क्रिप्टो मार्केट में बड़ा झटका तब लगा जब BlackRock के मशहूर Bitcoin ETF (IBIT) से 14 नवंबर को अचानक बहुत बड़ी मात्रा में Bitcoin निकाले गए। कुल 4,880 Bitcoin फंड से बाहर हुए, जिनकी कीमत लगभग $474 मिलियन के बराबर थी। यह अब तक का सबसे बड़ा एक-दिन का आउटफ्लो माना जा रहा है। इस घटना ने न सिर्फ ब्लैकरॉक के ETF का रिकॉर्ड बदला, बल्कि पूरे अमेरिकी Bitcoin ETF Market में हलचल मचा दी, क्योंकि इतने बड़े ऑउटफ्लो से निवेशकों की चिंता बढ़ गई है।

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ब्लैकरॉक का यह आउटफ्लो ETF की जनवरी 2024 की शुरुआत के बाद से सबसे बड़ा है। इसी दिन सभी अमेरिकी Bitcoin ETFs से कुल 502 मिलियन डॉलर निकाले गए, लेकिन ब्लैकरॉक का iShares Bitcoin Trust इस ऑउटफ्लो में सबसे आगे रहा। इतने बड़े आउटफ्लो ने इन्वेस्टर्स के बीच यह सवाल पैदा कर दिया कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर Bitcoin Outflow क्यों की गई, जबकि Market अभी भी 95,000 डॉलर के ऊपर ट्रेड कर रहा था।
हाल ही में BlackRock ने Australia में बिटकॉइन ETF लॉन्च करने की घोषणा की थी। BlackRock के इस बड़े देश में Bitcoin ETF Launch की घोषणा करने का यह कदम न सिर्फ़ ऑस्ट्रेलियाई निवेशकों को दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी तक आसान पहुंच उपलब्ध करा रहा है, बल्कि ग्लोबल लेवल पर इस टॉप डिजिटल एसेट को संस्थागत लेवल पर और ज़्यादा भरोसा और अपनापन मिल रहा है।
दिलचस्प बात यह रही कि BlackRock के बिटकॉइन ETF में इतने बड़े Outflow के बावजूद इसकी ट्रेडिंग एक्टिविटी बेहद मजबूत रही। 5 बिलियन डॉलर का ट्रेडिंग वॉल्यूम इस बात का संकेत था कि इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स अभी भी इस प्रोडक्ट में बहुत इंटरेस्ट रखते हैं। यानी एक तरफ बड़े इन्वेस्टर्स BTC निकाल रहे थे, तो दूसरी तरफ मार्केट का बड़ा हिस्सा अभी भी इसके अंदर ट्रेडिंग कर रहा था।
खास बात यह है कि इतने बड़े आउटफ्लो के बावजूद बिटकॉइन 95,000 डॉलर पर मजबूती से टिका रहा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे पता चलता है कि अब Bitcoin Market सिर्फ छोटे-मोटे आउटफ्लो से प्रभावित नहीं होता। रिसर्च रिपोर्ट्स भी बताती हैं कि ETF से पैसा निकलना ज्यादातर शॉर्ट-टर्म मूड या डर की वजह से होता है, न कि बिटकॉइन की लॉन्ग-टर्म वैल्यू में किसी बड़े बदलाव का संकेत। यानी, मार्केट अभी भी मजबूत बना हुआ है और निवेशकों का भरोसा कायम है।
इतना बड़ा आउटफ्लो होने के बाद लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठा कि क्या BlackRock अपनी बिटकॉइन स्ट्रेटेजी बदल रहा है। लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह BlackRock की किसी शॉर्ट-टर्म एडजस्टमेंट या रिस्क मैनेजमेंट का हिस्सा हो सकता है। कंपनी पहले भी कई बार दिखा चुकी है कि वह बिटकॉइन को एक महत्वपूर्ण डिजिटल एसेट की तरह देखती है, इसलिए इसकी लॉन्ग टर्म की स्ट्रेटेजी में बदलाव की संभावना कम लगती है।
मार्केट में यह घटना बड़ी चर्चा का विषय बन गई क्योंकि यह BlackRock के ETF से अब तक का सबसे बड़ा आउटफ्लो था। क्रिप्टो कम्युनिटी मानती है कि अगर ऐसे आउटफ्लो लगातार होते रहे, तो मार्केट में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है। फिलहाल सबकी नजर इस बात पर है कि BlackRock आगे क्या कदम उठाता है। क्या यह सिर्फ एक दिन का खास मामला था या फिर आने वाले दिनों में किसी बड़े ट्रेंड की शुरुआत देखने को मिलेगी।
7 साल के अनुभव के आधार पर मेरी राय में यह बड़ा आउटफ्लो किसी डर या बिटकॉइन पर अविश्वास का संकेत नहीं है। यह सिर्फ एक शॉर्ट-टर्म इंस्टिट्यूशनल एडजस्टमेंट है। मार्केट अभी भी मजबूत है और Bitcoin के लॉन्ग टर्म की संभावनाएं पहले की तरह पॉज़िटिव बनी हुई हैं।
इतना बड़ा आउटफ्लो होने का मतलब यह नहीं है कि BlackRock अब BTC से दूरी बना रहा है। यह कदम शायद सिर्फ मार्केट की अनिश्चित स्थिति में एक सावधानी भरी स्ट्रेटेजी हो सकता है। इसके बावजूद ETF की मजबूत ट्रेडिंग और BTC का स्थिर रहना दिखाता है कि क्रिप्टो मार्केट अभी भी मजबूती से खड़ा है। निवेशकों के लिए यह एक याद दिलाने वाली घटना है कि बड़े इंस्टिट्यूशनल फैसले शॉर्ट-टर्म ट्रेंड बदल सकते हैं, लेकिन BTC का लंबा सफर अभी भी स्थिर और भरोसेमंद लग रहा है।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी देने के लिए है, इसे फाइनेंशियल एडवाइज न समझें। क्रिप्टो मार्केट काफी बदलता रहता है, इसलिए कोई भी इन्वेस्टमेंट डिसीजन लेने से पहले अपनी रिसर्च करें या किसी भरोसेमंद फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।
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