Decentralized Finance या DeFi, वर्तमान में Blockchain Technology का सबसे बड़ा और प्रोमिसिंग उपयोग है। यह ट्रेडिशनल फाइनेंशियल सिस्टम की सीमाओं को तोड़ते हुए एक ऐसा सिस्टम हमारे सामने रखता है जो बिना बैंकों, ब्रोकर या किसी भी इंटरमीडिएटरी के काम करता है। DeFi की मदद से कोई भी व्यक्ति, कहीं से भी केवल एक क्रिप्टो वॉलेट और इंटरनेट कनेक्शन के ज़रिए लोन ले सकता है, ब्याज कमा सकता है या ट्रेडिंग कर सकता है।
DeFi यानी Decentralized Finance एक ऐसा फाइनेंशियल स्ट्रक्चर है जो Smart Contracts और Blockchain Technology की मदद से ट्रेडिशनल फाइनेंशियल सर्विसेज एक ओपन और कण्ट्रोल फ्री एनवायरनमेंट में प्रोवाइड करवाता है। DeFi में बैंक, ब्रोकर या किसी फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की जरुरत नहीं होती है बल्कि सब कुछ Smart Contracts में लिखे गए टर्म्स और कंडीशन के हिसाब से आटोमेटिक मोड पर चलता है।
इसका उद्देश्य है, दुनिया भर में किसी भी व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव और बाधा के, ट्रेडिशनल बैंकिंग और फाइनेंस की सुविधाएं उपलब्ध करवाना।
DeFi ऐसे प्लेटफार्म होते हैं जो पूरी तरह Smart Contracts में निर्धारित टर्म्स और कंडीशन के अनुसार काम करते हैं यानी पहले से कोड किए गए नियम जो ब्लॉकचेन पर डेप्लोय किए गए होते हैं, वे टर्म्स पूरी होने पर अपने आप एक्सीक्यूट हो जाते हैं। इसमें न तो किसी मिडिलमैन की ज़रूरत होती है और न किसी अप्रूवल की। Smart Contracts, Wallets, Tokens और DApps मिलकर DeFi को मूर्त रूप देते हैं।
उदाहरण के तौर पर, आप अगर किसी DeFi App से लोन लेना चाहें, तो वहां केवल स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट यह तय करेगा कि आपके द्वारा जमा किए गए कोलैटरल के ऊपर आपको कितनी ब्याज दर पर, कितने समय के लिए, कितना लोन मिलेगा।
DeFi Protocols, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के द्वारा बनाए गए उस सिस्टम को कहा जाता है, ब्लॉकचेन पर फाइनेंशियल सर्विस को ऑटोमेट और कण्ट्रोल करते हैं। ये प्रोटोकॉल ट्रेडिशनल इंस्टीट्यूशन जैसे बैंक या ब्रोकर की तरह होते हैं लेकिन इनमें ह्यूमन अप्रूवल की बजाय पहले से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में कोडेड टर्म्स एंड कंडीशन के अनुसार ऑटोमेटेड निर्णय लिया जाता है।
उदाहरण के लिए, Uniswap एक DEX Protocol है जो टोकन स्वैपिंग फैसिलिटी प्रोवाइड करवाता है, वहीं Aave लेंडिंग-बॉरोइंग के लिए बनाया गया DeFi Protocol है। इन पर सभी ऑपरेशन स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार परफॉर्म होते हैं।
| प्रोटोकॉल | कार्य | कैसे करता है |
| Uniswap | Token swap | AMM model और liquidity pools |
| Aave | Lending & Borrowing | Collateral-based smart loans |
| MakerDAO | DAI Stablecoin | ETH-backed system |
| Curve | Stablecoin trading | Low-slippage trading |
| Lido | Liquid staking | ETH को stETH में बदलता है |
Decentralized Exchanges (DEX)
DEX वो प्लेटफॉर्म हैं जहां यूज़र्स बिना किसी मिडिलमैन के एक-दूसरे के साथ टोकन का ट्रांज़ैक्शन कर सकते हैं। इसमें कोई सेंट्रल अथोरिटी नहीं होती और यूज़र केवल अपना वॉलेट कनेक्ट करके ट्रेड कर सकता है।
DEXs जैसे Uniswap या PancakeSwap में ऑटोमेटेड मार्केट मेकर (AMM) मॉडल अपनाया गया है। इसमें लिक्विडिटी पूल्स होते हैं, जिनका उपयोग करके दो टोकन की जोड़ी इस तरह से बनाई जाती है की उन्हें आपस में स्वैप किया जा सके। यूज़र्स इन्हीं लिक्विडिटी पूल्स का उपयोग करके टोकन स्वैप करते हैं और इसमें लिक्विडिटी प्रोवाइडर को हर स्वैप पर फीस मिलती है।
Lending और Borrowing Protocols
इस तरह के DeFi Protocol आपको बिना किसी पेपरवर्क के तुरंत लोन लेने और देने की सुविधा देते हैं। इसमें जो लोन लेने के लिए कुछ कोलेटरल देना पड़ता है और जो लोन देने के लिए एसेट उपलब्ध करवाता है उसे बदले में ब्याज या रिवॉर्ड मिलते हैं।
उदाहरण के लिए Aave और Compound पर, आप अपने टोकन को Smart Contracts में डिपाजिट करते हैं। ये डिपाजिट किए गए टोकन लोन लेने वालों को दिए जाते है और बदले में उन्हें इंटरेस्ट देना पड़ता है। लोन लेने वाले को कुछ एसेट कोलैटरल के रूप में डिपाजिट करने पड़ते हैं ताकि नेटवर्क के डिफ़ॉल्ट होने का खतरा न हो।
Stablecoins
DeFi की दुनिया में Stablecoins की भूमिका वोलेटाइल मार्केट में स्टेबिलिटी बनाए रखने की होती है। ये ऐसे टोकन होते हैं जिनकी वैल्यू किसी रियल वर्ल्ड एसेट (जैसे USD, सोना, चाँदी) के बराबर होती है।
DAI जैसे Crypto-collateralized Stablecoin या USDC जैसे फ़िएट आधारित टोकन का उपयोग लिक्विडिटी पूल्स और लेंडिंग प्रोटोकॉल में होता है।
Yield Farming और Liquidity Mining
Yield Farming उन यूज़र्स के लिए है जो पैसिव इनकम जनरेट करना चाहते हैं। इसमें आपको किसी DEX या प्रोटोकॉल में लिक्विडिटी रखने पर रिवॉर्ड दिया जाता है, यह रिवॉर्ड भी टोकन के रूप में ही दिए जाते हैं।
Liquidity Mining भी इसी का एक रूप है, जिसमें LP Tokens रिवॉर्ड में दिए जाते हैं जिन्हें आगे फिर से स्टैकिंग करके रिवॉर्ड कमाए जा सकते हैं। हालांकि इसके साथ रिस्क भी जुड़ा है इसलिए सुरक्षित प्लेटफार्म पर ही यह एक्टिविटी करना चाहिए।
Staking Platforms
किसी नेटवर्क या प्रोटोकॉल में ब्लॉकचेन की सिक्योरिटी और ऑपरेशन को चलाने के लिए टोकन लॉक करना स्टैकिंग कहा जाता है।
Ethereum जैसे नेटवर्क जो Proof of Stake का उपयोग वेलिडेशन के लिए करते हैं, उनमे स्टैकिंग पर रिवॉर्ड मिलने के साथ साथ वेलिडेशन प्रोसेस में पार्टिसिपेट करने का मौका मिलता है। इसी तरह से Lido पर स्टैक करते हुए भी यूजर टोकन ट्रेड कर सकता है।
ब्लॉग में पहले समझी गयी विशेषताओं से हम समझ सकते हैं कि DeFi का भविष्य बहुत ही संभावनाओं से भरा है। वर्तमान में DeFi के उपयोग की शुरुआत निम्नलिखित क्षेत्रों में हुई है, जो आगे चलकर और अधिक विकसित होने की सम्भावना है:
DeFi एक बदलाव के आंदोलन की तरह है, बैंकिंग और फाइनेंस को रिडिफाइन कर रहा है। यह बैंकिंग और फाइनेंस की सुविधा को मुट्ठी भर लोगों के हाथ से निकालकर सभी के लिए उपलब्ध करवाने का वादा करता है। हालांकि यह अभी शुरूआती दौर में है इसका यूजर बेस भी छोटा है और अभी DeFi Protocol और यूजर इंटरफ़ेस को लेकर बहुत सारे सुधार की गुंजाईश दिखाई देती है।
यह एक ऐसी सर्विस है जहाँ आप ही अपने एसेट के लिए जिम्मेदार हैं और आप ही उससे कमाए गए धन के पुरे हकदार होते हैं।
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