पाकिस्तान के प्रधानमंत्री Shehbaz Sharif ने Pakistan Crypto Council के CEO Bilal bin Saqib को Blockchain और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े केसेस के लिए स्पेशल असिस्टेंट बनाया है। यह नियुक्ति तुरंत लागू हो गई है। Bilal bin Saqib को मिनिस्टर ऑफ़ स्टेट के रूप में अपॉइंट किया गया है, लेकिन इन्हें सैलरी या किसी भी तरह की सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेंगी। इस क़दम को उठाने का उद्देश्य पाकिस्तान में ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र को मजबूत करना और देश को डिजिटल वर्ल्ड में आगे बढ़ाना है।
यह कदम पाकिस्तान की डिजिटल इकॉनमी को डेवलप करने के लिए पाकिस्तान गवर्नमेंट की स्ट्रेटेजी और विज़न को दर्शाता है। पाकिस्तान अब क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को अपनी इकोनॉमिक और स्ट्रेटेजिक ताकत बनाने की कोशिश कर रहा है।

पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान ने क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। इनमें सबसे बड़ा क़दम है Bitcoin Mining और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए 2,000 मेगावॉट एक्स्ट्रा इलेक्ट्रिसिटी देना। इसका उद्देश्य देश की डिजिटल इकॉनमी को स्ट्रांग करना है।
साथ ही, पाकिस्तान की मिनिस्ट्री ऑफ़ फाइनेंस ने एक नई संस्था ‘Pakistan Digital Assets Authority’ (PDAA) बनाने के लिए भी सपोर्ट किया है। यह संस्था डिजिटल एसेट्स जैसे Crypto Exchanges, Wallet, Stablecoin और Defi Apps के लिए रूल्स बनाएगी और उनको कंट्रोल करेगी।
Pakistan Crypto Council के CEO Bilal bin Saqib, जो लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के ग्रेजुएट हुए हैं और ब्रिटेन के राजा से सम्मानित हो चुके हैं और इस काम के लिए चुने गए हैं। वहीं Binance के CEO Changpeng Zhao को भी एडवाइजर बनाया है। Bilal का काम FATF के रूल्स के अनुसार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े रूल्स बनाना और गवर्नमेंट Bitcoin Mining प्रोजेक्ट्स शुरू करना होगा।
इस क़दम से पता चलता है कि Pakistan Crypto Council देश के डिजिटल रिवॉल्यूशन में बहुत बड़ा रोल निभा रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में डिप्लोमेटिक तनाव बढ़ा है। ऐसे समय में जब दोनों देशों के रिश्ते ठीक नहीं हैं, तब पाकिस्तान की ओर से क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी से उठाए जा रहे यह कदम भी भारत के लिए एक नई चुनौती हो सकती हैं।
वहीं भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी के लिए नियम सख्त हैं, लेकिन सरकार धीरे-धीरे इस क्षेत्र को समझ रही है और नए नियम बना रही है। वहीं, पाकिस्तान ने Pakistan Crypto Council के जरिए इस क्षेत्र में बड़ा इन्वेस्टमेंट और प्लानिंग शुरू कर दी हैं।
इस स्थति को देखते हुए मेरे अनुसार, भारत को इन बदलाव को सिरियसली लेना चाहिए। क्योंकि Pakistan Crypto Council की मदद से क्रिप्टोकरेंसी को अपनी इकॉनमी और सेफ्टी का हिस्सा बना रहा है। वहीं भारत को भी अपनी डिजिटल पॉलिसी को और स्ट्रांग करना चाहिए ताकि वह रिजनल कॉम्पिटिशन में पीछे न रहे।
भारत को क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन को केवल इन्वेस्टमेंट का जरिया न समझकर, इसे डिजिटल फाईनेंशियल सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना चाहिए और भारत को टेक्नोलॉजी में इन्वेस्टमेंट भी बढ़ाना चाहिए ताकि देश ग्लोबल और रीजनल लेवल पर स्ट्रांग बना रहे।
पाकिस्तान की यह स्ट्रेटेजी सिर्फ इकॉनोमिक नहीं, बल्कि सेफ्टी और स्ट्रेटेजिक अप्रोच से भी बहुत महत्वपूर्ण है। अगर Pakistan Crypto Council की मदद से पाकिस्तान इस क्षेत्र में सफल होता है, तो वह साउथ एशिया का डिजिटल हब बन सकता है।
इससे भारत के सामने नए चैलेंजेस भी आएंगे, खासकर जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा हो। इसलिए भारत को भी अपनी डिजिटल पॉलिसी को तेज़ी से लागू करना होगा और क्रिप्टो टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ना होगा।
भारत सरकार को ट्रांसपेरेंसी और आसान रूल्स बनाने होंगे, ताकि इन्वेस्टर्स और टेक्नोलॉजीकल डेवलपर्स का भरोसा बढ़े और वे भारत में काम करना पसंद करें।
पाकिस्तान की सरकार ने Pakistan Crypto Council के CEO CEO Bilal bin Saqib को प्रधानमंत्री का विशेष सहायक बनाकर और Bitcoin Mining के लिए बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रीसिटी अलोकेट करके साफ संकेत दिया है कि वह डिजिटल इकॉनमी में तेजी से आगे बढ़ना चाहता है।
वहीं भारत-पाकिस्तान के बीच पॉलिटिकल प्रेशर के बीच भी यह डिजिटल कॉम्पिटिशन और भी बढ़ सकता है। इसलिए भारत को भी क्रिप्टो और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का तेजी से एडॉप्शन करना चाहिए और इस क्षेत्र में स्ट्रांग होना चाहिए।
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