आज जब हम Bitcoin, Ethereum और Web3 जैसे शब्दों को सुनते हैं, तो सबसे पहली चीज जो दिमाग में आती है, वह है Blockchain Technology। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस टेक्नोलॉजी की शुरुआत कब और कैसे हुई? किसने इसे बनाया? और क्यों?
इस ब्लॉग में हम एक रोमांचक यात्रा पर चलेंगे, जहाँ हम जानेंगे Blockchain के इतिहास को, उसके जन्म से लेकर उसके आज तक के सफ़र पर।
1990 के दशक में जब इंटरनेट दुनिया में तेज़ी से फैल रहा था, तब एक समस्या हर बार सामने आती थी, Trust।
ऑनलाइन पैसे भेजने या डॉक्यूमेंट वेरिफाई करने के लिए आपको किसी थर्ड पार्टी (जैसे बैंक, सरकार या कंपनी) पर निर्भर रहना पड़ता था। इस थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन के साथ कुछ समस्याएं भी है,
लेकिन, सवाल यह था, क्या कोई ऐसा सिस्टम बनाया जा सकता है जिसमे इस थर्ड पार्टी ट्रस्ट सिस्टम की ज़रूरत ही न हो?
1991 में दो वैज्ञानिक Stuart Haber और W. Scott Stornetta एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे थे, जिससे कोई डॉक्यूमेंट एक बार सेव हो जाए तो उसे बाद में कोई बदल न सके। उन्होंने एक सिस्टम तैयार किया जिसमें हर डॉक्यूमेंट को एक Cryptographic Timestamp दिया जाता और सारे रिकॉर्ड एक तरह की Chain में लिंक होते थे।

यहीं से Blockchain Technology की नींव पड़ी हालांकि तब इसे Blockchain नहीं कहा जाता था।
1998 में कंप्यूटर साइंटिस्ट Wei Dai ने “b-money” नाम से डिजिटल करेंसी का कॉन्सेप्ट दिया, जो डिसेंट्रलाइज़्ड हो और जिसमें किसी ह्यूमन ट्रस्ट की ज़रूरत न पड़े।
इसी समय Nick Szabo ने “Bit Gold” पर काम शुरू किया जो Bitcoin से काफी मिलता-जुलता सिस्टम था। लेकिन ये दोनों प्रोजेक्ट पूरी तरह इम्प्लीमेंट नहीं हो पाए।
हालांकि, ये कोशिशें इस दिशा में इशारा कर रही थीं कि दुनिया डिसेंट्रलाइज़ेशन की ओर बढ़ने की और प्रयास कर रही है।
2008 में पूरी दुनिया एक भयानक फाइनेंशियल क्राइसिस से गुज़र रही थी। यह क्राइसिस Lehman Brothers और Bear Stearns जैसी बड़ी बैंकों के डूबने से शुरू हुआ था जिसके कारण बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीटूशन्स पर से लोगों का भरोसा टूट चुका था।
इसी समय इंटरनेट पर Satoshi Nakamoto दुनिया के सामने आये, जिनकी वास्तविक पहचान अब तक रहस्य बनी हुई है, उन्होंने “Bitcoin: A Peer-to-Peer Electronic Cash System” नाम से एक White Paper पब्लिश किया:
इसमें उन्होंने पहली बार Blockchain Technology का प्रैक्टिकल यूज़ सामने रखा और ऐसा सिस्टम बनाने की बात की जो बिना किसी बैंक या थर्ड पार्टी के पैसा ट्रांसफर कर सकता था।
Satoshi का सबसे बड़ा योगदान यह था कि उन्होंने:
2009 में उन्होंने Bitcoin को लॉन्च किया और Blockchain Technology दुनिया में पहली बार प्रैक्टिकली लाइव हो गयी।
2010 तक Satoshi Nakamoto ने Bitcoin की डेवलपमेंट में योगदान दिया, लेकिन फिर वो अचानक गायब हो गए। कोई ईमेल नहीं, कोई पता नहीं।
आज तक कोई नहीं जानता कि Satoshi Nakamoto कौन था, एक इंसान, एक ग्रुप या कोई एजेंसी? लेकिन उनका आखिरी मैसेज यही था,”I’ve moved on to other things. It’s in good hands with Gavin and everyone.”

Blockchain Technology आज सिर्फ डिजिटल करेंसी तक सीमित नहीं है। ये टेक्नोलॉजी अब दुनिया के कई क्षेत्रों के लिए बिल्डिंग ब्लॉक की तरह बन गयी है। 2015 में Ethereum ने स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स की शुरुआत करके Blockchain technology में एक इम्पोर्टेन्ट कॉम्पोनेन्ट ऐड किया, जिसने इसे ज्यादा फ़ास्ट सिक्योर और प्रैक्टिकल बनाया। अब यह टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन मैनेजमेंट, बैंकिंग, डिजिटल आईडी, डाटा सिक्योरिटी, हेल्थ केयर सिस्टम, एसेट मैनेजमेंट जैसे कई क्षेत्रों में काम में लायी जा रही है।
NFTs और Web3 इंटीग्रेशन के बाद से मेटावर्स जैसी फ्यूचर टेक्नोलॉजी का आधार भी Blockchain Technology और क्रिप्टोकरेंसी ही है, तो Bitcoin से शुरू हुई यह टेक्नोलॉजी अब हमारे जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी है।
Blockchain की कहानी हमें ये सिखाती है कि कैसे किसी एक प्रॉब्लम का सॉल्यूशन पूरी शिद्दत के साथ ढूंढने का प्रयास किया जाए तो पूरी दुनिया को बदलने का माद्दा रखने वाली तकनीक भी विकसित की जा सकती है। Bitcoin से शुरू हुआ ब्लॉकचेन का सफ़र अब Web3 तक पहुँच चुका है।
और आने वाले समय में यह इन्टरनेट और इसके एप्लीकेशन को और ज्यादा डेमोक्रेटिक और डिसेंट्रलाइज्ड बनाने वाला है। और याद रखिए Satoshi Nakamoto का योगदान सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं था, वो एक सोच थी एक ऐसी सोच जो कहती है: “Don’t trust. Verify.”
Copyright 2025 All rights reserved