ब्लॉग में Layer 2 Solutions के पूरे मैकेनिज्म को बताया गया है, साथ ही इनके महत्व, काम करने का तरीका, प्रकार के बारे में बात की गई है।
Blockchain में Layer 1 वह मुख्य नेटवर्क होता है जिस पर ट्रांज़ैक्शन्स सीधे एक्सिक्यूट होते हैं, जैसे कि Bitcoin और Ethereum। लेकिन जब ट्रैफिक बढ़ता है, तो Layer 1 की कुछ लिमिटेशन सामने आने लगती हैं, जैसे लिमिटेड ट्रांज़ैक्शन स्पीड (जैसे Ethereum पर ~15 TPS), हाई गैस फीस और नेटवर्क कंजेशन।
Blockchain Layer 2 Solutions, Layer 1 पर बनाए गए वो सिस्टम होते हैं, जो ट्रांज़ैक्शन्स को बाहर प्रोसेस करते हैं और सिर्फ जरुरी डाटा को Layer 1 पर भेजते हैं। इससे मुख्य Blockchain Layer पर लोड कम होता है और ब्लॉकचेन स्पीड और स्केलेबिलिटी दोनों बढ़ती हैं।
Layer 2 Solutions किसी Blockchain की कोर सिक्योरिटी को बरकरार रखते हुए उसके ऊपर एक इंडिपेंडेंट सिस्टम के रूप में काम करते हैं। इनका उद्देश्य होता है:
इस प्रोसेस में Layer 2 नेटवर्क में यूज़र्स अपने टोकन डिपॉज़िट करते हैं, वहाँ तेजी से ट्रांज़ैक्शन्स होते हैं और जब ज़रूरत हो तभी वह Layer 1 पर डाटा अपडेट किया जाता है।
Blockchain Network पर स्केलेबिलिटी को बेहतर करने के लिए कई Blockchain Layer 2 Solutions अपनाए जा रहे हैं। इनमें मुख्यतः दो इम्पोर्टेन्ट केटेगरी Rollups और Channels है।
Rollups: Rollups Layer 2 का सबसे पॉपुलर और भरोसेमंद मॉडल बन चुके हैं। ये Ethereum पर भरोसा करते हुए ट्रांज़ैक्शन्स को ऑफ-चेन प्रोसेस करते हैं और कंप्रेस्ड डाटा को Layer 1 पर सेव करते हैं। इसके दो मुख्य प्रकार हैं:
Channels: Channels, ट्रांज़ैक्शन पार्टियों के बीच एक डायरेक्ट Off-chain नेटवर्क बनाते हैं जहां अधिकांश ट्रांज़ैक्शन्स बिना Layer 1 के इंटरफेरेंस के हो सकती हैं। अंत में केवल फाइनल बैलेंस Layer 1 पर डाला जाता है। Bitcoin Lightning Network इसका सबसे पॉपुलर एक्साप्म्ल है, लगभग न के बराबर फीस और मिलिसेकंड स्पीड में ट्रांज़ैक्शन इसके प्रमुख लाभ हैं।
चूँकि Ethereum से जुड़ी गैस फीस की समस्या से ही Blockchain Layer-2 Solutions की जरुरत पर ध्यान गया इसलिए हमें यह जानना जरुरी है कि इन्होनें किस तरह से इसका समाधान किया। हर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एक्सिक्यूशन पर यूज़र्स को भारी फीस चुकानी पड़ती है, खासकर NFT Minting और DeFi प्रोजेक्ट्स में।
Layer 2 Rollups इस फीस को काफी हद तक घटा देते हैं क्योंकि:
उदाहरण के लिए, Optimism या zkSync में ट्रांज़ैक्शन फीस Ethereum से 10–100 गुना तक सस्ती हो सकती है।
हालांकि Layer 2 के डेवलपमेंट ने स्केलेबिलिटी का बहुत हद तक समाधान प्रस्तुत किया है, पर इसमें कुछ समस्याएँ भी सामने आती हैं:
इन समस्याओं को हल करने के लिए इंटरऑपरेबिलिटी, स्टैंडर्डाइज़ेशन और Layer 2 प्रोटोकॉल्स की लगातार टेस्टिंग ज़रूरी है।
Ethereum जैसे Layer 1 नेटवर्क धीरे-धीरे Modular Architecture की ओर बढ़ रहे हैं, जहाँ Layer 1 सिर्फ बेस सिक्योरिटी और डाटा अवेलेबिलिटी पर फोकस करता है, जबकि एग्जीक्यूशन Layer 2 पर शिफ्ट हो जाती है। यह अप्प्रोच Web3 और DeFi के बड़े लेवल पर एडॉप्शन के लिए ज़रूरी माना जा रहा है।
Vitalik Buterin ने भी इसे “The Endgame for Ethereum Scalability” कहा है, उनके अनुसार Blockchain Layer 2 Solutions ही Ethereum को ग्लोबल स्केल पर स्केलेबल बनाएंगे।
Blockchain Layer 2 Solutions न सिर्फ टेक्निकल रिफॉर्म्स हैं, बल्कि वे Web3 मास एडॉप्शन की जरुरत बनते जा रहे हैं। चाहे बात Ethereum की हो या Bitcoin की स्केलेबिलिटी का सॉल्यूशन अब Layer 1 के भीतर नहीं, बल्कि Layer 2 के डिज़ाइन और डिप्लॉयमेंट पर डिपेंड करती है।
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