जब भी हम Solana Network की बात करते हैं, तो हम उन सभी कंप्यूटर्स या नोड्स के समूह के बारे में बात कर रहे होते हैं जो Solana Ecosystem को चलाते हैं और मिलकर एक साझा उद्देश्य के लिए काम करते हैं। इस समूह को ही Solana Cluster कहा जाता है।
Solana Cluster मूल रूप से कंप्यूटर्स का एक इंटीग्रेटेड ग्रुप होता है, जो एक शेयर्ड लेज़र को बनाए रखने और वेरिफ़ाई करने के लिए साथ काम करता है। इसमें हज़ारों वैलिडेटर और RPC नोड्स शामिल हो सकते हैं जो रियल टाइम में डाटा एक्सचेंज करते हैं। Cluster इस बात को सुनिश्चित करता है कि पूरे नेटवर्क में एक ही शेयर्ड स्टेट बनी रहे मतलब कौन-सा अकाउंट कितना टोकन होल्ड कर रहा है, कौन सी ट्रांज़ैक्शन पहले हुई थी आदि।
एक Cluster कई महत्वपूर्ण हिस्सों से मिलकर बना होता है, जिनमें से सभी का एक खास रोल होता है:
Cluster का फंक्शन सिंपल दिखता है लेकिन अंदर से यह पूरी तरह से कोओर्डिनेटेड सिस्टम होता है। जब कोई यूज़र किसी ट्रांज़ैक्शन को इनिशिएट करता है जैसे किसी टोकन को भेजता है, तो वह ट्रांज़ैक्शन सबसे पहले RPC नोड तक जाती है। वहाँ से यह वैलिडेटर नोड्स को फॉरवर्ड होती है जो इसे वेरिफ़ाई करते हैं और ब्लॉक में शामिल करते हैं।
Validators प्रत्येक ट्रांज़ैक्शन के लिए वोट करते हैं और ज़्यादा वोट पाने वाली ट्रांज़ैक्शन क्लस्टर के शेयर्ड लेज़र में जुड़ जाती है। यह वोटिंग प्रोसेस कंसेन्सस बनाता है, जिससे पूरे नेटवर्क को यह विश्वास होता है कि सब सही तरीके से हो रहा है।
हर Cluster एक छोटे Blockchain सिस्टम की तरह काम करता है। जब भी कोई Cluster एक्टिव होता है, वह अपने आप में एक ब्लॉकचेन को रिप्रेजेंट करता है। इसका मतलब है कि Cluster ही वह यूनिट है जो किसी फंक्शनल ब्लॉकचेन की तरह काम करती है।
हर Cluster में अपना वैलिडेटर सेट होता है, अपनी ट्रांज़ैक्शन हिस्ट्री होती है और अपना लेज़र होता है, जो कि उसे एक इंडिपेंडेंट और आइसोलेटेड एनवायरमेंट बनाता है।
Solana एक से ज़्यादा Cluster को सपोर्ट करता है और यह सिस्टम इसके डिजाईन इनोवेशन का हिस्सा है। सबसे प्रमुख तीन प्रकार के Cluster हैं:
इन सभी Cluster का अलग-अलग उपयोग होता है जिससे कि डेवलपमेंट, एक्सपेरिमेंट और प्रोडक्शन का एक-दूसरे से क्लैश न हो।
Cluster आर्किटेक्चर का सबसे बड़ा फायदा इसकी स्केलेबिलिटी है। Solana का नेटवर्क पेरेलल प्रोसेसिंग के कांसेप्ट पर आधारित है और Clusters इस कांसेप्ट को वास्तविकता में बदलते हैं। यह इस तरह से होता है:
Solana की कोर स्केलेबिलिटी टेक्निक Sealevel है, जो एक पेरेलल स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एक्सिक्यूशन इंजन है। Sealevel की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह एक साथ कई स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को एक्सिक्यूट कर सकता है लेकिन इसके लिए बहुत ज्यादा कोर्डिनेशन की ज़रूरत होती है।
यह कोर्डिनेशन Clusters के माध्यम से संभव होता है। हर Cluster इस बात को एनश्योर करता है कि कौन-सी ट्रांज़ैक्शन पेरेलल चलेगी और कौन-सी Sequential। इस तरह, Cluster और Sealevel मिलकर मैक्सिमम थ्रूपुट और एफिशिएंसी को अचीव करते हैं।
Cluster की हेल्थ और परफॉरमेंस को बनाए रखना एक लगातार चलने वाला टास्क होता है। इसके लिए कई टूल्स और प्रोटोकॉल होते हैं:
Validators नियमित रूप से अपने नोड्स को अपडेट करते हैं, टेलीमेट्री डेटा का विश्लेषण करते हैं और नेटवर्क परफॉरमेंस को स्टेबल बनाए रखने के लिए इम्प्रूवमेंट करते हैं।
Ethereum जैसे नेटवर्क Monolithic Architecture पर चलते हैं यानी पूरा नेटवर्क एक यूनिफाइड सिस्टम के रूप में काम करता है। अगर एक हिस्सा धीमा होता है, तो पूरे नेटवर्क पर असर पड़ता है।
वहीं Solana का Cluster-based आर्किटेक्चर मॉड्यूलर और स्केलेबल है:
यह डिज़ाइन Solana को न केवल तेज़ बनाता है बल्कि भविष्य में और भी ज़्यादा स्केलेबल बनने की क्षमता देता है।
Solana Cluster का स्ट्रक्चर परफॉर्मेंस, स्केलेबिलिटी और सुरक्षा तीनों के बीच संतुलन बनाकर चलता है। Solana जैसे हाई परफॉरमेंस ब्लॉकचेन के लिए यही Cluster System ही आधार का काम करता है, जिससे यह एक भरोसेमंद और डेवलपर-फ्रेंडली प्लेटफॉर्म बनाता है।
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