भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि जनवरी 2024 से सितंबर 2025 के बीच लगभग ₹623 करोड़ भारत से बाहर भेजे गए। यह रकम 27 विभिन्न Crypto Exchanges के माध्यम से रूट की गई, जिससे Money Laundering India से जुड़े मामलों पर देशभर में बहस तेज़ हो गई है। यह रिपोर्ट दिखाती है कि डिजिटल एसेट मार्केट में मौजूद खामियों का फायदा उठाकर अपराधियों ने अवैध ट्रांसफर को आसानी से अंजाम दिया।

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भारत में क्रिप्टो ट्रांज़ैक्शन पर 30% टैक्स और सख्त निगरानी लागू है। इसके बावजूद कुछ एक्सचेंजों ने KYC और AML जैसे नियमों का सही पालन नहीं किया। I4C ने साफ किया कि सभी प्लेटफॉर्म शामिल नहीं थे, लेकिन कुछ ऑपरेटरों ने लापरवाही दिखाई, जिससे आम यूज़र्स की सुरक्षा खतरे में पड़ गई।
रिपोर्ट बताती है कि यह अमाउंट लगभग 2,872 साइबर अपराध पीड़ितों से निकाली गई। जांच में एक तय पैटर्न सामने आया।
कई मामलों में ये सिंडिकेट कथित तौर पर चीन से ऑपरेटेड पाए गए।
27 में से एक एक्सचेंज का इस्तेमाल ही ₹360 करोड़ बाहर भेजने में किया गया। यह इस बात का बड़ा संकेत है कि एक ही प्लेटफॉर्म की सुरक्षा कमजोरी देशभर में कितना नुकसान कर सकती है।
Chainalysis के अनुसार दुनिया भर में करीब $5.8 बिलियन की अवैध डिजिटल राशि हर साल घूमती है।
इससे साफ है कि भारत को इंटरनेशनल लेवल के बराबर सुरक्षा स्टैण्डर्ड अपनाने होंगे ताकि Money Laundering India से जुड़े मामलों पर रोक लगाई जा सके।
X पर इस रिपोर्ट के बाद बड़ी बहस चल रही है।
कई यूज़र्स Bitbns जैसे प्लेटफॉर्मों से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं कुछ का कहना है कि देश में इससे भी बड़े आर्थिक अपराध होते हैं, फिर केवल क्रिप्टो पर इतनी सख्ती क्यों? इन चर्चाओं ने भारत में क्रिप्टो नियमों के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
I4C ने स्पष्ट किया कि यह रिपोर्ट क्रिप्टो को बंद करने के लिए नहीं है। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि डिजिटल एसेट का दुरुपयोग न हो और यूज़र्स सुरक्षित रह सकें। उन्होंने भारतीय यूज़र्स को सलाह दी है:
पिछली रिपोर्ट्स के अनुसार भी यह खबर सामने आयी थी की Crypto Ban नहीं होगा और भारत Crypto Regulation लाएगा। भारत सरकार अब क्रिप्टो को बैन करने के बजाय इसे व्यवस्थित रूप से रेगुलेट करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। समिति का मानना है कि क्रिप्टो का दुरुपयोग स्कैम और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में हुआ है, लेकिन इसका समाधान प्रतिबंध नहीं है। उनका कहना है कि मजबूत नियम, बेहतर मॉनिटरिंग और के साथ क्रिप्टो को सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह रिपोर्ट दिखाती है कि देश में क्रिप्टो को ज्यादा अपनाया जा रहा है, लेकिन इसके साथ जोखिम भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि:
क्या सरकार नए नियम लाती है या इंडस्ट्री खुद अपने सिस्टम को और मजबूत बनाती है फिलहाल, ₹623 करोड़ का यह मामला बड़ा संकेत है कि Money Laundering India जैसे खतरों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का समय आ चुका है।
क्रिप्टो और Web3 इंडस्ट्री में 7 साल काम करने के अनुभव से मैं मानती हूँ कि ऐसी घटनाएँ केवल टेक्निकल कमी नहीं, बल्कि निगरानी और शिक्षा की कमी का नतीजा हैं। एक्सचेंजों को इंटरनेशनल AML स्टैण्डर्ड को अपनाना चाहिए और यूज़र्स को भरोसेमंद, रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म पर ही ट्रेड करना चाहिए। यही भारत के क्रिप्टो भविष्य को सुरक्षित बनाएगा।
₹623 करोड़ का मामला यह दिखाता है कि भारत में डिजिटल एसेट्स का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन जोखिम उससे भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं। I4C की रिपोर्ट साबित करती है कि कमज़ोर सुरक्षा वाले एक्सचेंज पूरे सिस्टम को खतरे में डाल सकते हैं। अब ज़रूरत है कि यूज़र्स केवल रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म का उपयोग करें और सरकार ट्रांसपेरेंट नियमों को और मजबूत बनाए। यह घटना बताती है कि Money Laundering India को रोकने के लिए तुरंत ठोस कदम ज़रूरी हैं।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी देने के लिए है। इसे किसी तरह की निवेश सलाह न समझें। क्रिप्टो मार्केट बहुत उतार-चढ़ाव वाला होता है, इसलिए पैसे लगाने से पहले खुद अच्छी तरह रिसर्च कर लें। किसी भी नुकसान या जोखिम के लिए राइटर या प्लेटफॉर्म जिम्मेदार नहीं है।
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