India में एक नया ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है, जहां विदेशों में काम करने वाले NRIs अब बैंकिंग चैनलों की जगह Crypto Remittance का उपयोग करके पैसा भेज रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत में USDT जैसे स्टेबलकॉइन 4-5% प्रीमियम पर ट्रेड होते हैं। इससे NRIs को हर डॉलर पर ज़्यादा रुपये मिलते हैं और पूरे ट्रांज़ैक्शन में समय भी कम लगता है। Crypto Remittance का यह मॉडल पिछले कुछ महीनों में काफी लोकप्रिय हुआ है और इसका असर ट्रेडिशनल Funds Transfer सिस्टम पर भी देखा जा रहा है।

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मार्केट डेटा के मुताबिक भारत में USDT की कीमत लगभग ₹93 चल रही है, जबकि डॉलर का ऑफिशियल रेट लगभग ₹88.6 है। इसी प्राइस गैप की वजह से $1,000 भेजने पर बैंकिंग चैनल करीब ₹88,600 देता है, जबकि Crypto Remittance से यह अमाउंट लगभग ₹93,150 हो जाती है।
इसी अंतर को देखते हुए कुछ NRIs इसे एक बेहतर फाइनेंशियल ऑप्शन मान रहे हैं।
क्रिप्टो इंडस्ट्री एनालिस्ट का कहना है कि यह प्रीमियम भारत में Stablecoins की बढ़ती डिमांड की वजह से बना हुआ है। ट्रेडर्स और गेमिंग यूज़र्स भी USDT का उपयोग करते हैं, जिससे इसकी डोमेस्टिक डिमांड लगातार बनी रहती है।
कई देशों में Licensed Money Transmitters को FIAT के साथ स्टेबलकॉइन संभालने की अनुमति है। ऐसे में:
इस मॉडल में फीस कम होती है और पैसे लगभग तुरंत पहुंच जाते हैं। कुछ Money Changers ग्राहकों के साथ यह एक्स्ट्रा लाभ बांटते भी हैं, जिससे Crypto Remittance का उपयोग और बढ़ता है।
यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत आने वाले कुल रेमिटेंस का लगभग 3-4% अब स्टेबलकॉइन के जरिए भेजा जा रहा है। यह आंकड़ा भले ही छोटा लगे, लेकिन रेमिटेंस मार्केट बहुत बड़ा है, इसलिए इसे एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह ट्रेंड अभी शुरुआती लेवल पर है, इसलिए इसका असली असर आने वाले समय में दिखाई देगा। कई लोग क्रिप्टो की तेजी-मंदी से बचने और आसान ट्रांज़ैक्शन के लिए भी USDT जैसे Stablecoin का उपयोग कर रहे हैं, जिसकी वजह से इसकी डिमांड बढ़ रही है।
विश्वसनीय जानकारी के अनुसार, RBI निजी Stablecoins को लेकर काफी सावधान है और उन्हें बड़े लेवल पर स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है। RBI का ध्यान इस समय अपने डिजिटल रुपये (CBDC) को बढ़ावा देने पर है, ताकि भविष्य में इसे इंटरनेशनल पेमेंट में इस्तेमाल किया जा सके।
UAE जैसे कई देश भी अपनी डिजिटल करेंसी बना रहे हैं, ताकि दोनों देशों के बीच CBDC के जरिए पैसा भेजना संभव हो सके। यह प्रोसेस शुरू होने में समय लगेगा, लेकिन माना जा रहा है कि इससे भविष्य में पेमेंट सिस्टम और बैंकिंग स्थिरता मजबूत होगी।
भारत के मौजूदा टैक्स नियम Crypto Remittance के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु हैं। जब कोई व्यक्ति USDT बेचकर INR लेता है, तो उस ट्रांज़ैक्शन से मिलने वाला लाभ टैक्स योग्य माना जाता है। वर्तमान कानून के अनुसार:
रेमिटेंस से मिलने वाले एक्स्ट्रा रुपए का कुछ हिस्सा यही टैक्स कम कर सकता है, इसलिए एनालिस्ट सावधानी की सलाह देते हैं।
Crypto Remittance की बढ़ती लोकप्रियता के बीच भारत की कुछ कंपनियाँ अब भारतीय रूपये आधारित Stablecoin बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। हाल ही में एक Bengaluru कंपनी ने INR Stablecoin मॉडल पेश किया है। अगर यह टोकन विदेशों में उपलब्ध होता है, तो NRI सीधे stablecoin खरीदकर भारत में भेज सकेंगे, जिससे क्रिप्टो रेमिटेंस और आसान हो जाएगा।
क्रिप्टो और डिजिटल फाइनेंस में पिछले 7 साल के अनुभव के आधार पर, मैं इसे एक महत्वपूर्ण बदलाव मानती हूँ। USDT प्रीमियम की वजह से यह ऑप्शन फिलहाल लाभदायक दिखता है, लेकिन टैक्स और रेगुलेटरी अनिश्चितता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। भारत यदि Stablecoin या CBDC आधारित सिस्टम को ठीक तरह से लागू करता है, तो यह ट्रेंड मेनस्ट्रीम बन सकता है।
यह जानकारी सिर्फ सीखने और समझाने के लिए है। क्रिप्टो में पैसा लगाना जोखिम भरा हो सकता है, इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले अपना रिसर्च जरूर करें। जरूरत हो तो किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से एडवाइज लें। किसी भी तरह के नुकसान के लिए राइटर या प्लेटफॉर्म जिम्मेदार नहीं होंगे।
Crypto Remittance अब भारत में पैसे भेजने का एक नया और आसान तरीका बन रहा है। NRIs इसे इसलिए अपना रहे हैं क्योंकि यह बैंक ट्रांसफर से तेज़, सस्ता और कई बार ज्यादा फायदेमंद होता है। भारत में USDT का 4-5% प्रीमियम भी लोगों को आकर्षित करता है। हालांकि, इस तरीके में टैक्स, नियमों की कमी और कुछ जोखिम शामिल हैं। एनालिस्ट मानते हैं कि अगर भारत Stablecoin या डिजिटल रुपये (CBDC) के जरिए सुरक्षित Money Transfer सिस्टम डेवलप करता है, तो आने वाले समय में Crypto Remittance एक बड़ा ट्रेंड बन सकता है।
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