शिमला से जारी आधिकारिक जानकारी के अनुसार, Enforcement Directorate (ED) ने 13 दिसंबर 2025 को हिमाचल प्रदेश और पंजाब में आठ ठिकानों पर तलाशी कैम्पेन चलाया। यह कार्रवाई पैसे को गलत तरीके से घुमाने के आरोपों की जांच के लिए हुई। जांच का केंद्र एक बड़े Fake Crypto Ponzi Scam और मल्टी लेवल मार्केटिंग नेटवर्क से जुड़ा मामला है, जिसमें लगभग ₹2,300 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है। इस स्कैम से दोनों राज्यों के लाखों निवेशक प्रभावित बताए जा रहे हैं।
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ED ने Fake Crypto Ponzi Scam की जांच हिमाचल और पंजाब के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज की गई FIR के आधार पर शुरू की। इन मामलों में भारतीय दंड संहिता, चिट फंड्स एक्ट 1982, अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स बैन एक्ट 2019 और अन्य संबंधित कानून शामिल हैं। एजेंसी के मुताबिक, इस पूरे नेटवर्क का कथित मास्टरमाइंड सुभाष शर्मा है, जो 2023 में देश छोड़कर फरार हो गया था। उसके साथ कई अन्य सहयोगियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है।
Fake Crypto Ponzi Scam की जांच में सामने आया कि आरोपियों ने Korvio, Voscrow, DGT, Hypenext और A-Global जैसे नामों से कई नकली डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाए। इनका कोई रेगुलेशन नहीं था। निवेशकों को ज़्यादा प्रॉफिट का सपना दिखाकर जोड़ा गया। यह एक Fake Crypto Ponzi Scam की स्कीम थी, जिसमें नए लोगों के पैसों से पुराने निवेशकों को भुगतान किया जाता था। जब शक बढ़ता, तो प्लेटफॉर्म बंद कर नए नाम से फिर शुरू कर दिया जाता था, ताकि धोखाधड़ी छुपी रहे।
Crypto Scam लगातार बढ़ते जा रहे है, हाल ही में CBI ने HPZ Token Scam का खुलासा किया है। CBI ने ₹1,000 करोड़ के HPZ Token क्रिप्टो स्कैम में 30 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें दो चीनी नागरिक भी शामिल हैं। जांच में सामने आया कि फर्जी Bitcoin Mining रिटर्न का लालच देकर निवेशकों से पैसा ठगा गया। CBI ने लोगों को ऐसे झूठे वादों से सतर्क रहने की सलाह दी है।
Fake Crypto Ponzi Scam को लेकर की गई ED की जांच में सामने आया कि टोकन की कीमतें जानबूझकर ऊपर-नीचे की जाती थीं। लोगों से ठगे गए पैसे को कैश, फर्जी कंपनियों और निजी बैंक अकाउंट्स के ज़रिए घुमाया गया। कुछ बड़े बिल्डर्स के नाम पर भी पैसा आगे बढ़ाया गया। नेटवर्क फैलाने के लिए एजेंटों को मोटा कमीशन दिया गया। लोगों को भरोसे में लेने के लिए विदेश यात्राओं और बड़े इवेंट्स का दिखावा किया जाता था, ताकि यह सब एक भरोसेमंद निवेश लगे।
राज्य पुलिस की जांच के बाद 4 नवंबर 2023 को कुछ एसेट्स को फ्रीज करने का आदेश दिया गया था। इसकी जानकारी सरकार और अदालत को भी दे दी गई थी। इसके बावजूद ज़ीरकपुर के 15 प्लॉट गैरकानूनी तरीके से बेच दिए गए। यह बिक्री आरोपी विजय जुनेजा ने की। हिमाचल पुलिस ने उसे 2025 में गिरफ्तार किया। ED के मुताबिक यह आदेशों का सीधा उल्लंघन है और गंभीर अपराध माना जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की, Crypto Fraud पकड़ने के लिए Govt ने Crypto Enforcement Training शुरु की है। भारत के वित्त मंत्रालय ने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से जुड़े मामलों की निगरानी के लिए विशेष Crypto Enforcement Training प्रोग्राम्स का दायरा बढ़ाया है। यह कदम दिखाता है कि सरकार अब केवल टैक्स और नियमों तक सीमित न रहकर, अधिकारियों की टेक्निकल क्षमता बढ़ाकर क्रिप्टो से जुड़े गलत कार्यों पर सख़्ती से कार्रवाई करना चाहती है।
Fake Crypto Ponzi Scam की तलाशी के दौरान एजेंसी ने तीन लॉकर, बैंक बैलेंस और फिक्स्ड डिपॉजिट मिलाकर लगभग ₹1.2 करोड़ फ्रीज किए। इसके अलावा, कई डिजिटल डिवाइस, निवेश से जुड़े डाक्यूमेंट्स, बेनामी एसेट्स की फाइलें, निवेशक डाटाबेस और कमीशन स्ट्रक्चर जब्त किए गए। ये सबूत साफ़ दिखाते हैं कि बड़े लेवल पर गलत तरीके से पैसा कमाया गया और उसे छुपाने की कोशिश की गई।
यह मामला क्रिप्टो इन्फ्लुएंसर @wiseadvicesumit द्वारा शेयर किया गया। ED की प्रेस रिलीज से भी चर्चा में आया। NDTV और Times of India जैसी रिपोर्ट्स ने भी कार्रवाई की पुष्टि की है। 13 लाख से अधिक लोगों वाले डिजिटल एसेट कम्युनिटी के लिए यह एक सख्त चेतावनी है। बिना रेगुलेशन वाले प्लेटफॉर्म, गारंटीड रिटर्न और आक्रामक प्रचार से दूरी रखना जरूरी है। ED ने साफ किया है कि Fake Crypto Ponzi Scam की जांच जारी है और आगे और कड़ी कार्रवाई संभव है।
पिछले 7 सालों से क्रिप्टो और Web3 सेक्टर को कवर करते हुए मैंने देखा है कि ज़्यादातर बड़े घोटाले “गारंटीड रिटर्न” और आक्रामक मार्केटिंग से शुरू होते हैं। यह केस फिर साबित करता है कि टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि लालच असली खतरा है। सही जानकारी, रेगुलेशन की समझ और धैर्य ही निवेशकों को ऐसे जाल से बचा सकता है।
Fake Crypto Ponzi Scam का यह मामला दिखाता है कि बिना रेगुलेशन वाले क्रिप्टो और MLM प्लेटफॉर्म कैसे आम निवेशकों को बड़े प्रॉफिट का लालच देकर ठगते हैं। ED की कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि ऐसे नेटवर्क लंबे समय तक कानून से नहीं बच सकते। निवेशकों के लिए यह एक अहम सबक है कि गारंटीड रिटर्न, बार-बार नाम बदलने वाले प्लेटफॉर्म और आक्रामक प्रचार से दूरी रखें। सतर्कता और सही जानकारी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
डिस्केलमर: यह खबर पब्लिक सोर्सेज, ED की ऑफिशियल जानकारी और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। यह निवेश सलाह नहीं है। क्रिप्टो और डिजिटल एसेट्स में निवेश जोखिम भरा हो सकता है। किसी भी निवेश से पहले रिसर्च करें और योग्य फाइनेंशियल अडवाइजर से एडवाइज जरूर लें।
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