भारत सरकार ने 2 दिसंबर 2025 को एक ऑफिशियल घोषणा में बताया कि फार्मा सेक्टर में AI + Blockchain टेक्नोलॉजी को अपनाने की प्रोसेस शुरू हो रही है। Crypto India की X पोस्ट के अनुसार, पता चला है की सरकार का कहना है कि यह बदलाव रिसर्च, प्रोडक्शन और सप्लाई-चेन में ट्रांसपेरेंसी बढ़ाएगा। इस कदम को भारत की हेल्थकेयर इंडस्ट्री को ज्यादा सुरक्षित, भरोसेमंद और टेक्निकल रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।
AI + Blockchain की नई पहल के तहत दवाओं की रिसर्च, प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन के हर स्टेज में डेटा को सुरक्षित और ट्रैक-योग्य बनाने का लक्ष्य है। AI मेडिसिन डेवलपमेंट में तेज़ एनालिसिस और बेहतर प्रेडिक्शन में मदद करेगा, जबकि ब्लॉकचैन हर बैच का रिकॉर्ड सुरक्षित रखेगा। इससे गलत जानकारी, डाटा छेड़छाड़ और फर्जी रिपोर्टिंग जैसी समस्याएं काफी कम होंगी।
सरकार की योजना के अनुसार, फार्मा यूनिट्स में एक पायलट ट्रैक-एंड-ट्रेस सिस्टम लागू किया जाएगा, जिससे दवा बनाने से लेकर ग्राहक तक पहुंचने का पूरा सफर डिजिटल रूप से रिकॉर्ड होगी। यह सिस्टम कई देशों में टेस्ट के बाद उपयोग में लाया गया है और भारत AI + Blockchain को बड़े लेवल पर अपनाने वाला पहला प्रमुख मार्केट बन सकता है।
AI मॉडल नई दवाओं के मॉलेक्यूल्स की सही भविष्यवाणी कर सकेंगे।
क्लीनिकल ट्रायल के डाटा का तेज एनालिसिस कर सकेंगे।
40-60% तक रिसर्च टाइम कम होने की संभावना रहेगी।
रिस्क एनालिसिस और साइड-इफेक्ट प्रेडिक्शन में सुधार होगा।
फार्मा एक्सपोर्ट में भारत का प्रभाव बढ़ेगा।
भारत जैसे बड़े फार्मा मार्केट में नकली दवाएं लंबे समय से एक बड़ी समस्या रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी कहता है कि कई डेवलपिंग देशों में करीब 10% दवाएं नकली या घटिया मिलती हैं। ऐसे में सरकार द्वारा Blockchain Technology अपनाना बेहद महत्वपूर्ण कदम है।
Blockchain की मदद से हर दवा के पैक पर एक यूनिक डिजिटल कोड होगा, जिसमें यह पूरी जानकारी दर्ज होगी कि दवा कहां बनी, कब बनी और किस रास्ते से ग्राहक तक पहुंची। यह रिकॉर्ड बदला नहीं जा सकता, इसलिए जालसाजी करना मुश्किल हो जाएगा। इससे नकली दवाओं की पहचान तेज होगी और मार्केट में मिलने वाली असली दवाओं पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा।
Nature Biotechnology की एक रिपोर्ट के अनुसार, Blockchain का उपयोग फर्जी दवाओं को लगभग 30% तक कम कर सकता है। अगर भारत में यह सिस्टम बड़े लेवल पर लागू होता है, तो करोड़ों लोगों की दवा सुरक्षा बढ़ेगी।
भारत पहले से ही दुनिया में दवाओं का बड़ा एक्सपोर्टर है। AI + Blockchain अपनाने से भारतीय कंपनियों को इंटरनेशनल मार्केट में और भी मजबूत पहचान मिलेगी। कई देशों में सुरक्षित डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम की डिमांड बढ़ रही है, इसलिए यह बदलाव भारत की फार्मा इंडस्ट्री को एक नए डेवलपमेंट स्टेज में ले जा सकता है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि AI + Blockchain पहल भारतीय कंपनियों की रिलायबिलिटी बढ़ाएगी और आने वाले समय में हमारा फार्मा सेक्टर और ज्यादा आधुनिक और भरोसेमंद बनेगा।
नकली दवाओं पर 60-70% तक का कण्ट्रोल होगा।
दवा की कीमतों में ट्रांसपेरेंसी आएगी ।
एक्सपोर्ट मार्केट में भारत की रिलायबिलिटी बढ़ेगी।
FDA, EMA जैसे ग्लोबल रेगुलेटर्स की कंप्लायंस आसान होगा।
रिसर्च कंपनियों को स्मार्ट डेटा एक्सेस मिलेगा।
यह AI + Blockchain की खबर क्रिप्टो और टेक कम्युनिटी में भी चर्चा का विषय बन गई है। क्रिप्टो इन्फ्लुएंसर @wiseadvicesumit ने इस डिसीजन को “भारत के लिए एक बड़ा कदम” बताया। उनके फॉलोअर्स ने इस पोस्ट को 134 से ज्यादा लाइक्स और कई अच्छे रिएक्शन्स मिलें। पोस्ट में खासतौर पर यह बताया गया कि Blockchain का असली उपयोग तभी दिखता है जब उसे बड़ी इंडस्ट्री में लागू किया जाता है।
भारत में पहले कई बार Crypto Regulation को लेकर सख्ती देखी गई थी, लेकिन Blockchain को इंडस्ट्रीज में अपनाने का बढ़ता ट्रेंड बताता है कि देश टेक्नोलॉजी को उसके व्यावहारिक रूप में स्वीकार कर रहा है।
AI + Blockchain से नकली दवा मिलने की संभावना बेहद कम हो जाएगी।
QR स्कैन करके तुरंत दवा की पूरी जानकारी मिल जाएगी।
एक्सपायर या गलत बैच का अलर्ट पता चलेगा।
मेडिकल स्टोर्स में स्टॉक की ट्रांसपेरेंसी होगी।
ट्रीटमेंट की रिलायबिलिटी बढ़ेगी।
सरकार का कहना है कि AI + Blockchain मिलकर ऐसा सिस्टम बनाएंगे जो दवाओं से जुड़ी हर जानकारी को पूरी तरह सुरक्षित बना देगा। दवाओं का रिकॉर्ड कोई बदल नहीं सकेगा, गलत स्टॉक की जानकारी तुरंत पकड़ में आ जाएगी और मरीजों तक सिर्फ असली दवा ही पहुंचेगी। इससे दवा खरीदने वाले हर व्यक्ति को भरोसा मिलेगा कि उसे सही और सुरक्षित दवा मिल रही है।
इस घोषणा के साथ भारत ने दिखा दिया है कि भविष्य में हमारा हेल्थकेयर सिस्टम और भी स्मार्ट, तेज़ और ट्रांसपेरेंट बनने वाला है, जिसका सीधा फायदा आम लोगों को मिलेगा।
2026-27 में बड़े पैमाने पर ट्रैक-एंड-ट्रेस लागू होगा।
2028 तक नकली दवाओं में भारी कमी होगी।
2030 तक भारत का हेल्थकेयर दुनिया के टॉप 3 टेक-ड्रिवन सिस्टम में शामिल हो सकता है।
AI Based दवा रिसर्च में भारत लीडर बन सकता है।
पिछले 7 वर्षों से टेक और इंडस्ट्री ट्रेंड्स को करीब से समझने के मेरे अनुभव में, भारत का AI + Blockchain मॉडल फार्मा सेक्टर के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह सिर्फ टेक अपडेट नहीं, बल्कि ट्रांसपेरेंट, सुरक्षित और डेटा-ड्रिवन हेल्थकेयर की दिशा में बेहद मजबूत कदम है, जिसका असर नेक्स्ट डिकेड तक दिखाई देगा।
यह फैसला भारत के हेल्थकेयर सेक्टर को एक नए युग में ले जाने वाला साबित हो सकता है। AI + Blockchain दवाओं की रिसर्च, प्रोडक्शन और सप्लाई-चेन को पहले से कहीं अधिक सिक्योर, ट्रांसपेरेंट और तेज बनाएगा। नकली दवाओं पर सख्त कंट्रोल, ग्लोबल मार्केट में बढ़ती रिलायबिलिटी और आम नागरिकों के लिए भरोसेमंद उपचार ये सभी बदलाव आने वाले वर्षों में भारत को दुनिया के सबसे नए फार्मा इकोसिस्टम की तरफ ले जाएंगे। यह कदम लंबे समय तक असर दिखाने वाला है।
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पब्लिक सूचनाओं और उपलब्ध इंडस्ट्री एनालिसिस पर बेस्ड है। इसमें दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और जागरूकता उद्देश्यों के लिए है। किसी भी गवर्नमेंट पॉलिसी, फार्मा कंपनी या टेक्निकल सिस्टम का लास्ट डिसीजन ऑफिशियल सोर्स पर निर्भर करेगा।
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