Web3

भारत का Web3 सेक्टर खतरे में, राज्यसभा सांसद ने नीति बनाने की मांग की

भारत में Web3 और क्रिप्टो से जुड़े नियम साफ न होने से परेशानी बढ़ रही है और यही मुद्दा अब संसद तक पहुँच गया है। राज्यसभा सांसद MP Dr K Laxman ने कहा कि देश की डिजिटल प्रोग्रेस तभी तेज होगी, जब इस क्षेत्र के लिए स्पष्ट नीति बने। उनका कहना है कि नियमों की कमी की वजह से कई भारतीय Web3 Startups अपना काम भारत से बाहर ले जा रहे हैं, जो देश के लिए चिंता की बात है।


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Source: यह इमेज Crypto India की X पोस्ट से ली गई है जिसके लिंक यहां दी गई है।


सांसद ने उठाई बड़ी बात, क्यों जा रहे हैं स्टार्टअप्स विदेश?


डॉ. के. लक्ष्मण ने संसद में बताया कि भारत में 1,000 से ज्यादा Web3 Startups काम कर रहे हैं, जिनमें दुनिया के बड़े लेवल तक पहुँचने की क्षमता है। नासकॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, Web3 Technology 2032 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 1.1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ सकती है और लाखों युवाओं के लिए नए रोजगार पैदा कर सकती है।


लेकिन चर्चा में यह भी सामने आया कि भारत में नियम साफ नहीं होने, टैक्स ज़्यादा होने और कंप्लायंस प्रोसेस मुश्किल होने की वजह से कई स्टार्टअप्स देश छोड़कर दुबई और सिंगापुर जैसे देशों में शिफ्ट हो रहे हैं। इन देशों में Web3 कंपनियों को आसान नियम, बेहतर सपोर्ट और स्थिर माहौल मिलता है, इसलिए भारतीय एन्टरप्रेन्योर वहाँ काम करना ज्यादा सुरक्षित मान रहे हैं।


इंडस्ट्री के नेताओं की रायम, भारत से बाहर जाना मजबूरी बन रहा है


Coindcx CEO Sumit Gupta ने पोस्ट में लिखा कि भारत के Web3 फाउंडर्स का एक बड़ा हिस्सा पॉलिसी अनिश्चितता के कारण अपनी कंपनियों को विदेश में रजिस्टर करवा रहा है। कई युवा एन्टरप्रेन्योर का कहना है कि भारी-भरकम कंप्लायंस कॉस्ट, भारत में 30% टैक्स और TDS नियम के कारण भारत में स्टार्टअप्स के लिए काम करना अब पहले जितना आसान नहीं है।


उन्होंने यह भी बताया कि कई एक्सपर्ट्स भारतीय स्टार्टअप्स को सलाह दे रहे हैं कि वे अपना काम ऐसे देशों से चलाएँ, जहाँ डिजिटल एसेट्स के नियम साफ हों और माहौल स्थिर हो। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि भारत में सिर्फ ऑडिट और कागज़ी काम पर ही 20-30 लाख रुपये तक खर्च हो जाता है। शुरुआत कर रही कंपनियों के लिए यह बहुत बड़ा खर्च है, जिसकी वजह से वे बाहर काम करने का ऑप्शन चुनने लगी हैं।  


2025 में भी क्यों बनी हुई है अनिश्चितता?


2025 में भी भारत ने Web3 और क्रिप्टो के लिए पूरी तरह साफ और मजबूत कानून लागू नहीं किए हैं। सरकार ने FIU-IND के जरिए एक्सचेंजों का रजिस्ट्रेशन और 30% टैक्स जैसे कदम तो उठाए हैं, लेकिन पूरा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क अभी बन नहीं पाया है। इसी वजह से कंपनियों को यह नहीं पता कि आने वाले समय में डिजिटल एसेट्स पर क्या नियम लागू होंगे और उन्हें कैसे काम करना चाहिए।


Chainalysis की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले एक साल में भारत में वेब 3 निवेश में बड़ी गिरावट आई है। एक्सपर्ट्स के अनुसार निवेश में यह कमी स्पष्ट नीति की कमी का नतीजा है। नियम साफ न होने के कारण निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं और सावधानी रख रहे हैं।


Viksit Bharat 2047 के लक्ष्य से जोड़कर देखी जा रही उम्मीदें


भारत Web3 डेवलपमेंट में दुनिया के प्रमुख देशों में गिना जाता है। कई ग्लोबल रिपोर्टों में बताया गया है कि नए Web3 डेवलपर्स में भारत की हिस्सेदारी करीब 17% है। संसद में डॉ. के. लक्ष्मण ने कहा कि यदि देश को “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य तक पहुँचना है, तो डिजिटल टेक्नोलॉजी को मजबूत सपोर्ट देना होगा।


उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार डिजिटल एसेट्स, ब्लॉकचेन, टोकनाइजेशन और Web3 Apps के लिए एक आसान और स्पष्ट नियमों वाला स्ट्रक्चर बनाए। इससे भारतीय एन्टरप्रेन्योर को देश में ही बड़े लेवल पर इनोवेशन करने में मदद मिलेगी।


मेरे 7 साल के Web3 और क्रिप्टो इंडस्ट्री अनुभव में मैंने हमेशा देखा है कि स्पष्ट पॉलिसी इनोवेशन को सबसे तेज गति देती है। भारतीय स्टार्टअप्स में अद्भुत क्षमता है, लेकिन अस्पष्ट नियम उन्हें धीमा कर रहे हैं। यदि सरकार स्थिर और सरल फ्रेमवर्क बनाए, तो इंडिया दुनिया का Web3 इनोवेशन हब बन सकता है।


कन्क्लूजन 


डॉ. के. लक्ष्मण ने सरकार से कहा है कि वेब 3 और डिजिटल एसेट्स के लिए एक स्पष्ट और मजबूत स्ट्रक्चर जल्दी बनाया जाए। उनका मानना है कि अगर भारतीय एन्टरप्रेन्योर को भरोसा और स्थिर माहौल मिले, तो वे दुनिया के लिए बेहतरीन टेक्नोलॉजी इंडिया में ही बना सकते हैं। इंडस्ट्री भी चाहता है कि टैक्स, लाइसेंसिंग और निगरानी से जुड़े नियम आसान और साफ हों।


सरकार सुरक्षा और फाइनेंशियल जोखिमों को लेकर सतर्क है, लेकिन इंडस्ट्री को उम्मीद है कि जल्द ही इस दिशा में बड़े कदम उठाए जाएंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यही समय तय करेगा कि इंडिया डिजिटल अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ेगा या टैलेंट विदेश जाएगा।


डिस्क्लेमर: यह खबर उपलब्ध जानकारी और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के बयानों पर आधारित है। इसमें दिए गए विचार केवल एनालिसिस के उद्देश्य से हैं। यह आर्टिकल निवेश, टैक्स या कानूनी सलाह नहीं है। रीडर्स को किसी भी फाइनेंशियल डिसीजन से पहले अपने अडवाइजर से सलाह लेना चाहिए।

About the Author Akansha Vyas

Crypto Journalist Cryptohindinews.in

आकांक्षा व्यास एक स्किल्ड क्रिप्टो राइटर हैं, जिनके पास 7 वर्षों का अनुभव है और वे ब्लॉकचेन और Web3 के कॉम्पलेक्स टॉपिक्स को सरल और समझने योग्य बनाने में एक्सपर्ट हैं। वे डीप रिसर्च के साथ आर्टिकल्स, ब्लॉग और न्यूज़ लिखती हैं, जिनमें SEO पर विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि रीडर्स का जुड़ाव बढ़ सके। आकांक्षा की राइटिंग क्रिएटिव एक्सप्रेशन और एनालिटिकल अप्रोच का एक बेहतरीन मिश्रण है, जो रीडर्स को जटिल विषयों को स्पष्टता के साथ समझने में मदद करता है। क्रिप्टो स्पेस के प्रति उनकी गहरी रुचि उन्हें इस उद्योग में एक अच्छे राइटर के रूप में स्थापित कर रही है। अपने कंटेंट के माध्यम से, उनका उद्देश्य रीडर्स को क्रिप्टो की तेजी से बदलती दुनिया में गाइड करना है।

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टैक्स, TDS नियम, भारी कंप्लायंस लागत और नीति की अनिश्चितता के कारण कई Web3 स्टार्टअप्स दुबई और सिंगापुर जैसे देशों में शिफ्ट हो रहे हैं।
उन्होंने मांग की कि Web3 और डिजिटल एसेट्स के लिए स्पष्ट और मजबूत नियम बनाए जाएं ताकि भारतीय उद्यमी देश में ही इनोवेशन कर सकें।
अनिश्चित नियम, 30% टैक्स, TDS, जटिल कंप्लायंस और निवेश में गिरावट इस सेक्टर की मुख्य चुनौतियाँ हैं।
NASSCOM के अनुसार Web3 तकनीक 2032 तक भारत की अर्थव्यवस्था में 1.1 ट्रिलियन डॉलर का योगदान दे सकती है।
नहीं, 2025 तक भारत में Web3 और क्रिप्टो के लिए पूर्ण और स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क मौजूद नहीं है।