El Salvador और Central African Republic (CAR) दुनिया के दो ऐसे देश है, जहाँ लीगल टेंडर के रूप में Bitcoin (BTC) को अपनाया गया है। El Salvador दुनिया का पहला ऐसा देश बना जिसने इस तरह का कदम उठाया, तो CAR ने भी अपनी चरमराती अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए BTC का रुख किया। जिन लीडर्स ने इन देशों में Bitcoin को लीगल टेंडर बनाने में सहयोग किया, उन्हें इसका राजनीतिक फायदा भी मिला, जिसका उदाहारण हाल ही में जारी हुए El Salvador के प्रेसिडेंट इलेक्शन के एग्जिट पोल से नजर आया। इस पोल में El Salvador के वर्तमान प्रेसिडेंट Nayib Bukele एक बार फिर राष्ट्रपति बनते दिखाई दे रहे हैं। जिससे यह पता चलता है कि क्रिप्टोकरेंसी निवेशक किसी भी चुनाव में कितनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। शायद यही वजह है कि Ukraine, US, Russia और Europe के अन्य देश के राजनेता भी अब Bitcoin के गुणगान गा रहे हैं।
Coin Gabbar की माने तो जो देश सबसे पहले #Bitcoin को लीगल टेंडर के रूप में अडॉप्ट करेगा वह Ukraine होगा। इसके पीछे का कारण रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को डोनेशन के रूप में स्वीकार करने को माना जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि देश को क्रिप्टोकरेंसी में मिले मिलियंस के डोनेशन से अपनी आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने में मदद मिली है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही Ukraine Bitcoin को लीगल टेंडर के रूप में अपना लेगा।
Ukraine की तरह ही Russia भी अपनी एकॉनोमो को लेकर चिंतित है, क्योंकि यूक्रेन से युद्ध के चलते रूस को दुनिया भर के देशों से प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है। ऐसे में अपनी स्थिति को बेहतर करने और क्रिप्टो स्पेस का लीडर बनने की मंशा से Russia भी $BTC को लीगल टेंडर के रूप में अपना सकता है। ठीक इसी तरह वर्तमान में US के क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नरम रुख और आने वाले प्रेसिडेंट इलेक्शन में प्रो-क्रिप्टो उम्मीदवारों की मजबूत स्थिति को देखते हुए भी यह उम्मीद की जा रही हैं कि US भी आने वाले समय में Bitcoin को लीगल टेंडर के रूप में अपना सकता है।
वहीँ Europe में भी BTC को लेकर लॉमेकर्स के रुख में थोड़ी नरमी आयी है, जो यह बताती है कि आने वाले समय में Europe के कई देश Bitcoin को लीगल करंसी के रूप में अपना सकते हैं। इस बात को हवा तब और भी मिल गई जब हाल ही में German MP ने BTC के पक्ष में अपनी बात कही। फिलहाल अभी ये सभी देश अपने यहाँ होने वाले चुनावों और अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
भारत सरकार वर्तमान में क्रिप्टो रेगुलेशन की दिशा में कार्य कर रही हैं, जिसके लिए एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का निर्माण किया जा रहा हैं। भारत सभी देशों का नेतृत्व करते हुए ग्लोबल क्रिप्टो रेगुलेशन की कवायद में लगा हुआ है। भारत सरकार ने बीते कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी के प्रति अपने रवैये को नरम भी किया है, लेकिन वर्तमान में ऐसा बिलकुल भी प्रतीत नहीं होता कि भारत Bitcoin को लीगल टेंडर के रूप में अपना सकता है। इसके पीछे की एक वजह भारत की सेन्ट्रल बैंक डिजिटल करंसी E-Rupee भी है, जिसके लिए भारत का यह प्रयास है कि इसे क्रॉस बॉर्डर ट्रांजेक्शन के लिए इस्तेमाल किया जा सके। अपनी इस रणनीति में आगे बढ़ते हुए भारत ने हाल ही में कई देशों के साथ में पायलट प्रोजेक्ट्स भी शुरू किये हैं। जिससे यह बात तो साफ़ हो जाती है कि भारत की योजना फिलहाल तो Bitcoin को लीगल करंसी के रूप में अपनाने की नहीं है। लेकिन वर्तमान में बने माहौल को देखकर और क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते निवेशकों को देखकर यह उम्मीद की जा सकती हैं कि आने वाले समय में भारत भी BTC को करेंसी के रूप में अपना लेगा।
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