भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी एनुअल रिपोर्ट 2024–25 में Digital Rupee यानी Central Bank Digital Currency (CBDC) के भविष्य को लेकर कई अहम जानकारियां साझा की हैं। रिपोर्ट से साफ है कि RBI अब Digital Rupee को केवल देश के भीतर इस्तेमाल तक सीमित नहीं रखना चाहता, बल्कि इसका दायरा इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम तक बढ़ाने की तैयारी में है।

RBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वह अपने CBDC पायलट प्रोग्राम को रिटेल (e₹-Retail) और व्होलसेल (e₹-Wholesale) दोनों स्तरों पर एक्सपांड करेगा। इन पायलट प्रोग्राम्स के तहत पहले से चल रहे एक्सपेरिमेंट्स के आधार पर Digital Rupee में अब नए यूज़ केस और फीचर्स जोड़े जाएंगे। जिनका उद्देश्य Digital Rupee को आम जनता और आर्गेनाईजेशन दोनों के लिए और ज्यादा प्रैक्टिकल, सिक्योर और यूजर फ्रेंडली बनाना है।
गौरतलब है कि RBI इस दिशा में पहले ही महत्वपूर्ण कदम उठा चुका है। e₹-Wholesale और e₹-Retail को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 2022 में शुरू किया गया था, जिसे कुछ चुनिंदा बैंकों तक ही सीमित रखा गया था। इसकी सफलता के बाद अब इसे और अधिक विस्तार देने पर काम किया जा रहा है।
रिपोर्ट की सबसे दिलचस्प बात यह है कि अब RBI क्रॉस बॉर्डर Digital Rupee यूज़ केस पर काम कर रहा है। इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में e-Rupee का उपयोग बायलेटरल और मल्टीलेटरल इंटरनेशनल पेमेंट्स में भी किया जा सकेगा।
यह कदम भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में लाने की कोशिश है जो अपनी डिजिटल करेंसी को ग्लोबल ट्रांजेक्शन में उपयोग कर रहे हैं। इससे न केवल भारत की डॉलर पर निर्भरता कम होगी, बल्कि भारत की फाइनेंशियल सॉवरेनिटी को भी मज़बूती मिलेगी। ग्लोबल लेवल पर जहाँ एक और क्रिप्टोकरेंसी की क्रॉसबॉर्डर पेमेंट में मान्यता बढ़ रही है वहीं भारत द्वारा उठाया गया यह कदम एक अलग दिशा की और संकेत कर रहा है।
इन गवर्नमेंटल इनिशिएटिव के अलावा प्राइवेट कंपनियां भी इस पहल में शामिल हो रही हैं। इस साल की शुरुआत में Mobikwik ने YES Bank और RBI के साथ मिलकर एक फुल-स्केल e-₹ Wallet लॉन्च किया, जो सभी एंड्रॉइड यूज़र्स के लिए उपलब्ध है। यह वॉलेट P2P (Peer-to-Peer) और P2M (Peer-to-Merchant) ट्रांज़ैक्शन को सपोर्ट करता है और UPI QR कोड के साथ पूरी तरह से कम्पैटिबल है।
इसी तरह CRED ने भी जनवरी 2025 में YES Bank के साथ मिलकर e₹ Wallet का बीटा प्रोग्राम लांच किया है। इससे यह साफ है कि Digital Rupee का इम्प्लीमेंटेशन जमीनी स्तर पर शुरू हो चुका है।
RBI की रिपोर्ट में सुझाए गए Digital Rupee के नए यूज़ केस का सीधा असर आम जनता, बिज़नेस वर्ल्ड और भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर पड़ेगा।
आम लोगों के लिए आसान और सुरक्षित विकल्प
e₹-Retail को जिस तरह UPI QR से जोड़ा गया है, उससे यह स्पष्ट है कि RBI इसे लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों के अनुसार डिज़ाइन कर रहा है। इससे भविष्य में कैश की ज़रूरत घट सकती है और Digital Rupee से सीधे पेमेंट का अनुभव UPI से भी तेज़ और इंटरमीडियरी-फ्री हो सकता है। इसके अलावा, सरकार सब्सिडी जैसी सुविधाएं सीधे Digital Rupee के ज़रिए लोगों तक पहुंचा सकेगी, जिससे लीक और भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी।
बिजनेस और स्टार्टअप के लिए नए अवसर
चूँकि Digital Rupee ट्रांज़ैक्शन के लिए इंटरमीडियरी की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए ट्रेडिशनल पेमेंट सिस्टम्स की तुलना में यह ज़्यादा भरोसेमंद और रीयल-टाइम सेटलमेंट वाला सिस्टम बन सकता है। इससे MSMEs और छोटे कारोबारों को फ़ास्ट पेमेंट की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा Fintech स्टार्टअप्स के लिए भी यह एक बड़ा अवसर है, वे e-Rupee को आधार बनाकर नए टूल्स, वॉलेट्स और पेमेंट ऐप्स तैयार कर सकते हैं।
भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति होगी मजबूत
RBI की रिपोर्ट में क्रॉस-बॉर्डर CBDC पेमेंट की बात भी महत्वपूर्ण है। अगर भारत इस दिशा में सफल रहता है, तो SAARC या BRICS जैसे समूहों में वह एक पेमेंट लीडर बन सकता है। Digital Rupee के एक्सपेंशन से भारत को स्ट्रेटेजिक और इकोनोमिक फ्रंट पर मजबूती मिलेगी।
हालांकि RBI की रिपोर्ट में Digital Rupee के यूज़ केस एक्सपेंशन को लेकर जो योजना बताई गयी है, वह बहुत प्रोमिसिंग दिखाई देती है। लेकिन इसके साथ ही RBI को ग्लोबल ट्रेंड को समझते हुए डिजिटल करेंसी सिस्टम में क्रिप्टो करेंसी को भी इंटीग्रेट करने की तुरंत आवश्यकता है। इसके साथ ही,इस योजना को सफल बनाने के लिए RBI को साइबर सिक्योरिटी, डेटा प्राइवेसी और आसान यूजर इंटरफेस पर विशेष फोकस करना होगा। Digital Rupee एक बड़ा कदम है, लेकिन इसकी सफलता आम यूज़र के अनुभव और भरोसे पर निर्भर करेगी।
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