साइबरक्राइम पुलिस ने हाल ही में एक बड़े Surat Crypto Fraud मामले का पर्दाफाश किया है। इस केस में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने निवेशकों को फर्जी क्रिप्टोकरेंसी योजनाओं के ज़रिए 3 से 4 गुना रिटर्न का झांसा देकर लगभग ₹54 लाख की ठगी की। जांच में सामने आया है कि ये आरोपी PLC Ultima, Aura और BDLT जैसे नकली कॉइन्स के नाम पर लोगों को लुभा रहे थे।

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पुलिस के अनुसार Surat Crypto Fraud में शामिल आरोपियों ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक भव्य होटल इवेंट आयोजित किया था। इस इवेंट में 200 से अधिक लोगों को बुलाया गया था और उन्हें झूठे दावे करके निवेश के लिए लुभाया गया। इवेंट का उद्देश्य था कि लोगों को यकीन दिलाया जाए कि यह असली और सुरक्षित निवेश है, जिससे वे कुछ महीनों में कई गुना रिटर्न कमा सकेंगे।
आरोपियों ने अखबारों में विज्ञापन पब्लिश कर निवेश के अवसर दिखाए और लोगों को भरोसा दिलाया कि उनकी क्रिप्टो स्कीम “कानूनी और लाभदायक” है। लेकिन हकीकत यह थी कि PLC Ultima, Aura और BDLT नाम के ये सारे कॉइन पूरी तरह फर्जी निकले। जब निवेशकों ने अपने पैसे वापस मांगने की कोशिश की, तो आरोपी टालमटोल करने लगे और फिर संपर्क से गायब हो गए।
भारत में Crypto Scam के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। हाल ही में हरियाणा के बिजनेसमैन के साथ अहमदाबाद के व्यक्ति ने Crypto Scam किया था। इस मामले को क्राइम ब्रांच में दर्ज किया गया है, जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साज़िश और ट्रस्ट के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं।
पिछले कुछ सालों में Surat Crypto Fraud जैसे मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। 2025 में अब तक ₹2,500 करोड़ से ज्यादा के अलग-अलग फर्जी Crypto Scams सामने आ चुके हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार, ऐसे स्कैम में “म्यूल अकाउंट्स” का इस्तेमाल किया जाता है, जिनसे पैसे तेजी से ट्रांसफर किए जाते हैं ताकि उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाए।
एक विक्टिम इन्वेस्टर ने बताया कि उसने पहले PLC Ultima Coin में ₹51.74 लाख लगाए थे, फिर BDLT में ₹3.01 लाख और अंत में Aura Coin में ₹1.50 लाख का निवेश किया। कुछ महीनों बाद जब कोई रिटर्न नहीं मिला, तो उसने पैसे वापस मांगे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उसने पुलिस में Surat Crypto Fraud की शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर साइबरक्राइम यूनिट ने कार्रवाई की।
Surat Cybercrime Police ने इस Surat Crypto Fraud में शामिल तीनों आरोपियों जयसुख कच्छडिया, निलकुंज अवैया और हरेश गजेरी को गिरफ्तार किया है। इन सभी पर कई गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है, जिनमें Gujarat Protection of Interest of Depositors Act, Prize Chits and Money Circulation Scheme (Banning) Act, Information Technology Act और Bharatiya Nyaya Sanhita शामिल हैं।
अदालत ने तीनों को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है ताकि आगे की पूछताछ की जा सके। ऐसे क्रिप्टो स्कैम रोज़ाना सामने आते रहते हैं, लेकिन जांच टीम अक्सर आरोपियों को पकड़ने में सफल रहती है। कुछ समय पहले हुए एक Crypto Scam में CBI ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
क्रिप्टो एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे फ्रॉड ज्यादातर “अनरेगुलेटेड अल्टकॉइन्स” के जरिए किए जाते हैं। 2017-2018 के दौरान हुई एक स्टडी के अनुसार, करीब 80% ICO प्रोजेक्ट्स फर्जी या असफल रहे। इसीलिए निवेशकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी क्रिप्टो स्कीम में पैसा लगाने से पहले उसकी लिगलिटी और रेगुलेशन की जांच करें।
Surat Crypto Fraud इस बात की याद दिलाता है कि “जल्दी अमीर बनने” का सपना कई बार नुकसान में बदल सकता है। क्रिप्टोकरेंसी एक इनोवेटिव टेक्नोलॉजी है, लेकिन इसमें निवेश तभी सुरक्षित है जब प्रोजेक्ट्स रेगुलेटेड हों और भरोसेमंद प्लेटफॉर्म्स पर ट्रेड किए जाएं।
पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी सस्पीशियस क्रिप्टो प्रोजेक्ट से सावधान रहें और फर्जी रिटर्न के लालच में न आएं। इस केस की आगे की जांच जारी है और पुलिस अन्य संभावित आरोपियों की तलाश में जुटी है।
क्रिप्टो इंडस्ट्री में अपने 7 साल के अनुभव से मैं यह कह सकती हूँ कि हर आकर्षक प्रोजेक्ट निवेश लायक नहीं होता। निवेशकों को हमेशा DYOR (Do Your Own Research) अपनाना चाहिए और “Guaranteed Returns” जैसी बातों से अलर्ट रहना चाहिए। असली क्रिप्टो प्रोजेक्ट ट्रांसपेरेंट, ऑडिटेड और कम्युनिटी ड्रिवन होते हैं।
Surat Crypto Fraud एक बड़ा सबक है उन निवेशकों के लिए जो बिना जांचे परखे “जल्दी प्रॉफिट” के झांसे में आते हैं। ऐसे फर्जी क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि लोगों के भरोसे को भी तोड़ते हैं। निवेश से पहले प्रोजेक्ट की लिगलिटी, टीम और लाइसेंस की जांच बेहद ज़रूरी है। समझदारी से किया गया निवेश ही सुरक्षित भविष्य की चाबी है।
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