Crypto Bubble एक ऐसी सिचुएशन है जिसमें किसी विशेष क्रिप्टोकरेंसी की कीमत अचानक तेजी से बढ़ती है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से स्पेक्युलेशन, FOMO (Fear of Missing Out) और प्रमोशन के कारण होती है। जब यह बबल बनता है, तब यह डिजिटल करेंसी की कीमत को उसकी एक्चुअल वैल्यू से ऊपर ले जाता है। इस न्यूज़ में, हम जानेंगे कि Crypto Bubble कैसे बनता है? इसके चेतावनी संकेत क्या होते हैं और इसके कुछ प्रमुख उदाहरण।
इनिशियल हाइप : नई क्रिप्टोकरेंसी की घोषणा होती है और उसके स्पेशल फीचर्स के बारे में चर्चा शुरू होती है। यह हाइप इन्वेस्टर्स का ध्यान आकर्षित करता है।
एस्टिमेटेड इन्वेस्टमेंट : जब लोग यह सोचते हैं कि उन्हें तेजी से प्रॉफिट मिलेगा, तो वे क्रिप्टो में इन्वेस्ट करने लगते हैं।
मीडिया अटेंशन : जब किसी क्रिप्टो की कीमत तेजी से बढ़ती है, तो मीडिया उस पर ध्यान देती है। यह FOMO बढ़ाता है, जिससे और अधिक लोग खरीदारी करते हैं।
अनरियल एक्साइटमेंट : इन्वेस्टर्स का उत्साह कीमतों को उनकी एक्चुअल वैल्यू से ऊपर ले जाता है, जिससे एक बबल बनता है।
बबल बर्स्टिंग : जब कीमतें अचानक गिरने लगती हैं, तो यह बबल फटने का संकेत होता है जिससे इन्वेस्टर्स को भारी नुकसान हो सकता है।
Crypto Bubble ऐसी सिचुएशन है जहां कीमतें तेजी से बदलती हैं और इसकी वजह स्पेक्युलेशन और पब्लिसिटी होती है। एक बार बबल बनने के बाद, यह अक्सर फट जाता है, जिससे कीमतों में भारी गिरावट आती है। इसलिए, इन्वेस्टर्स को चाहिए कि वे अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइ करें, मार्केट ट्रेंड्स पर नजर रखें और इमोशनल ट्रेडिंग से बचें। Crypto Bubble के इस ट्रेंड को समझना बेहद जरूरी है, ताकि आप Financial Loss से बच सकें।
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