ED की Report में खुलासा, 2024-2025 में हुए 31 Crypto Frauds
भारत में Crypto Frauds से जुड़ी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। Enforcement Directorate (ED) की हालिया वार्षिक रिपोर्ट ने इस बढ़ते साइबर थ्रेट पर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024-2025 के दौरान 31 क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए, जबकि इसी अवधि में बैंकिंग फ्रॉड के 66 केस रिपोर्ट हुए। यह आंकड़ा दिखाता है कि क्रिप्टो सेक्टर में अपराध की रफ्तार अन्य सभी कैटेगरी से कहीं ज्यादा तेज़ है।

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ED की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साइबरक्राइम का दायरा अब इतना बड़ा हो चुका है कि सुप्रीम कोर्ट को भी इस पर हस्तक्षेप करना पड़ा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जहां भारतीय अपराधी मुख्यतः “डिजिटल अरेस्ट” और सोशल मीडिया ठगी जैसे मामलों में एक्टिव हैं, वहीं चीनी नागरिकों ने क्रिप्टोकरेंसी और लोन ऐप से जुड़े अपराधों में लगभग पूरी तरह से दबदबा बना लिया है।
ED ने इन मामलों में कई जांच शुरू की हैं और अब तक लगभग ₹28,000 करोड़ के “crime proceeds” की पहचान की जा चुकी है। जांच में सामने आया कि चीन से जुड़े गिरोह भारत में NBFCs, Fintech और Shell कंपनियों के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे थे।
ED की जांच ने कुछ चौंकाने वाले कनेक्शन उजागर किए हैं। LoanPro, SmartRupee और FastCredit जैसे “इंस्टेंट लोन” ऐप्स पर जांच में पाया गया कि ये ऐप्स 30-40% प्लेटफॉर्म फीस चार्ज करते थे और केवल 7-15 दिनों की क्रेडिट अवधि देते थे। जब यूज़र पेमेंट नहीं कर पाते थे, तो उनके फोन डेटा को एक्सेस कर ब्लैकमेल और धमकी दी जाती थी, कई मामलों में इससे आत्महत्याएं तक हुईं।
ये सभी ऐप्स चीनी फंडिंग और भारतीय सहयोगियों के जरिए ऑपरेट किए जा रहे थे। इनका पैसा भारतीय और विदेशी पेमेंट गेटवे के माध्यम से ट्रांसफर होता था और फिर क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर चीन भेजा जाता था।
ED ने अपनी रिपोर्ट में दो प्रमुख Crypto Frauds HPZ Token और LOXAM ऐप का जिक्र किया है। HPZ Token एक क्रिप्टो माइनिंग स्कीम थी, जिसमें कम से कम 10 चीनी नागरिकों ने 20 राज्यों में फैले निवेशकों से ₹2,200 करोड़ से अधिक जुटाए। ED ने इस घोटाले का पर्दाफाश करते हुए ₹500 करोड़ से अधिक की रकम को विभिन्न पेमेंट गेटवे से फ्रीज किया।
दूसरी ओर, LOXAM नामक ऐप में निवेशकों को हाई रिटर्न का लालच दिया गया। जांच में सामने आया कि इस स्कीम में दिल्ली के एक मनी चेंजर रोहित विज ने एक चीनी नागरिक की मदद से सिर्फ सात महीनों में ₹903 करोड़ को विदेशी करेंसी में बदलकर बाहर भेजा।
ED की रिपोर्ट यह भी बताती है कि इन ठगी नेटवर्क्स में विदेशी पेमेंट गेटवे की अहम भूमिका रही। कई गेटवे से पूछताछ की जा चुकी है। जांच से खुलासा हुआ कि अपराधी नकली इंपोर्ट ट्रांजेक्शन दिखाकर क्रिप्टो में पैसा कन्वर्ट करते थे और हांगकांग या चीन के खातों में ट्रांसफर कर देते थे। इन मामलों में Shinebay Technologies जैसी कंपनियों का नाम सामने आया, जो लोन ऐप्स और फिनटेक प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए भारत में अवैध रूप से संचालन कर रही थीं।
अपने 13 सालों के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर बतौर लेखक काम करने के अनुभव से खून तो, अगर ED की रिपोर्ट को गहराई से देखा जाए, तो यह केवल फाइनेंशियल क्राइम का मामला नहीं, बल्कि नेशनल डेटा सिक्योरिटी और फाइनेंशियल इंटीग्रिटी का भी सवाल है। Crypto Frauds का पैटर्न दिखाता है कि भारत के डिजिटल फाइनेंस इकोसिस्टम में अभी भी कई कमज़ोरियां हैं। खासकर पेमेंट गेटवे और फिनटेक रेगुलेशन में सख्ती की ज़रूरत है। साथ ही, विदेशी ऐप्स पर तत्काल नियंत्रण और KYC-आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि कोई बाहरी ताकत भारतीय नागरिकों के डेटा और पैसे से खेल न सके।
हालाँकि भारत में समय-समय पर क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े इन अपराध पर लगाम लगाने के लिए सख्त कार्रवाही की जाती रही है, जहाँ हाल ही में CBI ने बड़े Crypto Fraud Syndicate को पकड़ा था।
भारत में Crypto Frauds की बढ़ती घटनाएं यह साबित करती हैं कि क्रिप्टो सेक्टर में ट्रांसपेरेंसी और सुरक्षा को लेकर तुरंत ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। ED की यह रिपोर्ट न केवल ठग नेटवर्क्स के चेहरे उजागर करती है, बल्कि सरकार और नियामक संस्थाओं के लिए चेतावनी भी है। अगर अब भी कड़े साइबर और क्रिप्टो रेगुलेशन नहीं बनाए गए, तो भारत में डिजिटल फाइनेंस का भरोसा कमजोर हो सकता है। Crypto Frauds का यह ट्रेंड बताता है कि क्रिप्टो का भविष्य तभी सुरक्षित है जब कानून, टेक्नोलॉजी और जिम्मेदार उपयोग, तीनों साथ मिलकर काम करें।
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