स्पष्ट Crypto Policy न होने से 2035 तक होगा $1.1 ट्रिलियन का नुकसान
भारत में Crypto Regulation in India को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। Business Standard BFSI Insight Summit 2025 में इंडस्ट्री एक्सपर्ट, पॉलिसी बिल्डर और क्रिप्टो लीडर्स ने इंडिया के डिजिटल एसेट सेक्टर के लिए स्पष्ट और व्यापक रेगुलेशन तुरंत लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
उनका मानना है कि अगर पॉलिसी पर असमंजस इसी तरह से जारी रहा, तो हम न केवल इनोवेशन बल्कि टैलेंट दोनों को खो देंगे।

Source: यह इमेज Bitinning India की X Post से ली गयी है।
मुंबई में आयोजित इस सम्मेलन के पैनल डिस्कशन “India’s Crypto Crossroads: Time for a Policy Rethink?” में Bharat Web3 Association (BWA) के चेयरमैन Dilip Chenoy ने कहा कि इंडिया के पास 2032 तक इस सेक्टर में $1.1 ट्रिलियन का अवसर है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि, “G20 में इंडिया ने ग्लोबल रेगुलेशन की दिशा में नेतृत्व किया था, लेकिन विडंबना यह है कि 18 G20 देशों में किसी न किसी रूप में Crypto Regulation मौजूद है और इंडिया में नहीं। अब समय है कि हम सब मिलकर एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करें।”
वहीं, CoinDCX के CEO Sumit Gupta ने कहा, “Crypto Regulation की जरूरत कल थी, लेकिन अब अगला सबसे अच्छा समय आज है। अगर हम अब कदम नहीं उठाते, तो इनोवेशन का बड़ा मौका गंवा देंगे।”
पूर्व RBI Executive Director G. Padmanabhan ने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर तेजी से डिजिटाइजेशन और टोकनाइजेशन की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में रेगुलेशन बेहद जरूरी हो गया है। उन्होंने बताया कि “IMF के 70% सदस्य देश किसी न किसी रूप में Stablecoin Regulation पर काम कर रहे हैं। हम अब इससे और नहीं बच सकते।”
उन्होंने चेताया कि अगर 97% Stablecoins अमेरिकी डॉलर से जुड़े रहेंगे, तो इससे डॉलर का प्रभुत्व बढ़ेगा और हमारी मोनेटरी पॉलिसी कमजोर पड़ सकती है।
भारत की वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman भी Stablecoin का समर्थन कर चुकी हैं।
Chenoy ने सुझाव दिया कि रुपए द्वारा बेक्ड Stablecoin न केवल डॉलराइजेशन को रोक सकता है बल्कि रिमिटेंस कॉस्ट को भी कम कर सकता है। Gupta ने भी कहा कि अगर हमने अब कदम नहीं उठाया, तो दूसरे देश अपनी करेंसी का ग्लोबलाइजेशन कर लेंगे जबकि हमारा देश पीछे रह जाएगा।
Binance के Head of Asia-Pacific S. B. Seker ने कहा कि भारत डिजिटल एसेट एडॉप्शन में लगातार तीन साल से टॉप पर है, लेकिन क्लियर Crypto Regulation की कमी के कारण यह सेक्टर अब तक नेशनल प्रायोरिटी नहीं बन पाया है। उन्होंने कहा, “हमें तय करना होगा कि कौन-सा मॉडल अपनाना है, दुबई जैसे इंडिपेंडेंट रेगुलेटर वाला या मौजूदा स्ट्रक्चर के साथ इंटीग्रेटेड मॉडल।”
Gupta ने जोड़ा कि रेगुलेशन की कमी ने भारतीय क्रिप्टो एंटरप्रेन्योर्स को देश छोड़ने पर मजबूर किया है।
Chenoy ने भी चेतावनी दी कि देरी से हमारा देश न केवल इनोवेशन बल्कि रोजगार के अवसर भी खो रहा है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत के 27% बड़े क्रिप्टोकरेंसी प्रोडक्ट क्रिएटर्स पहले ही विदेश जा चुके हैं।
क्रिप्टो मार्केट के अपने 6 वर्षों के अनुभव के आधार पर में यह कह सकता हूँ कि यह सेक्टर लगातार इवोल्व हो रहा है। इस ग्लोबल फाइनेंशियल रेवोलुशन में भारतीय भी अपना योगदान दे रहे हैं। Polygon और Solana ऐसे दो बड़े उदाहरण है, जो क्रिप्टो पर भारत के प्रभाव की गवाही देते हैं।
लेकिन भारत में Cryptocurrency Regulation का न होना एक बड़े मौके को खोने की तरह है, सरकार को क्रिप्टोकरेंसी को ट्रेडिंग एसेट की बजाये इनोवेशन के माध्यम के रूप में देखने की जरुरत है।
स्पष्ट है कि Crypto Regulation in India अब सिर्फ एक पालिसी मैटर नहीं है, बल्कि स्ट्रेटेजिक आवश्यकता बन चुका है। भारत Web3 और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में ग्लोबल लीडरशिप कर सकता है, लेकिन रेगुलेटरी क्लैरिटी की कमी इसके विकास को रोक रही है। यदि भारत अभी निर्णायक कदम नहीं उठाता, तो न केवल Stablecoin अपॉर्चुनिटी बल्कि पूरे डिजिटल एसेट इकोसिस्टम में अपनी जगह खो सकता है।
अब समय है कि India क्रिप्टो को रेगुलेशन में लाकर, इनोवेशन और आर्थिक विकास की नई दिशा तय करे।
Disclaimer: क्रिप्टो मार्केट वोलेटाइल है, किसी भी इन्वेस्टमेंट से पहले अपनी रिसर्च जरुर करें। यह आर्टिकल केवल एजुकेशन के पर्पस से लिखा गया है।
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