भारत में Crypto Regulation को लेकर सोच अब बदल रही है। संसद की गृह मामलों की समिति ने सुझाव दिया है कि क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने के बजाय इसे FEMA (Foreign Exchange Management Act) के तहत डिजिटल एसेट के रूप में मान्यता दी जाए और इसके लिए एक स्पष्ट Crypto Regulation बनाया जाए।
2019 से 2024 के बीच क्रिप्टो से जुड़े ₹31,594 करोड़ के फ्रॉड और 53.9 लाख शिकायतों को देखते हुए, भारत सरकार ने अब Crypto Ban पर नज़रिया बदलकर Crypto Regulation की पहल की है। हालांकि समिति मानती है कि क्रिप्टो का इस्तेमाल गलत कामों में हुआ है, जैसे स्कैम और मनी लॉन्ड्रिंग, लेकिन इसका हल बैन नहीं है। समिति का मानना है कि अगर सही नियम, निगरानी और ट्रांसपेरेंसी लाई जाए, तो क्रिप्टो को सुरक्षित और जिम्मेदारी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
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समिति का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी नहीं, बल्कि डिजिटल एसेट की तरह माना जाना चाहिए। ऐसा करने से इसे कानूनी पहचान मिलेगी और सरकार इसे बेहतर तरीके से नियमों के तहत रख सकेगी। इससे न सिर्फ निवेशकों को भरोसा मिलेगा, बल्कि क्रिप्टो एक्सचेंज भी साफ-साफ समझ पाएंगे कि उन्हें कैसे काम करना है। कुल मिलाकर, Crypto Regulation शुरू करने का यह कदम क्रिप्टो को सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
क्रिप्टो एक्सचेंजों को अब एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (AML) और नो योर कस्टमर (KYC) जैसे नियमों का पालन करना होगा। साथ ही समिति ने यह भी कहा है कि भारत को FATF (Financial Action Task Force) की इंटरनेशनल गाइडलाइंस को भी अपनाना चाहिए ताकि क्रिप्टो के गलत इस्तेमाल पर लगाम लगाई जा सके।
Stablecoins जैसे डिजिटल करेंसी जो डॉलर या रुपये जैसी ट्रेडिशनल करेंसी से जुड़ी होती हैं, उन पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की सीधी निगरानी होनी चाहिए। समिति ने कहा है कि किसी भी Stablecoin को भारत में लॉन्च करने से पहले RBI की परमिशन लेना जरुरी होगा।
Crypto Regulation लाने का कदम इस बात को सुनिश्चित करेगा कि देश की मॉनेटरी पॉलिसी और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को खतरा न पहुंचे, जैसा कि पहले RBI कई बार चेतावनी दे चुका है।
एक क्रिप्टो राइटर के रूप में मैं पिछले कुछ वर्षों से इस इंडस्ट्री से जुड़े सवालों, लेखों और यूज़र फीडबैक पर लगातार काम कर रही हूँ। इस दौरान मैंने अक्सर देखा है कि भारत में क्रिप्टो निवेशकों को सबसे ज्यादा दिक्कत स्पष्ट टैक्स और कानूनी नियमों की कमी से होती है।
संसद की समिति द्वारा क्रिप्टो इंडस्ट्री के लिए Crypto Regulation की एक साफ और ठोस टैक्सेशन व लीगल फ्रेमवर्क की सिफारिश बिल्कुल जरूरी कदम है। इससे न सिर्फ सरकार को बेहतर रेगुलेटरी कंट्रोल मिलेगा, बल्कि टैक्स रेवेन्यू भी बढ़ेगा। साथ ही, निवेशकों को अपने निवेश पर भरोसा करने में आसानी होगी।
भारत का नया नजरिया अब उन देशों के जैसा है जो क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने के बजाय उसे सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। IMF-FSB की रिपोर्ट (2023) भी मानती है कि क्रिप्टो में खतरे हैं, लेकिन सही नियमों से उसे सुरक्षित बनाया जा सकता है।
भारत अब चीन जैसे बैन मॉडल से हटकर ऐसा सिस्टम बनाना चाहता है जो सुरक्षा और टेक्निकल इनोवेशन का बैलेंस बनाए। PRS India की 2025 की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अगर DLT टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल और नियमों के साथ डेवलप किया जाए, तो भारत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ सकता है।
अब भारत सरकार और संसद यह मानती है कि क्रिप्टो पर बैन लगाना कोई स्थायी हल नहीं है। इसकी बजाय सरकार Crypto Regulation लाकर इसे एक डिजिटल एसेट के रूप में मान्यता देकर, RBI की निगरानी, KYC नियम और स्पष्ट टैक्स कानून के तहत लाना चाहती है। इस बदलाव से न केवल क्रिप्टो इंडस्ट्री को दिशा मिलेगी, बल्कि निवेशकों को भी भरोसा बढ़ेगा। Crypto Regulation का यह कदम भारत को टेक्निकल रूप से आगे बढ़ाने और नई आर्थिक संभावनाएं खोलने में मदद करेगा। क्रिप्टो अब धीरे-धीरे आम लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन सकता है।
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