भारत में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े ट्रांजैक्शन को लेकर निगरानी अब और सख्त होती जा रही है। Bitinning की X पोस्ट के अनुसार, Income Tax Department ने टैक्स चोरी को रोकने के लिए एक खास AI आधारित सिस्टम को एक्टिव कर दिया है। यह टेक्नोलॉजी डिजिटल एसेट्स से होने वाली कमाई पर नजर रखने और अनियमितताओं को पहचानने में मदद कर रही है। सरकार का मकसद साफ है, टैक्स सिस्टम को मजबूत बनाना और छुपी हुई इनकम को सामने लाना।
Income Tax Department ने 2025 की शुरुआत से एडवांस्ड एनालिटिक्स टूल्स का इस्तेमाल शुरू किया। यह सिस्टम अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स से मिलने वाले डेटा को आपस में जोड़कर पैटर्न एनालिसिस करता है। क्रिप्टो एक्सचेंज, बैंक ट्रांजैक्शन और डिजिटल वॉलेट से जुड़ी एक्टिविटीज का मिलान कर संभावित टैक्स मिसमैच को मार्केड किया जा रहा है।
इस प्रोसेस में:
बड़े और बार-बार होने वाले ट्रांजैक्शन पर खास ध्यान रखा जाएगा।
घोषित इनकम और डिजिटल एक्टिविटी की तुलना की जाएगी।
संदिग्ध मूवमेंट को ऑटोमेटेड अलर्ट में बदला जाएगा।
इस तरह के कदम इस प्रोसस में शामिल हैं।
अब तक क्या नतीजे सामने आए
Economic Times की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2025 तक Virtual Digital Assets से जुड़े मामलों में करीब ₹437 करोड़ की टैक्स रिकवरी की जा चुकी है। यह आंकड़ा दिखाता है कि टेक्नोलॉजी पर बेस्ड निगरानी कितनी प्रभावी साबित हो रही है। अधिकारियों का मानना है कि आने वाले महीनों में यह अमाउंट और बढ़ सकता है।
दिसंबर 2025 तक लगभग 44,000 क्रिप्टो ट्रेडर्स Income Tax Department की जांच के दायरे में आ चुके हैं। इनमें ऐसे यूज़र्स शामिल हैं जिन्होंने या तो इनकम सही तरीके से घोषित नहीं की या फिर डिजिटल एसेट्स से हुई कमाई को नजरअंदाज किया।
यह स्थिति बताती है कि:
अब क्रिप्टो ट्रांजैक्शन छुपाना आसान नहीं है।
पुराने रिकॉर्ड्स भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
सिर्फ हाई वैल्यू ट्रेड ही नहीं, बल्कि रेगुलर एक्टिविटी भी ट्रैक हो रही है।
Tax एक्सपर्ट्स लगातार निवेशकों को AIS चेक करने की सलाह दे रहे हैं। यह स्टेटमेंट किसी व्यक्ति की फाइनेंशियल एक्टिविटी का पूरा सार प्रस्तुत करता है। क्रिप्टो से जुड़ी खरीद, बिक्री या ट्रांसफर अगर इसमें दिख रहा है, तो उसे नजरअंदाज करना जोखिम भरा हो सकता है।
AIS में आमतौर पर ये बातें शामिल होती हैं:
डिजिटल एसेट्स से संबंधित एंट्री
एक्सचेंज से प्राप्त जानकारी
संभावित टैक्स लायबिलिटी का संकेत
AI पर बेस्ड निगरानी बढ़ने के बाद क्रिप्टो निवेश अब पहले से ज्यादा सतर्कता और जिम्मेदारी मांगता है। Tax नियमों को नजरअंदाज करना आगे चलकर परेशानी का कारण बन सकता है। नए निवेशकों के लिए यह समझना जरूरी है कि क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल एसेट्स भी टैक्स नियमों के तहत आते हैं। इसलिए हर खरीद, बिक्री और ट्रांसफर का सही रिकॉर्ड रखना बेहद जरूरी है। टैक्स रिटर्न फाइल करते समय सभी जानकारियां ईमानदारी से शामिल करनी चाहिए। अगर नियमों को समझने में दिक्कत हो, तो समय रहते किसी टैक्स या फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह लेना बेहतर रहता है।
पिछले 7 वर्षों के मेरे क्रिप्टो एक्सपीरियंस में मैंने देखा है कि जब भी टेक्नोलॉजी टैक्स सिस्टम से जुड़ती है, कंप्लायंस अनिवार्य हो जाता है। ऐसे में Crypto अब अनदेखा सेक्टर नहीं रहा। जो निवेशक समय रहते ट्रांसपेरेंसी अपनाते हैं, वही लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं।
सरकार इस कदम के जरिए यह साफ संकेत दे रही है कि क्रिप्टो सेक्टर को अनदेखा नहीं किया जाएगा। टेक्नोलॉजी के जरिए ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने का यह प्रयास डिजिटल इकोनॉमी को रेगुलेट करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
भारत में क्रिप्टो से जुड़ा माहौल तेजी से बदल रहा है। AI बेस्ड सिस्टम ने Tax चोरी के रास्ते कठिन बना दिए हैं। आने वाले समय में नियमों का पालन न करने वालों के लिए जोखिम और बढ़ सकता है। ऐसे में निवेशकों के लिए समझदारी, जानकारी और ट्रांसपेरेंसी ही सबसे सुरक्षित रास्ता बनती जा रही है।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल केवल जानकारी देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी को निवेश या टैक्स सलाह न माना जाए। क्रिप्टो निवेश जोखिमों के अधीन है। किसी भी फाइनेंशियल डिसीजन से पहले अपने लेवल पर रिसर्च करें और प्रोफेशनल सलाह अवश्य लें।
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