भारत की डिजिटल फाइनेंस इंडस्ट्री में स्टेबलकॉइन को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। Polygon और बेंगलुरु स्थित Fintech कंपनी Anq ने मिलकर India का पहला ARC Stablecoin पेश किया है, जो देश की सरकारी सिक्योरिटीज और ट्रेज़री बिल्स के आधार पर 1:1 रेश्यो में बैक किया गया है।

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इसका जिसका पूरा नाम “Asset Reserve Certificate” है, यह एक regulated, non-speculative digital asset के रूप में डेवलप किया गया है। इसका मकसद भारतीय रुपये की वैल्यू को Digital रूप में बनाए रखना है। इससे ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन तेज़, सस्ते और सुरक्षित बनेंगे। हर एआरसी स्टेबलकॉइन को सरकार की सिक्योरिटीज़ और ट्रेज़री बिल्स का पूरा सपोर्ट मिलेगा, जिससे यूज़र्स को भरोसा रहेगा कि उनका Digital पैसा असली सरकारी एसेट्स से जुड़ा है।
Polygon, जो पहले से ही Franklin Templeton, BlackRock और JPMorgan जैसी ग्लोबल कंपनियों के साथ टोकनाइजेशन प्रोजेक्ट्स चला रहा है, अब India में अपनी विशेषज्ञता ला रहा है। वहीं, Anq भारतीय रेगुलेटरी माहौल की गहरी समझ रखता है और MSME लिक्विडिटी सुधारने के लिए टोकनाइजेशन फ्रेमवर्क डेवलप कर चुका है। दोनों कंपनियां मिलकर एक ऐसा blockchain-based framework तैयार कर रही हैं जो India के फाइनेंशियल सिस्टम के भीतर पूरी तरह काम करेगा।
इस स्टेबलकॉइन को इस तरह डिजाइन किया गया है कि हर नया Digital टोकन तभी बनाया जाएगा जब G-Secs खरीदे जाएंगे। इसका मतलब है कि Digital करेंसी जारी करने की प्रोसेस सीधे सरकारी सिक्योरिटीज से जुड़ी होगी। इससे सरकार के लिए डोमेस्टिक लेवल पर फंड जुटाना आसान हो सकता है और विदेशी स्टेबलकॉइन्स पर निर्भरता घटेगी।
Polygon के को-फाउंडर संदीप नेलवाल ने हाल ही में कहा कि आने वाले कुछ महीनों में India का खुद का स्टेबलकॉइन लॉन्च हो सकता है, एआरसी स्टेबलकॉइन उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
एआरसी स्टेबलकॉइन के ज़रिए भारतीय लिक्विडिटी अब विदेशी डॉलर-बेस्ड स्टेबलकॉइन्स में नहीं जाएगी। इसके बजाय, यह इंडिया की अपनी Sovereign Instruments से जुड़ी रहेगी। इस तरह यह देश की Monetary Sovereignty को और मज़बूत करेगा। साथ ही, G-Sec मार्केट को गहराई देने में भी मदद करेगा क्योंकि इस कॉइन की मांग बढ़ने से सरकारी बॉन्ड्स की डिमांड भी बढ़ेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, ARC Stablecoin को इंडिया की डिजिटल करेंसी (CBDC) के साथ एक पूरक भुगतान सिस्टम के रूप में देखा जा रहा है। इसे “Twin-Rupee मॉडल” कहा जा रहा है, जिसमें CBDC बैकएंड पर ट्रांज़ैक्शन सेटलमेंट संभालेगा, जबकि ARC Stablecoin लोगों और बिज़नेस के बीच आसान डिजिटल भुगतान की सुविधा देगा। इससे लेनदेन तेज़, सस्ता और स्मार्ट बनेगा और साथ ही RBI को मोनेटरी कंट्रोल बनाए रखने में मदद मिलेगी।
जो लोग या बिज़नेस डिजिटल पेमेंट या पैसे ट्रांसफर करते हैं, उनके लिए ARC Stablecoin एक भरोसेमंद और स्थिर ऑप्शन होगा। हर एआरसी Token इंडिया सरकार के सपोर्ट से जुड़ा होगा, जिससे इसका मूल्य सुरक्षित रहेगा। इससे पैसे भेजने की कॉस्ट घटेगी और ट्रांज़ैक्शन की गति पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ हो जाएगी।
यह प्रोजेक्ट विदेशी स्टेबलकॉइन्स जैसे USDT और USDC का भारतीय विकल्प बन सकता है। ARC Stablecoin यूजर्स को वही सुविधा देगा, लेकिन बिना विदेशी जोखिम या वॉलेटिलिटी के। Polygon की ग्लोबल स्टेट इस प्रोजेक्ट को ज्यादा रिलायबिलिटी प्रदान करती है।
यह कदम भारत के फाइनेंशियल सिस्टम को ज्यादा ट्रांसपेरेंट और मॉडर्न बना सकता है। अगर ARC Stablecoin सफल रहता है, तो भारत उन देशों की लाइन में आ जाएगा जो डिजिटल करंसी को असली सरकारी मूल्य से जोड़कर इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा मिलेगा और भारत का फाइनेंशियल स्ट्रक्चर और भी सुरक्षित, तेज़ और भरोसेमंद बनेगा।
ARC Stablecoin का लॉन्च भारत के लिए एक बड़ा कदम है। Polygon और Anq मिलकर ऐसा सिस्टम बना रहे हैं जिससे देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था और मज़बूत हो सके। अगर यह सफल होता है, तो भारत दुनिया के उन देशों में शामिल होगा जो अपने पैसे का डिजिटल रूप इस्तेमाल करते हैं।
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