Vitalik Buterin के अनुसार कोई भी ब्लॉकचेन सिक्योरिटी, डिसेंट्रलाइजेशन और स्केलेबिलिटी को एक साथ नहीं दे सकती, ब्लॉकचेन नेटवर्क के बेसिक स्ट्रक्चर से जुड़ी इस परेशानी को उन्होनें Blockchain Trilemma कहा है। आज भी हर नई ब्लॉकचेन के डिजाइन में हम देख सकते हैं कि अब तक इन तीनों क्वालिटी को Layer 1 में पूरी तरह एक साथ नहीं लाया जा सका है।

Blockchain की शुरुआत से ही इसका उद्देश्य डिसेंट्रलाइज और सिक्योर सिस्टम तैयार करना रहा है। लेकिन जैसे-जैसे Blockchain की यूटिलिटी और इस पर यूजर एक्टिविटी बढ़ी, इसकी परफॉरमेंस और स्केलेबिलिटी से जुड़ी चुनौतियां सामने आने लगीं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि Blockchain Trilemma क्या है, इसका ब्लॉकचेन पर क्या इम्पैक्ट होता है और इसे हल करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
Blockchain Trilemma वह सिद्धांत है जिसके अनुसार किसी भी ब्लॉकचेन नेटवर्क के लिए इन तीन क्वालिटी को एक साथ पूरी तरह हासिल करना बेहद कठिन होता है:
इसी कारण से ज्यादातर ब्लॉकचेन को इनमे से दो पहलुओं को प्रायोरिटी देनी पड़ती है और तीसरे से कुछ न कुछ कोम्प्रोमाईज़ करना पड़ता है। आइये इन्हें विस्तार से समझते हैं:
डिसेंट्रलाइजेशन
Blockchain का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस पर किसी एक व्यक्ति या संस्था का कण्ट्रोल नहीं होता है, इसी कारण यह Web3 की नींव बनने का दावा करती है। ब्लॉकचेन में डिसिजन लेने की पॉवर, वेलिडेशन और स्टोरेज कण्ट्रोल हजारों इंडिपेंडेंट नोड्स को दे दिया जाता है, जिसके कारण किसी एक व्यक्ति या संस्था की मर्जी से कोई भी बदलाव होने की सम्भावना समाप्त हो जाती है। यहाँ Blockchain Trilemma को इस तरह से समझा जा सकता है:
सिक्योरिटी
ब्लॉकचेन में सिक्योरिटी का अर्थ होता है, इसमें कोई हैकर डाटा में बदलाव न कर सके या नेटवर्क पर कण्ट्रोल हासिल न कर सके। ये Consensus Mechanism, क्रिप्टोग्राफ़िक इंटीग्रिटी और इकोनोमिक इंसेंटिव के बैलेंस से हासिल किया जाता है।
इसे हासिल करने के लिए:
स्केलेबिलिटी
इसका मतलब है, एक ब्लॉकचेन नेटवर्क कितनी तेजी से और कितने यूज़र्स को हैंडल कर सकता है, उसमें कितने ट्रांज़ैक्शन प्रति सेकंड (TPS) प्रोसेस होते हैं और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कितनी आसानी से एक्सीक्यूट होते हैं।
इसे हम इस तरह से समझ सकते हैं:
Blockchain Trilemma कोई केवल टेक्निकल कांसेप्ट नहीं है, यह पूरे Web3 इकोसिस्टम की डिज़ाइन लिमिटेशन है। इसकी वजह से अब तक कोई भी नेटवर्क परफेक्ट नहीं बन पाया है।
यूजर एक्सपीरियंस पर प्रभाव
ज्यादा फीस और स्लो कन्फर्मेशन के कारण यूज़र्स फ्रस्ट्रेट हो जाते हैं। Ethereum पर NFT मिंट की फीस भी कई बार $50 से $100 तक पहुंच जाती है।
नेटवर्क कंजेशन
स्केलेबिलिटी की कमी के कारण डिमांड ज्यादा होने पर नेटवर्क जाम हो जाता है। Ethereum ने 2021 में DeFi और NFT के बूम के दौरान एक्सट्रीम कंजेशन की स्थिति का सामना किया था।
एडॉप्शन में रुकावट
कम स्केलेबिलिटी के कारण DApps डेवलपर्स को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके कारण एक तरफ तो यह टेक्नोलॉजी महंगी हो जाती है और ट्रांज़ैक्शन में लगने वाला समय सामान्य यूज़र के ट्रस्ट को भी कम करता है।
नए इनोवेशन की दिशा
Layer-2 सॉल्यूशन, मॉड्यूलर चैन, इंटर ओपरेबल ब्लॉकचेन, सभी इस Blockchain Trilemma को ही हल करने के प्रयास हैं।
अलग-अलग ब्लॉकचेन इकोसिस्टम Blockchain Trilemma को सोल्व करने के लिए अपने-अपने तरीके से काम कर रहे हैं। इसके लिए Blockchain Architecture, एग्जीक्यूशन मॉडल और कोई सिक्योरिटी शेयरिंग के नए तरीकों पर काम किया जा रहा है।
Layer-2 Solutions
Layer 2, Layer 1 ब्लॉकचेन के आर्किटेक्चर पर काम करती है, जिससे Layer 1 पर किए जाने वाले काम बाँट दिए जाते हैं। सपोर्टिंग आर्किटेक्चर के अब तक सबसे ज्यादा Layer-2 सॉल्यूशन Ethereum पर देखने को मिले हैं।
उदाहरण के लिए zkSync, StarkNet और Arbitrum जैसे नेटवर्क Ethereum के ऊपर एक अलग लेयर पर काम करते हैं और बल्क में ट्रांज़ैक्शन को प्रोसेस करके कंप्रेस्ड रूप में Ethereum Mainnet पर भेजते हैं। इससे Ethereum पर सिक्योरिटी और डिसेंट्रलाइजेशन बनी रहती है और स्केलेबिलिटी हज़ारों TPS तक बढ़ जाती है।
Monolithic High-Performance Chains
ये नेटवर्क Consensus Mechanism में बदलाव करके Blockchain Trilemma से बचने की कोशिश करते हैं। जैसे:
Modular Blockchain Design
मॉड्यूलर ब्लॉकचेन आर्किटेक्चर में ब्लॉकचेन को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर काम किया जाता है और हर लेयर का एक स्पेसिफिक काम होता है। इसके उदाहरण है
Sharding
Sharding एक ऐसा तरीका है जिसमें ब्लॉकचेन को छोटे-छोटे भागों में बांट दिया जाता है, हर पार्ट को Shard कहा जाता है। इसके बाद हर Shard अपनी ट्रांज़ैक्शन अलग तरीके से प्रोसेस करता है, जिससे पूरा नेटवर्क ज़्यादा स्केलेबल बन जाता है।
मल्टीचेन इकोसिस्टम
Polkadot और Cosmos इस समस्या को “एक ब्लॉकचेन सब कुछ नहीं कर सकती” के कांसेप्ट से सोल्व करने का प्रयास करते हैं। जैसे:
| Blockchain | Decentralization | Security | Scalability | Comment |
| Bitcoin | High | Very High | Low | सबसे सिक्योर और डिसेंट्रलाइज, लेकिन बहुत धीमा |
| Ethereum (Layer-1) | High | High | Low | ज़बरदस्त सिक्योरिटी, लेकिन ट्रांजैक्शन कॉस्ट हाई |
| Solana | Moderate | Good | High | फ़ास्ट और अफोर्डेबल, लेकिन डिसेंट्रलाइजेशन में कमी |
| BNB Chain | Low | Moderate | High | फ़ास्ट लेकिन डिसेंट्रलाइजेशन में कमी |
| zkSync / StarkNet | High (L2) | High | High | Layer-2 पर तीनों पिलर का बेहतरीन बैलेंस |
| Celestia | High | High | High | Modular Design से Trilemma को एड्रेस करने वाला नया मॉडल |
Blockchain Trilemma एक ऐसी रियलिटी है जो हर ब्लॉकचेन डेवलपर के सामने कठिन विकल्प रखती है। डिसेंट्रलाइजेशन और सिक्योरिटी ब्लॉकचेन की नींव है, जबकि स्केलेबिलिटी के बिना इसका कोई महत्त्व नहीं रह जाता है।
इस Trilemma को सोल्व करने के लिए किए गए प्रयास धीरे-धीरे ब्लॉकचेन एडॉप्शन को भी बड़ा रहे हैं। आप इनका महत्त्व इसी से समझ सकते हैं की ब्लॉकचेन ही Web3 का आधार है और Blockchain Trilemma को सोल्व किए बिना यह आधार कमजोर ही बना रहेगा। स्पष्ट है कि यह केवल ब्लॉकचेन से जुडी समस्या नहीं है बल्कि इन्टरनेट के भविष्य को निर्धारित करने वाली समस्या है।
एक अन्य ब्लॉग में हमने इन प्रयासों के Next Evolution “Layer-2 Blockchain Solutions” को विस्तार से समझाने का प्रयास किया है, जो Blockchain Trilemma को ग्राउंड लेवल पर एड्रेस करते हैं।
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