अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने 1 दिसंबर 2025 को एक बड़ा फैसला लिया। Fed ने कहा कि वह अब अपनी बैलेंस शीट को और छोटा नहीं करेगा। Bitinning की X पोस्ट के अनुसार, पिछले तीन साल से Fed लगातार Quantitative Tightening कर रहा था, जिसमें उसने 1.6 ट्रिलियन डॉलर के ट्रेज़री और लगभग 600 बिलियन डॉलर के मॉर्गेज-बैक्ड सिक्योरिटीज कम किए। इस लंबे समय की प्रोसेस के बाद फेड ने इसे अब खत्म कर दिया है।
फेड का कहना है कि बैंक रिज़र्व अब उस लेवल पर पहुंच चुके हैं जहां सिस्टम आराम से चल सकता है। इसी वजह से आगे बैलेंस शीट में कटौती करने की जरूरत नहीं है। अब फेड टी-बिल में पैसा लगाएगा ताकि बैंक रिज़र्व स्टेबल रहें और मार्केट में पैसों की कमी न हो। यह कदम बैंकिंग सिस्टम को स्टेबल रखने के लिए उठाया गया है।
Fed के Quantitative Tightening ऐलान के बाद मार्केट में काफी चर्चा शुरू हो गई है। CME FedWatch के अनुसार, दिसंबर में 25 बेसिस पॉइंट की रेट कट की लगभग 88% संभावना देखी जा रही है। इसका मतलब है कि निवेशक मान रहे हैं कि फेड अब थोड़ी राहत देने के लिए तैयार हो सकता है।
Fed की इस घोषणा के साथ जो तस्वीरें जारी हुईं उनमें Donald Trump और Fed चेयर Jerome Powell भी दिखाई दिए। इससे यह साफ हुआ कि मॉनेटरी डिसीजन पर लीडरशिप और पॉलिटिकल क्लाइमेट का भी असर रहता है। कई एनालिस्ट का कहना है कि जब फेड पैसों का फ्लो बढ़ाने वाले कदम उठाता है तो मार्केट में भरोसा भी बढ़ने लगता है।
फेड के Quantitative Tightening कदम का असर क्रिप्टो मार्केट पर भी देखा जा सकता है। जब सिस्टम में पैसा ज्यादा रहता है तो Bitcoin जैसे डिजिटल कॉइन को थोड़ा फायदा मिलता है। निवेशकों के लिए माहौल थोड़ा आसान हो जाता है क्योंकि Funding Pressure कम होता है।
हालांकि, पुराना डेटा बताता है कि जब भी Quantitative Tightening खत्म होती है तो क्रिप्टो Market में औसत 15-20% की ही बढ़त देखने को मिलती है। इसलिए बहुत ज्यादा उम्मीद लगाना सही नहीं है। फिर भी फेड के इस कदम से क्रिप्टो निवेशकों का भरोसा जरूर बढ़ सकता है, क्योंकि लिक्विडिटी बढ़ने का सीधा फायदा जोखिम वाले मार्केट को मिलता है।
Fed रिज़र्व का Quantitative Tightening का यह फैसला सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है। दुनिया के कई देश अमेरिका की आर्थिक नीतियों को देखकर अपने फैसले तय करते हैं। इसलिए फेड का बैलेंस शीट कटौती रोकना दुनिया के कई मार्केट पर भी असर डालेगा।
अगर दिसंबर में इंटरेस्ट रेट कम होती है, तो कंपनियों को लोन लेने में आसानी होगी क्योंकि लोन सस्ता हो जाएगा। जब लोन सस्ता मिलता है, तो कंपनियां ज्यादा प्रोजेक्ट शुरू करती हैं, नए लोगों को नौकरी देती हैं और खर्च भी बढ़ाती हैं। इससे अलग-अलग देशों की अर्थव्यवस्था में भी थोड़ी रफ्तार आ सकती है।
हालांकि, कुछ एनालिस्ट का कहना है कि अगर मार्केट में बहुत ज्यादा पैसा आ गया, तो चीज़ों की कीमतें बहुत तेज़ी से बढ़ सकती हैं। इससे बाद में खतरा पैदा हो सकता है। इसी वजह से कई इकोनॉमिस्ट सलाह दे रहे हैं कि इस बदलाव को लेकर थोड़ा अलर्ट रहना जरूरी है।
अभी सबकी नजर फेडरल रिज़र्व के अगले कदम पर है। मार्केट यह जानना चाहता है कि क्या दिसंबर में वाकई इंटरेस्ट रेट कम होगी या फिर फैसला आगे टल जाएगा। फेड ने बैलेंस शीट घटाना रोककर साफ कर दिया है कि उसकी पॉलिसी अब पहले जैसी सख्त नहीं रहेगी।
Quantitative Tightening से निवेशकों को थोड़ी राहत मिली है और Market में भी स्टेबिलिटी दिखाई दे रही है। अब सभी इंतजार कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में कौन-से नए इकोनॉमिक डाटा आते हैं और फेड आगे क्या बयान देता है। ये दोनों बातें मिलकर तय करेंगी कि अगला फैसला किस दिशा में जाएगा।
क्रिप्टो और मैक्रो-इकोनॉमिक एनालिसिस में मेरे 7 साल के एक्सपीरियंस के आधार पर, फेड का यह कदम एक महत्वपूर्ण मोड़ है। Quantitative Tightening रोकना साफ संकेत देता है कि Market में लिक्विडिटी बढ़ाने की तैयारी है। इसका असर सिर्फ अमेरिका पर नहीं, बल्कि ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम और Cryptocurrency पर भी दिखाई देगा।
फिलहाल इतना जरूर साफ है कि तीन साल से चल रही Quantitative Tightening रुकने से मार्केट को थोड़ा आराम मिला है। अब असली इमेज दिसंबर की फेड मीटिंग के बाद ही सामने आएगी, जहां यह तय होगा कि इंटरेस्ट रेट कम होगी या अभी इंतजार करना पड़ेगा।
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