20वीं सदी में कुछ ऐसे टेक्नोलॉजीकल इन्वेंशन हुए हैं जो भविष्य की दुनिया की नींव बन चुके हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रिन्यूएबल एनर्जी, स्पेस टेक्नोलॉजी, ड्रोन टेक्नोलॉजी और ब्लॉकचेन, ये कुछ ऐसे नाम हैं जो हमारी सोच से कहीं आगे जाकर काम कर रहे हैं।
आज इस ब्लॉग में हम एक ऐसी टेक्नोलॉजी की बात करेंगे, जो इंटरनेट, फाइनेंस, आर्ट, बैंकिंग, रियल एस्टेट, फार्मा और एग्रीकल्चर जैसे लगभग हर सेक्टर में बदलाव का प्रतीक बन चुकी है और विश्लेषकों का मानना है, यह तो अभी शुरुआत भर है।
हम बात कर रहे हैं Blockchain Technology की।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे:
Blockchain और ब्लॉक को हम एक आसान उदाहरण से समझ सकते हैं, पुराने ज़माने में बहीखाता (लेजर) रखा जाता था, जिसमें हर लेन-देन को दर्ज किया जाता था, उसी तरह Blockchain भी होती है और एक ब्लॉक उस बहीखाते के एक पेज की तरह होता है।
हर ब्लॉक में कई ट्रांजैक्शन दर्ज होते हैं। जब एक ब्लॉक भर जाता है, तो नया ट्रांजैक्शन अगले ब्लॉक में दर्ज होता है। इस तरह एक के बाद एक ब्लॉक जुड़ते जाते हैं और ये मिलकर बनाते हैं एक Blockchain। ब्लॉकचेन से जुड़े पहले ब्लॉक को Genesis Block कहा जाता है।
अब सवाल ये है, क्या Blockchain सिर्फ एक डिजिटल बहीखाता है? जी हाँ, लेकिन इसमें कुछ खास खूबियाँ हैं जो इसे इतना इम्पोर्टेन्ट बनाती हैं:
इन्हीं कारणों से ब्लॉकचेन Immutable, Transparent और Distributed Ledger कही जाती है।
आप अब समझ ही चुके हैं कि Blockchain कई ब्लॉक्स की एक चेन है, लेकिन इन ब्लॉक्स में क्या होता है और ये कैसे बनते हैं?
आइए देखें, एक ब्लॉक के मुख्य कंपोनेंट्स क्या होते हैं:
हर नया ब्लॉक पिछले वाले से जुड़ता है, जिससे एक पूरी चेन बनती है। इसी वजह से इस सिस्टम को Tamper-proof कहा जाता है।
यह तीन स्टेज में काम करती है:
Nonce को ढूंढ़ना माइनिंग का सबसे अहम काम होता है, और जो नोड ऑपरेटर यह सबसे पहले कर लेता है, उसे नए ब्लॉक को जोड़ने का मौका और रिवॉर्ड मिलता है।
Blockchain सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि एक नया फ्रेमवर्क है जिस पर आने वाला डिजिटल भविष्य खड़ा हो रहा है। इसकी कुछ प्रमुख खूबियाँ इसे बाकी सिस्टम्स से अलग और खास बनाती हैं:

Decentralization
पारंपरिक सिस्टम्स में कोई न कोई सेंट्रल अथॉरिटी होती है जैसे बैंक, सरकार या संस्था। लेकिन Blockchain पूरी तरह डिसेंट्रलाइज्ड होती है। हर ट्रांजैक्शन, हर ब्लॉक, नेटवर्क के हजारों नोड्स पर वेरिफाई और स्टोर होता है। इससे न सिर्फ भरोसा बढ़ता है, बल्कि किसी एक पॉइंट ऑफ फेल्योर की आशंका भी खत्म हो जाती है।
Immutability
Blockchain का एक सबसे पावरफुल फीचर है कि इसमें एक बार जो डाटा ब्लॉक में जुड़ गया, वो फिर बदला नहीं जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि हर ब्लॉक का एक यूनिक Hash होता है जो उसके डाटा और यूनिक Nonce से मिलकर बनता है, डाटा बदल जाने पर Hash बदल जाता है और Hash बदलते ही नया ब्लॉक अस्तित्व में आ जाता है। इसी कारण से ब्लॉकचेन में बदलाव करना संभव नहीं हो पाता।
Security
हर जानकारी को Cryptography से सुरक्षित किया जाता है। इसके अलावा, हर ब्लॉक नेटवर्क के हजारों नोड्स पर मौजूद होता है यानी अगर कोई हैकर डाटा को बदलना भी चाहे, तो उसे पूरे नेटवर्क के 51% से ज्यादा सिस्टम्स पर एक साथ बदलना होगा।
Distributed Ledger
Blockchain में ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड केवल किसी एक सर्वर पर नहीं रहता, बल्कि नेटवर्क में शामिल हर नोड के पास उसकी कॉपी होती है। इस मॉडल को Distributed Ledger कहा जाता है।
Transparency
Public blockchain जैसे Bitcoin में आप किसी भी ट्रांजैक्शन को Blockchain Explorer से देख सकते हैं। इससे ट्रस्ट बढ़ता है और धोखाधड़ी की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
Consensus Mechanism
Blockchain में कोई भी नया डाटा तभी जुड़ सकता है जब नेटवर्क के अधिकांश नोड्स उसे वैलिड मानें। इस प्रक्रिया को Consensus कहते हैं। यह एक तरह की डिजिटल वोटिंग होती है, जहां नोड्स यह तय करते हैं कि कौन-सा ट्रांजैक्शन सही है और किसे ब्लॉक में जोड़ा जाना चाहिए।
Smart Contracts
यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को स्केलेबल और उपयोगी बनाने वाला सबसे इम्पोर्टेन्ट मैकेनिज्म है। यह ऐसा कोड का कलेक्शन होता है जिसमे वो सभी टर्म्स और कंडीशन लिखी होती है जो उस ब्लॉकचेन पर किसी ट्रांज़ैक्शन को कम्पलीट करने के लिए जरुरी होती हैं। इससे ब्लॉकचेन पर ट्रांज़ैक्शन की स्पीड कई गुना बढ़ जाती है।
Time Stamping
हर ब्लॉक में उसके क्रिएशन का टाइम और डाटा एंट्री का टाइम लिखा जाता है, किसके कारण ब्लॉकचेन में कोई डुप्लीकेट ब्लॉक नहीं जोड़ा जा सकता है। यह ब्लॉकचेन की सिक्योरिटी मजबूत करने के लिए आवश्यक फीचर है।
Blockchain की सबसे बड़ी ताक़त इसकी ट्रांसपेरेंसी, सिक्योरिटी और बिना किसी मिडिलमैन के ट्रांजैक्शन की क्षमता है। जो इसे ट्रेडिशनल सिस्टम के मुकाबले ज्यादा अफोर्डेबल और उपयोगी बनाता है। इसी कारण आज यह फाइनेंस, हेल्थकेयर, गवर्नेंस और सप्लाई चेन जैसी इंडस्ट्रीज़ में अपनाई जा रही है।
लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
हालांकि, Layer-2 सॉल्यूशंस और Proof-of-Stake जैसे नए मॉडल इन दिक्कतों को हल करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इन पर हमने विस्तार से एक अन्य ब्लॉग में चर्चा की है।
इस तरह से हमने देखा, Blockchain Technology का काम करने का तरीका जितना टेक्निकल लगता है, उतना ही लॉजिकल और सुरक्षित भी है। यह तकनीक पुराने सेंट्रलाइज सिस्टम्स को चुनौती देती है और डाटा व ट्रांजैक्शन को पूरी तरह वेरिफायबल और टेम्पर प्रूफ बनाती है।
अब जब आपने यह समझ लिया है कि ब्लॉकचेन कैसे काम करती है, तो आप इसकी संभावनाओं और उपयोगों को भी बेहतर तरीक़े से समझ पाएँगे। इससे पहले अगर आप जानना चाहते हैं की ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी किस तरह से डेवलप हुई है तो इस लिंक पर क्लिक कीजिए।
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