ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट्स में यूटिलिटी जो बिना स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के शामिल नहीं किया जा सकता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कॉन्ट्रैक्ट्स को यह कैसे समझ आता है की वह कंडीशन या टर्म पूरी हो गयी है, जो स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के एक्सीक्यूट होने के लिए जरुरी है। एक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट तब तक सही तरीके से काम नहीं कर सकता जब तक उसे बाहरी दुनिया की जानकारी जैसे मौसम, स्टॉक प्राइस, मैच का स्कोर या करेंसी का एक्सचेंज रेट पता न चले। चूँकि ब्लॉकचेन एक क्लोज्ड नेटवर्क है, जिसे “on-chain” डाटा ही दिखता है। ऐसे में सवाल उठता है, ब्लॉकचेन तक यह डाटा कौन पहुँचाता है?
इसका जवाब है Blockchain Oracle, यह टेक्नोलॉजी ब्लॉकचेन को बाहरी दुनिया से जोड़ती है, जिससे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट Real-world अवेयर बनते हैं।
Blockchain Oracle एक ऐसा Middleware होता है जो ब्लॉकचेन और बाहरी दुनिया के बीच डाटा कम्युनिकेशन को संभव बनाता है। सीधे शब्दों में कहें तो यह Smart Contracts को एक्सटरनल इवेंट्स और डाटा से जोड़ता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट अपने आप में बहुत शक्तिशाली होते हैं, लेकिन वे ब्लॉकचेन पर मौजूद On-chain डाटा को ही एक्सेस कर सकते हैं। अब ब्लॉकचेन पर तो यह डाटा अवेलेबल नहीं होता है की BTC की प्राइस क्या है या कोई डिजास्टर आया है। ऐसे में Oracle वह ब्रिज बनता है जो Off-chain World (जैसे API, वेब, सेंसर डाटा) से इनफार्मेशन लेकर On-chain स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को फीड करता है।
Oracle खुद कोई डाटा क्रिएट नहीं करता बल्कि यह केवल ट्रस्टेड सोर्स से डाटा लेकर ब्लॉकचेन को उपलब्ध कराता है।
जब किसी Smart Contract को आउटर वर्ल्ड की जानकारी चाहिए होती है, तो वो Oracle को डाटा के लिए रिक्वेस्ट भेजता है। Oracle उस डेटा को खोजता है, फिर उसे प्रोसेस करता है और ब्लॉकचेन पर वेरीफाई करके स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट तक पहुँचा देता है।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए, एक Smart Contracts जो इंश्योरेंस के लिए काम करता है और तभी पे आउट करेगा जब नेचुरल डिजास्टर हो। अब ब्लॉकचेन को कैसे पता चलेगा कि डिजास्टर आया है या नहीं? इसके लिए Smart Contract एक Oracle को रिक्वेस्ट भेजता है, जो मौसम API से डाटा लेकर ब्लॉकचेन तक जानकारी पहुँचाता है, जिसे एक्सेस करके स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट निर्णय लेता है।
इस पूरी प्रोसेस में Oracle जहाँ से जानकारी ले रहा है वह सोर्स सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट होता है, क्योंकि अगर Oracle गलत डाटा दे, तो स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट भी गलत डिसिजन ले सकता है।
Blockchain Oracles के डाटा सोर्स डायरेक्शन और आर्किटेक्चर के आधार पर कई प्रकार के होते हैं:
Blockchain Oracle के इन प्रकारों में सबसे महत्वपूर्ण Decentralized Oracle Network है, आइये हम इसके बारे में विस्तार से समझते हैं।
सेंट्रलाइज ओरेकल अपने नेचर से ही रिस्क प्रोन होते हैं। इसी रिस्क से बचने के लिए Decentralized Oracle Networks (DONs) का विकास हुआ है। इनमें कई इंडिपेंडेंट नोड्स होते हैं जो अलग-अलग सोर्स से डाटा लेकर आउटपुट तैयार करते हैं, जिसके कारण डाटा ज्यादा ट्रस्टफुल बन जाता है।
Chainlink इस क्षेत्र में सबसे प्रमुख नाम है। यह एक डिसेंट्रलाइज़्ड नेटवर्क है जो एक्सटर्नल डाटा को स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स तक सिक्योर और भरोसेमंद तरीके से पहुँचाता है। इसमें उपयोग किए जाने वाले क्रिप्टोग्राफ़िक प्रूफ, इकोनोमिक इंसेंटिव और रेपुटेशन सिस्टम इसे अधिक भरोसेमंद बनाते हैं।
Band Protocol, Witnet और API3 भी ऐसे ही ओरेकल सॉल्यूशन प्रोवाइड करवाते हैं।
Oracle Problem उस कंडीशन को कहा जाता हैं जब स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट तो पूरी तरह ठीक हो, लेकिन उसे प्राप्त होने वाला डाटा मेनिपुलेटेड हो। चूंकि ब्लॉकचेन पर एक बार ट्रांजैक्शन On-chain होने के बाद उसे बदला नहीं जा सकता, इसलिए यह मेनिपुलेटेड इनपुट गलत आउटकम का कारण बन जाता है।
Oracle Problem मुख्यतः इन वजहों से होती है:
इसका सॉल्यूशन डिसेंट्रलाइज़्ड आर्किटेक्चर, इकोनोमिक स्टैकिंग, क्रिप्टोग्राफ़िक प्रूफ और Zero Knowledge Proofs जैसे प्राइवेसी को सिक्योर करने वाली टेक्नोलॉजी से निकाला जा रहा है।
Blockchain Oracles का उपयोग ऐसे क्षेत्रों में हो रहा है जहाँ Smart Contracts को “On-chain Logic” के साथ साथ “Real-world Aware Logic” की भी जरुरत होती है, जैसे:
Oracles ने ब्लॉकचेन को आइसोलेटेड टेक्नोलॉजी से एक इम्पैक्टफुल इनफार्मेशन बेस्ड प्लेटफॉर्म में बदल दिया है।
जहाँ एक ओर Oracles स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को बाहरी दुनिया से जोड़ने का बहुत महत्वपूर्ण काम करते हैं, इसके कारण इससे जुड़े रिस्क को जानना भी जरुरी है:
इन समस्याओं को हल करने के लिए Cryptoeconomic Models और Decentralized Aggregation Techniques को अपनाया जा रहा है।
Oracles, Web3 के सबसे ज़रूरी कंपोनेंट्स में से एक बनते जा रहे हैं। आने वाले समय में:
ब्लॉकचेन और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट मिलकर Web3 की नींव का निर्माण करते हैं लेकिन बिना डाटा के इनकी यूटिलिटी बढ़ाना असंभव है। Blockchain Oracle उस इनविजिबल इकोसिस्टम का हिस्सा है जो इन सिस्टम की यूटिलिटी और इसके एडॉप्शन को बढ़ाने के लिए जरुरी इनफार्मेशन प्रोवाइड करवाता है। इसके बिना कोई भी DApp या DeFi सिस्टम काम नहीं कर सकता।
जैसे-जैसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी मैनस्ट्रीम में आ रही है, वैसे-वैसे Oracles की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है, यह एक ऐसा ब्रिज जो डिजिटल और रियल वर्ल्ड को जोड़ने का सबसे अहम् काम करता है।
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