G20 Summit 2025 के बाद वैश्विक आर्थिक और डिजिटल इकोसिस्टम में क्रिप्टो एसेट्स को लेकर एक निर्णायक बदलाव देखने को मिलने वाला है। इस वर्ष के G20 2025 Declaration में पहली बार Virtual Assets को फ्यूचर इनोवेशन का पिलर माना गया है। भारत सरकार द्वारा इस डिक्लेरेशन को मान्यता दी गयी है, जिसके कारण Indian Crypto Regulations में बड़े बदलाव होने की सम्भावना है।
भारत पहले ही एक पूरी तरह नए डिजिटल कानून Digital India Act (DIAR) पर काम कर रहा है। Digital India Act का उद्देश्य पुराने IT Act 2000 की जगह लेकर Web3, AI, Digital Assets और Cyber Safety जैसे पूरे डिजिटल लैंडस्केप को आधुनिक बनाना है। G20 Summit 2025 Declaration में शामिल बिंदु अब इसे न सिर्फ़ ग्लोबल एलाइनमेंट देंगे, बल्कि Indian Crypto Regulations में भी निर्णायक बदलाव कर सकते हैं।
इस डिक्लेरेशन के Paragraph 28 में स्पष्ट रूप से, Virtual Digital Assets को फ्यूचर इनोवेशन का महत्वपूर्ण स्तम्भ कहा, जिनमें Cryptocurrency और Tokenized Assets शामिल हैं।
यह स्टेटमेंट इस बात की ओर इशारा करता है कि अब G20 देशों की नज़र में Cryptocurrency सिर्फ़ एक Speculative या High-risk Asset Class नहीं, बल्कि इनोवेशन और नए फाइनेंशियल यूज़ केस का हिस्सा भी मानी जा रही है। इसके अनुसार DeFi, NFT Tokenization, On-chain Identity, डिजिटल ओनरशिप, ये सभी Web3 इनोवेशन ग्लोबल फाइनेंस को नया रूप दे रहे हैं। G20 Summit 2025 में देखा गया यह रुख साफ़ दर्शाता है कि अब दुनिया इसे गंभीरता से ले रही है और ग्लोबल रेगुलेशन की ओर बढ़ रही है।
India Crypto Adoption में पहले नंबर पर है। Crypto Exchanges में ट्रांज़ैक्शन वॉल्यूम लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में भारत सरकार द्वारा ऐसे डॉक्यूमेंट पर सहमत होना जो क्रिप्टोकरेंसी को इनोवेशन के लिए जरुरी मानता है, जल्द ही Indian Crypto Regulations में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है।
Digital India Act भारत का अगली पीढ़ी का डिजिटल गवर्नेंस फ्रेमवर्क होगा। यह सिर्फ IT कानून का अपडेट नहीं, बल्कि एक नया इकोसिस्टम रेगुलेशन मॉडल है। जिसमें Web3, AI, Quantum Technology, Cybercrime और Virtual Assets को एक इंटीग्रेटेड कानून के तहत लाया जाएगा।
Cryptocurrency पर यह बिल इस तरह से सीधे इम्पैक्ट डालने वाला है:
Crypto को ‘Virtual Asset’ की Legal Definition
DIAR में क्रिप्टो को Virtual Asset के रूप में परिभाषित किया जाएगा, जो G20 Summit 2025 के Paragraph 28 से पूरी तरह मेल खाता है। लीगल डेफिनेशन रेगुलेटरी क्लैरिटी, टैक्सेशन और इन्वेस्टर प्रोटेक्शन को लेकर भी बड़े बदलाव आ सकते है।
Licensing & Oversight
DIAR में एक्सचेंजेस के लिए RBI या SEBI के द्वारा लाइसेंसिंग मॉडल प्रस्तावित है। G20 के Paragraph 29 में जिस FSB Crypto Framework के बारे में बात की गयी है, उसमें Crypto Platforms के लिए बैंकिंग के स्तर के गवर्निंग रूल्स की बात कही गयी है, इनमें DeFi Platform भी शामिल है।
AML/CFT Transparency
G20 Summit 2025 Declaration के Paragraph 31 के अनुसार FATF Standards का पूरी तरह से इम्प्लीमेंटेशन जरूरी है। DIAR के तहत सभी VASPs (Virtual Asset Service Providers) को KYC, Suspicious Transaction रिपोर्ट करना और क्रॉस बॉर्डर मोनिटरिंग को अपनाना होगा। भारत में यह प्लेटफार्म पर पहले से लागू FIU India Reporting से जुड़े नियमों को और सख्त कर सकता है।
G20 Summit 2025 में Stablecoins को सबसे बड़ा Systemic Threat मानते हुए स्पष्ट दिशा निर्देश दिए गए हैं। इसके अनुसार
Stablecoins
USDT और USDC जैसे Stablecoins पर बैंकिंग ग्रेड की निगरानी की बात कही गयी है। भारत में RBI पहले भी Stablecoins को लेकर काफी स्ट्रिक्ट रहा है। इसलिए अगर G20 2025 Summit Declaration को जल्द ही अडॉप्ट करने वाला है तो हमें जल्द ही Stablecoins पर कठोर निर्णय देखने को मिल सकता है। हालांकि हाल ही में Rupee Backed CBDC Compliant ARC Stablecoin Launch की बात कही गयी है, ऐसे में इस नए रुपए आधारित स्टेबलकॉइन को जबरदस्त बूस्ट भी मिल सकता है।
Paragraph 32 DeFi के लिए “Same Activity, Same Risk, Same Regulation” के सिद्धांत को लागू करने की बात करता है। इसका परिणाम भारतीय स्टार्टअप जो DeFi में काम कर रहे हैं, उन पर निश्चित रूप से पड़ने वाला है। Lending, Staking, Yield Pools जैसे DApps को फाइनेंशियल इन्स्टिट्यूशन जैसे नियमों का पालन करना पड़ेगा।
इससे शोर्ट टर्म में इनोवेशन धीमा पड़ सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह सुरक्षित Web3 Ecosystem विकसित करने में मदद कर सकता है।
क्रिप्टो मार्केट में अपने लगभग 6 वर्षों के अनुभव के आधार पर मुझे ऐसा लगता है कि अगर G20 जैसे बड़े देशों का समूह Balanced Crypto Regulation अपनाता है, तो इससे Web3 इनोवेशन को लंबी अवधि में मजबूत आधार मिल सकता है।
G20 Summit 2025 के बाद भारत पर भी यह दबाव और उम्मीद दोनों रहेगी कि वह 2025 के आखिर तक FSB Framework के साथ अपने रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को अपनाये, हालांकि इसकी अंतिम टाइमलाइन और exact रूपरेखा सरकार के आगे के कदमों पर निर्भर करेगी।
ऐसे में हमें 1 December से शुरू होने वाले संसद के शीत सत्र में Digital India Act से जुड़ा बिल देखने को मिल सकता है। कुल मिलाकर, 2026 Virtual Assets और Web3 Regulation के लिए एक बहुत अहम साल साबित हो सकता है, क्योंकि G20 Framework, DIAR और ग्लोबल गाइडलाइन मिलकर नई दिशा तय कर सकते हैं।
इससे Indian Crypto Regulation में स्पष्टता आएगी और Web3 Innovation को तेजी मिलने की सम्भावना है।
G20 Summit 2025 ने एक जैसे Global Crypto Regulations का रास्ता खोला है।इसके साथ ही अब दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को फ्यूचर इनोवेशन का पिलर माना है।लेकिन इसके साथ ही FSB Crypto Framework को लागू करने से स्पष्ट है कि अब दुनिया इनोवेशन के साथ एकाउंटेबिलिटी भी सुनिश्चित करना चाहती है।
भारत यदि Digital India Act को G20 Standards के साथ लागू करता है, तो Web3 इंफ्रास्ट्रक्चर, FDI Inflow और DeFi को जबरदस्त बूस्ट मिल सकता है। हालांकि शोर्ट टर्म में कुछ समस्याएँ आ सकती है। लेकिन लॉन्ग टर्म में यह सस्टेनेबल Web3 Ecosystem बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
Disclaimer: यह आर्टिकल एजुकेशनल पर्पस से लिखा गया है। क्रिप्टो मार्केट वोलेटाइल है, किसी भी तरह के इन्वेस्टमेंट से पहले अपनी रिसर्च जरुर करें।
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