भारत की Finance Minister Nirmala Sitharaman ने हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल असेट्स पर Tax Provisions के बारे में महत्वपूर्ण बयान दिए हैं। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी को अभी तक भारत में कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी गई है, सरकार ने वर्चुअल एसेट्स पर टैक्स लागू करने का कदम उठाया है, जिससे इस पर काफी चर्चा शुरू हो गई है। वित्त मंत्री के इस बयान ने क्रिप्टो और फाइनेंशियल स्पेस में ध्यान आकर्षित किया, जिसमें उन्होंने डिजिटल रिकॉर्ड्स तक पहुंच की बात की, ताकि टैक्स चोरी और धोखाधड़ी को रोका जा सके।
Nirmala Sitharaman ने यह स्पष्ट किया कि क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते उपयोग को देखते हुए सरकार को इसे टैक्स के दायरे में लाने की आवश्यकता महसूस हुई। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल न केवल निवेश के लिए, बल्कि टैक्स चोरी और इलीगल फाइनेंशियल एक्टिविटी में भी बढ़ रहा है। इससे निपटने के लिए, सरकार ने 1% TDS (Tax Deducted at Source) लागू किया, जो 1 जुलाई 2022 से प्रभावी है। यह टैक्स उन सभी क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन्स पर लागू होता है, जिनमें 50,000 रुपये से अधिक का कारोबार होता है।
Sitharaman ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी पर 30% टैक्स भी लागू है, जो उन लोगों पर लागू होता है, जो क्रिप्टो से लाभ प्राप्त करते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से कानूनी बनाने के उद्देश्य से नहीं है, बल्कि इसे नियंत्रित और ट्रैक करने के लिए है। उनके अनुसार, इस कदम से टैक्स चोरी को रोका जा सकेगा और फाइनेंशियल स्पेस में पारदर्शिता आएगी।
हालांकि यह पहला मौका था जब भारत सरकार की तरफ से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई पॉजिटिव खबर सामने आयी है। इससे पहले सरकार से जुड़ी संस्थाओं की ओर से Crypto Ban से जुड़े ही बयान सामने आते थे।
Finance Minister ने यह भी कहा कि टैक्स ऑफिशियल्स को डिजिटल रिकॉर्ड्स तक पहुंच देने की आवश्यकता है ताकि वे बेहतर तरीके से टैक्स चोरी और धोखाधड़ी की जांच कर सकें। उन्होंने एक उदाहरण दिया, जिसमें टैक्स अधिकारियों ने WhatsApp संदेशों के जरिए ₹90 करोड़ के अवैध क्रिप्टो लेनदेन का खुलासा किया। उन्होंने यह बताया कि डिजिटल रिकॉर्ड्स की पहुंच होने से ऐसे मामलों की पहचान करना संभव हो पाएगा और इससे वित्तीय अपराधों पर काबू पाया जा सकेगा।
Sitharaman ने बताया कि पहले के समय में किताबों और लेजर की जांच की जाती थी, लेकिन अब डिजिटल ट्रांजैक्शन को ट्रैक करना बहुत जरूरी हो गया है। टैक्स चोर अक्सर अपने लेजर दिखाते हैं, लेकिन असल में वे मोबाइल डेटा और एन्क्रिप्टेड संदेशों में महत्वपूर्ण जानकारी छुपा सकते हैं। नए कानून के तहत, अधिकारियों को इस डेटा तक पहुंच मिलेगी, जिससे वे सही तरीके से जांच कर सकेंगे और टैक्स चोरों पर कार्रवाई कर सकेंगे।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी अभी तक पूरी तरह से लीगल नहीं हुई है, लेकिन सरकार के इन नए टैक्स प्रावधानों ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। Nirmala Sitharaman का बयान यह दर्शाता है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग को कंट्रोल करने के लिए एक स्ट्रांग फ्रेमवर्क तैयार कर रही है। 1% TDS और 30% टैक्स जैसे कदम इस बात का संकेत देते हैं कि सरकार डिजिटल असेट्स पर निगरानी और कंट्रोल बढ़ाने की दिशा में गंभीर है।
हालांकि, अब भी यह सवाल बना हुआ है कि क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति क्या होगी, लेकिन फिलहाल सरकार के कदमों से यह साफ है कि वह इस क्षेत्र को व्यवस्थित करने की दिशा में काम कर रही है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस क्षेत्र में और क्या कदम उठाती है।
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