भारत में डिजिटल करेंसी को लेकर नीति और कानून पर बहस लंबे समय से जारी है, लेकिन अब लगता है कि यह बहस किसी निर्णायक मोड़ पर पहुँच सकती है। वित्त मंत्रालय द्वारा Cryptocurrency India Law पर डिस्कशन पेपर रिलीज करने की तैयारी और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती ने यह संकेत दिया है कि भारत जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कदम उठा सकता है। जिसमें माना जा रहा है कि Cryptocurrency पर भारत सरकार जल्द कानून बना सकती है।
मगर असली सवाल यह उठता है कि देश के करोड़ों क्रिप्टो यूज़र्स और निवेशक इस संभावित कानून से क्या उम्मीद कर रहे हैं? क्या उनकी उम्मीदें केवल टैक्स में राहत तक सीमित हैं या वे इससे कहीं आगे की सोच रहे हैं?
चलिए, जानते हैं कि Cryptocurrency India Law को लेकर यूज़र्स की क्या प्रमुख अपेक्षाएं हैं।
सबसे पहली और सबसे बड़ी अपेक्षा Cryptocurrency India Law से यह है कि सरकार एक स्पष्ट, ट्रांसपेरेंट और स्थिर नीति लेकर आए। मौजूदा समय में भारत की नीति काफी अस्पष्ट है, जिससे निवेशको के बीच में अनिश्चितता है।
यूज़र्स चाहते हैं कि यह कानून ये बताए:
इस ट्रांस्पेरेसी से वे अपनी स्ट्रेटजी तय कर सकेंगे और क्रिप्टो एडॉप्शन में संकोच नहीं करेंगे।
वर्तमान में भारत सरकार ने क्रिप्टो पर पूरी तरह से बैन नहीं लगया है, लेकिन 30% टैक्स और 1% TDS जैसे नियमों से वर्तमान में अधिकांश क्रिप्टो यूज़र्स परेशान हैं। यह नियम उन्हें सज़ा देने जैसे ही प्रतीत होता है, न कि उन्हें सिक्योर इन्वेस्टमेंट के लिए प्रोत्साहित करने वाला।
यूज़र्स की अपेक्षा है कि Cryptocurrency India Law में टैक्स को लेकर व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाए, जैसे लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट पर टैक्स रिबेट, 1% TDS को घटाकर 0.1% या पूरी तरह हटाना, साथ ही में NFT और GameFi प्रोजेक्ट्स पर अलग से टैक्स ब्रैकेट। अगर सरकार इन बदलावो पर काम करती है तो इससे यूज़र्स का भरोसा मजबूत होगा।
अभी तक किसी भी क्रिप्टो प्रोजेक्ट या एक्सचेंज के फेल हो जाने पर यूज़र्स को कोई सिक्योरिटी नहीं मिलती है। इसका उदाहरण हम WazirX Hack से जुड़े मामले में देख चुके हैं। Cryptocurrency India Law से यूज़र्स की मांग है कि जैसे बैंक डिपॉज़िट्स पर DICGC सुरक्षा मिलती है, वैसे ही क्रिप्टो होल्डिंग्स पर भी बीमा या सेफ्टी नेट बनाया जाए।
इसके चलते निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि नया Cryptocurrency India Law Regulated Custodians द्वारा एसेट स्टोरेज, यूज़र्स के लिए Investor Grievance Platform और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के लिए ऑडिट की अनिवार्यता जैसे इन सुरक्षा उपायों को शामिल करेगा।
भारत का युवा डेवलपर बेस और तेजी से उभरता स्टार्टअप ईकोसिस्टम Web3 के लिए पूरी तरह तैयार है। यूज़र्स और टेक एंथुज़ियास्ट्स को उम्मीद है कि नया कानून केवल रेगुलेट करने वाला ही नहीं, बल्कि इनोवेशन को प्रेरित करने वाला भी होगा। Cryptocurrency India Law के माध्यम से वे चाहते हैं कि सरकार Web3 स्टार्टअप्स के लिए सैंडबॉक्स नीति लाए , DeFi और NFT आधारित प्रोजेक्ट्स को कानूनी वैधता दे और क्रॉस-बॉर्डर ट्रांज़ैक्शन के लिए क्लियर गाइडलाइंस दे।
यूज़र्स यह भी उम्मीद करते हैं कि भारत का कानून उन ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के अनुसार हो, जिनका पालन अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देश कर रहे हैं। इससे भारतीय क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स को इंटरनेशनल पार्टनरशिप और फंडिंग पाने में आसानी होगी।
वे चाहते हैं कि भारत:
RBI ने Digital Rupee को लेकर जो पहल की है, वह यूज़र्स को भारत की प्रतिबद्धता का संकेत देती है। CBDC पायलट प्रोग्राम का विस्तार, प्राइवेट वॉलेट पार्टनरशिप और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स की प्लानिंग इन प्रयासों का हिस्सा हैं। Digital Rupee को लेकर यह जानकारी RBI अपने X अकाउंट पर पोस्ट कर चुका है।
हालांकि, यूज़र्स मानते हैं कि CBDC और क्रिप्टो दो अलग रास्ते हैं। Digital Rupee एक सरकारी माध्यम है, जबकि क्रिप्टो एक डिसेंट्रलाइज्ड इंडिपेंडेंट असेट्स है। इसलिए दोनों के लिए अलग और उपयुक्त नीति होनी चाहिए।
Cryptocurrency India Law की राह में केवल रेगुलेशन और टैक्स रिकवरी न होकर, इनोवेशन, सिक्योरिटी और ग्लोबल कॉम्पिटिशन का समावेश होना चाहिए। यूज़र्स चाहते हैं कि सरकार यह समझे कि क्रिप्टो केवल एक निवेश नहीं, बल्कि एक टेक्नीकल रिवोल्यूशन है, जिसमें भारत को पीछे नहीं रहना चाहिए।
अगर नीति इन अपेक्षाओं पर खरी उतरती है, तो भारत न केवल अपने निवेशकों को सुरक्षित बना सकेगा, बल्कि Web3 युग का ग्लोबल लीडर भी बन सकता है।
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