क्रिप्टो वर्ल्ड में सिक्योरिटी हमेशा से सबसे बड़ा मुद्दा रही है। हाल ही में Shibarium Bridge Security से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें हैकर्स ने सिस्टम की कमजोरी का फायदा उठाकर अनअथॉराइज़्ड तरीके से फंड निकालने की कोशिश की। आइए जानते हैं यह पूरा मामला और टीम ने Shibarium Bridge Security को लेकर अब तक क्या कदम उठाए हैं।

Source: यह इमेज Shib की X पोस्ट ली गई है। जिसकी लिंक यहां दी गई है।
12 सितंबर 2025 को शाम 6:44 बजे (UTC समयानुसार), Shibarium PoS Bridge में बड़ी गड़बड़ी देखने को मिली। हैकर्स ने “अनऑथराइज्ड वेलिडेटर साइनिंग पावर” का इस्तेमाल कर एक मैलिशियस स्टेट/एग्जिट को पुश किया और इसके जरिए कई एसेट्स को ब्रिज से बाहर निकाल लिया।
इस प्रोसेस में उन्होंने शॉर्ट-लिव्ड स्टेक एम्प्लीफिकेशन और मैलिशियस चेकपॉइंट/एग्जिट प्रूफ्स का कॉम्बिनेशन यूज़ किया। इसका सीधा असर यह हुआ कि वे कई टोकन्स जैसे ETH, SHIB और $ROAR को अनअथॉराइज़्ड तरीके से विड्रॉ करने में सफल रहे। इसके बाद ऑन-चेन एक्टिविटी में साफ दिखा कि अटैकर ने इन टोकन्स के कुछ हिस्से बेच भी दिए।
फिलहाल शिबेरियम टीम ने अटैकर से जुड़े वॉलेट्स की जानकारी पब्लिक नहीं की है ताकि जांच में रुकावट न आए और लॉ एनफोर्समेंट के साथ कोआर्डिनेशन जारी रखा जा सके।
टीम ने तुरंत कई बड़े कदम उठाए ताकि Shiba Inu Exploit से हुए नुकसान को रोका जा सके और आगे ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। Shibarium Bridge Security को मजबूत बनाने के लिए नीचे दिए उपाय भी किए हैं।
शिबेरियम टीम का साफ कहना है कि कई स्वतंत्र OSINT रिसर्चर्स ने इस केस की गहराई से जांच की है। उन्होंने अटैकर की संभावित पहचान, उनके इंफ्रास्ट्रक्चर और पैटर्न्स को समझने की कोशिश की है। टीम ने कहा है कि वे किसी भी अनवेरिफाइड जानकारी को पब्लिक नहीं करेंगे। रिसर्चेर्स के नतीजे उनके अपनी चैनल्स पर पब्लिश होंगे।
शिबेरियम टीम ने आगे की योजना भी शेयर की है, हालांकि इसमें किसी तरह की ऑपरेशनल डिटेल्स नहीं दी गई हैं। Shibarium Bridge Security रोडमैप में चार फेज़ रखे गए हैं।
Phase A – Containment: ब्रिज को फिलहाल बैन रखा जाएगा और मॉनिटरिंग जारी रहेगी।
Phase B – Hardening: Hexens टीम के साथ मिलकर सिक्योरिटी को मजबूत बनाया जाएगा। इसमें वेलिडेटर की कस्टडी सुधार, रेट-लिमिट, चैलेंज विंडोज़ और सर्किट ब्रेकर जैसे पॉलिसी-लेवल कंट्रोल्स शामिल होंगे।
Phase C – Safe Restoration: जब तक सभी इंडिपेंडेंट रिव्यू पूरे नहीं हो जाते और टेस्टिंग सक्सेसफुल नहीं होती, तब तक ब्रिज को पूरी तरह चालू नहीं किया जाएगा। रिस्टोरेशन भी फेज़ वाइज और सुरक्षित तरीके से होगा।
Phase D – Postmortem & Community Process: घटना के बाद पूरी टेक्निकल रिपोर्ट पब्लिश की जाएगी और प्रभावित यूज़र्स को मुआवज़े के लिए कम्युनिटी-ड्रिवन प्रोसेस पर काम होगा।
शिबेरियम ब्रिज पर यह घटना क्रिप्टो स्पेस की सिक्योरिटी चुनौतियों को एक बार फिर उजागर करती है। टीम ने तुरंत और सख्त कदम उठाकर हालात को काबू में किया है। आने वाले हफ्तों में यह देखना अहम होगा कि Shibarium Bridge Security कितनी जल्दी और सुरक्षित तरीके से बहाल की जाती है।
मेरे 5 साल के क्रिप्टो एक्सपीरियंस के अनुसार, सिर्फ टेक्निकल उपाय ही काफी नहीं हैं। Shibarium Bridge Security घटना दिखाती है कि ब्रिज की सुरक्षा के लिए रियल‑टाइम मॉनिटरिंग, मल्टी‑लेयर कस्टडी और लगातार ऑडिट जरूरी हैं। यह केस साबित करता है कि तेज़ रिस्पॉन्स और मजबूत प्रोटोकॉल सुधार ही यूज़र्स के फंड की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
शिबेरियम ब्रिज का यह सिक्योरिटी इंसीडेंट पूरी क्रिप्टो इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी चेतावनी है। घटना ने दिखा दिया कि ब्लॉकचेन और ब्रिजिंग सिस्टम्स कितने सेंसिटिव हो सकते हैं और उनमें सिक्योरिटी की लगातार मॉनिटरिंग कितनी जरूरी है। हालांकि टीम ने तेज़ी से एक्शन लेकर हालात को काबू में किया और भविष्य के लिए सख्त कदम भी तय किए हैं। Shibarium Bridge Security के इस केस से स्पष्ट हो गया है कि भरोसे के साथ-साथ सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
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