भारतीय रिज़र्व बैंक के Deputy Governor T Rabi Shankar के अनुसार Stablecoins भारतीय फाइनेंशियल स्ट्रक्चर के लिए मैक्रो इकोनोमिक रिस्क पैदा कर सकते हैं। Shankar ने यह बात Annual BFSI Conclave में दिए गए अपने वक्तव्य में कही है।
Stablecoin ऐसी क्रिप्टोकरेंसी होती है, जिनकी वैल्यू किसी एक एसेट जैसे डॉलर, रुपए या सोने के साथ जुडी होती है। USDT दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला स्टेबलकॉइन है, जिसकी वैल्यू 1 डॉलर के मूल्य के बराबर होती है।

Source: X Post
T Rabi Shankar ने अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा कि स्टेबलकॉइन में “Money” के 2 मुख्य गुण नहीं है,
Money as Fiat
Singleness of Money
“Money as Fiat” का अर्थ है कि किसी भी करेंसी को सरकार का समर्थन होता है। कोई भी उस सरकार की टेरिटरी के अन्दर उसे लेने से मना नहीं कर सकता है। लेकिन USDT या USDC के साथ ऐसा नहीं है।
“Singleness of Money” को हम इस तरह से समझ सकते हैं कि 100 रुपए के नोट का Source of Origin कोई भी हो, इसका मूल्य हर हाल में 100 रुपए ही होगा। USDT या USDC जैसे कॉइन के लिए ऐसा नहीं है, कई बार इनमें ट्रांज़ैक्शन के समय एक्स्ट्रा कास्ट या डिस्काउंट दे दिया जाता है।
इन कारणों का हवाला देते हुए RBI Deputy Governor ने इस स्टेबल क्रिप्टोकरेंसी को वास्तविक मुद्रा की बजाये “Private Money” कहा है।
क्रिप्टोकरेंसी के समर्थक इसे फ़ास्ट क्रॉस बॉर्डर पेमेंट और फाइनेंशियल इन्क्लूजन को बढ़ावा देने वाला बताते हैं लेकिन RBI Deputy Governor ने इस पर भी सवाल उठाये हैं। उनके अनुसार कोई भी क्रिप्टो यूज़र इन्टरनेट, स्मार्टफ़ोन डिवाइस और क्रिप्टो वॉलेट के बिना काम नहीं कर सकता। Financial Inclusion में सबसे बड़ी बाधा इंफ्रास्ट्रक्चर और एजुकेशन की कमी ही है। ऐसे में यह काम्प्लेक्स सिस्टम इसे कैसे बढ़ावा देगा, इस पर उन्होंने सवाल खड़े किये हैं।
उन्होंने Unified Payment Interface (UPI) का जिक्र करते हुए कहा कि यह पहले से ही फ़ास्ट और रिलाएबल पेमेंट उपलब्ध करवाता है। जबकि Stablecoins केवल क्रिप्टो इकोसिस्टम के अन्दर ही ट्रेडिंग या लेवरेज के लिए उपयोग किए जा रहे हैं। इससे पहले RBI Governor Sanjay Malhotra भी IMF और World Bank की वार्षिक बैठक में, CBDC को Stablecoins से बेहतर बता चुके हैं।
हालांकि इस बयान में उन्होंने इस तथ्य को नज़रअंदाज किया कि UPI केवल भारत के अन्दर काम करता है, जबकि Stablecoin ग्लोबल लेवल पर पेमेंट में भी काम आ सकता है।
T Rabi Shankar ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर स्टेबलकॉइन का उपयोग बढ़ता है तो यह Currency Substitution और Dollarization को बढ़ावा दे सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इससे तीन बड़े खतरे उत्पन्न होंगे:
RBI की Monetary Policy के Transmission में।
कैपिटल फ्लो मैनेजमेंट कमजोर पड़ेगा।
बैंकों में लिक्विडिटी कम होगी, जो उनकी लोन देने की क्षमता को घटा सकती है।
RBI Deputy Governor के अनुसार, अगर यह स्थिति बनती है तो बैंक लिक्विडिटी के लिए मार्केट से ज्यादा RBI पर निर्भर होंगे। यह स्थिति ट्रेडिशनल पालिसी टूल कमजोर हो जायेंगे,जिनका उपयोग रिज़र्व बैंक भारत की इकोनोमी को स्थिर रखने के लिए करता है। जो अंततः Systemic Vulnerability को बढ़ाएगा।
RBI Deputy Governor के इस बयान से स्पष्ट है कि भारतीय रिज़र्व बैंक का क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अब भी नेगेटिव स्टैंड रखता है। लेकिन यह भी समझने वाली बात है कि
Dollarization को Rupee Backed Stablecoin से रोका जा सकता है,
UPI केवल इंटरनल ट्रांज़ैक्शन के लिए उपयोगी है, CBDC की ग्लोबल एक्सेप्टेंस पर अब भी सवाल है।
DeFi बिना मानवीय हस्तक्षेप के लोन लेना या देना संभव बनाता है, जो भारत में फैले भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ा हथियार बन सकता है।
ऐसे में जरुरी है कि Reserve Bank of India और भारत सरकार मिलकर कोई ऐसा रास्ता निकाले जो इनोवेशन के द्वारा इस बढ़ते हुए ग्लोबल ट्रेंड को साध सके।
Disclaimer: यह आर्टिकल एजुकेशनल पर्पस से लिखा गया है। क्रिप्टो मार्केट वोलेटाइल है, किसी भी इन्वेस्टमेंट से पहले अपनी रिसर्च जरुर करें।
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