Blockchain का सबसे बेसिक उपयोग डाटा का ट्रांज़ैक्शन है। हर बार जब कोई यूज़र किसी को क्रिप्टोकरेंसी भेजता है या किसी स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के साथ इंटरैक्ट करता है, तो इसे Transaction कहा जाता है। लेकिन यह सिर्फ एक ‘send’ बटन दबाने जितना सीधा नहीं है। इसके पीछे एक पूरा टेक्निकल प्रोसेस काम करता है, जिसे Cryptography, वेलिडेशन, माइनिंग और कंसेंसस प्रोसेस मिलकर पूरा करते हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे, एक ट्रांज़ैक्शन की शुरुआत से लेकर उसके ब्लॉकचेन में स्थायी रूप से दर्ज हो जाने तक का पूरा सफर कैसे तय होता है?

हर Blockchain Transaction में कुछ इम्पोर्टेन्ट इनफार्मेशन होती हैं जैसे सेंडर और रिसीवर का एड्रेस, भेजी जा रही राशि और ट्रांज़ैक्शन को वैलिडेट करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर। अगर हम बिटकॉइन जैसे UTXO बेस्ड सिस्टम की बात करें, तो उसमें ‘input’ और ‘output’ की जानकारी भी रहती है। दूसरी ओर Ethereum जैसे अकाउंट बेस्ड मॉडल में केवल बैलेंस में बदलाव होता है। इन सभी इनफार्मेशन को Hash किया जाता है और ट्रांज़ैक्शन का एक यूनिक फॉर्म तैयार होता है, जिस पर सेंडर अपनी Private Key से सिग्नेचर करता है। यह सिग्नेचर यह वेलिडेट करता है कि ट्रांज़ैक्शन वाकई उसी व्यक्ति ने भेजा है जिसके पास संबंधित फंड्स हैं।
Transaction की ड्राफ्टिंग
जब कोई यूज़र किसी को क्रिप्टो भेजना चाहता है, तो सबसे पहले उसका वॉलेट एक नया ट्रांज़ैक्शन ड्राफ्ट करता है। इसमें रिसीवर का एड्रेस, भेजी जा रही राशि और कौन-से कॉइन भेजे जा रहे हैं, ये सब जानकारी होती है। इसके बाद वॉलेट यूज़र की Private Key से इस डाटा पर डिजिटल सिग्नेचर करता है। इसी स्टेप में ट्रांज़ैक्शन फीस (जैसे गैस फीस या माइनर फीस) भी कैलकुलेट की जाती है। अब यह ट्रांज़ैक्शन डाटा पूरी तरह से नेटवर्क में भेजने के लिए तैयार हो चुका है और इसका अगला स्टेप होता है नेटवर्क पर ट्रांज़ैक्शन भेजना।
नेटवर्क पर Transaction की ब्रॉडकास्टिंग
एक बार ट्रांज़ैक्शन पर सिग्नेचर होने के बाद वॉलेट उसे ब्लॉकचेन नेटवर्क पर ब्रॉडकास्ट कर देता है। यह प्रक्रिया Peer-to-Peer नोड्स के ज़रिए होती है मतलब यह पूरी प्रोसेस एक नोड से दूसरे नोड तक बिना किसी इंटरमीडियरी के पूरी होती है। हर नोड इस ट्रांज़ैक्शन को Mempool में स्टोर करता है, जहां सारे पेंडिंग ट्रांज़ैक्शन रखे जाते हैं। Mempool एक तरह की वेटिंग लिस्ट होती है, जहां से माइनर वैलिड ट्रांज़ैक्शंस को लेकर ब्लॉक बनाते हैं।
Transaction का वैरिफिकेशन
नेटवर्क में मौजूद नोड्स और माइनर इसके बाद इस ट्रांज़ैक्शन को वैलिडेट करते हैं। सबसे पहले वे यह चेक करते हैं कि सिग्नेचर वैलिड है, इसके लिए सेंडर के सिग्नेचर को Public Key से मिलाया जाता है। इसके बाद Double Spending चेक की जाती है, मतलब कहीं ट्रांज़ैक्शन में शामिल कॉइन पहले किसी और ट्रांज़ैक्शन में तो खर्च नहीं हो चुके हैं। अगर सब कुछ सही पाया जाता है, तो ट्रांज़ैक्शन को वैलिड मान लिया जाता है।
Final Confirmation और Immutability
किसी ट्रांज़ैक्शन को एक कन्फर्मेशन के बाद ही ब्लॉकचेन में नहीं जोड़ लिया जाता बल्कि इसके लिए एक से ज्यादा कन्फर्मेशन की जरुरत होती है, जैसे- Bitcoin जैसे नेटवर्क में 6 कन्फर्मेशन के बाद ट्रांज़ैक्शन को पूरी तरह फाइनल माना जाता है। एक बार ट्रांज़ैक्शन ब्लॉकचेन में जुड़ गया तो उसे बदला नहीं जा सकता है। इस तरह किसी ब्लॉकचेन में ट्रांज़ैक्शन की प्रोसेस कम्पलीट होती है।
ब्लॉक में जो भी Transaction जुड़ते है, उन्हें माइनर या वेलिडैटर ही चुनता है और उन्हें एक नए ब्लॉक में शामिल करता है। इसके बाद ही कोई ब्लॉक पूरे नेटवर्क में ब्रॉडकास्ट होता है। अगर Consensus Mechanism भी ब्लॉक को वैलिड मानता है, तो वह ट्रांज़ैक्शन ब्लॉकचेन में जुड़ जाता है। इस तरह से माइनर और वैलिडेटर का रोल इस प्रोसेस में सबसे इम्पोर्टेन्ट होता है।
बिटकॉइन जैसी ब्लॉकचेन UTXO मॉडल पर काम करती है, जहां हर Transaction का आउटपुट हर फ्यूचर ट्रांज़ैक्शन का इनपुट बनता है, इसके कारण इसमें हर कॉइन को ट्रेस किया जा सकता है। दूसरी ओर Ethereum जैसे सिस्टम में एक अकाउंट बेस्ड मॉडल होता है, जहां सेंडर और रिसीवर के बैलेंस को सीधे घटाया या बढ़ाया जाता है। ये मॉडल यूजर फ्रेंडली होते हैं लेकिन वेलिडेशन की प्रोसेस काम्प्लेक्स होती है।
जब कोई ट्रांज़ैक्शन Mempool में होता है, तो वह पेंडिंग माना जाता है। जैसे ही वह किसी ब्लॉक में शामिल हो जाता है तो उसका स्टेटस “confirmed” हो जाता है। कोई भी यूज़र Etherscan, blockchain.com जैसे Blockchain Explorer के द्वारा अपनी ट्रांज़ैक्शन का स्टेटस पता कर सकता है।
ट्रांज़ैक्शन में वेलिडेशन और स्टोरेज के लिए नेटवर्क को कम्प्यूटेशन करनी होती है, इसके बदले यूजर से कुछ फीस ली जाती है। Bitcoin में इसे Miner Fee कहा जाता है, इसी तरह Ethereum में इसे Gas Fee कहा जाता है। इसकी एक विशेषता है कि ज्यादा फीस देने पर ट्रांज़ैक्शन जल्दी कन्फर्म होते हैं जबकि कम फीस देने पर ट्रांज़ैक्शन Mempool में देर तक पैंडिंग रह सकते हैं।
एक ब्लॉकचेन में होने वाला ट्रांज़ैक्शन चाहे जितना भी आसान दिखे लेकिन वास्तव में यह कई लेयर और सिक्योर प्रोसेस से होकर गुजरता है। इसमें क्रिप्टोग्राफ़िक सिग्नेचर, Peer-to-Peer नेटवर्किंग, वैलिडेशन और कन्सेंसस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह पूरी प्रोसेस बिना किसी थर्ड पार्टी की इन्वोल्वमेंट के ट्रस्टलेस होती है, यह प्रोसेस ही ब्लॉकचेन की सबसे बड़ी खूबी है।
अब जब भी आप किसी को क्रिप्टो भेजें, तो याद रखिए आपने एक पूरी Cryptographic Machine को एक्टिव किया है, जो आपके ट्रांज़ैक्शन को पुरी तरह से सिक्योर और ट्रस्टलेस तरीके से कम्पलीट करने वाली है।
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