भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर माहौल भले ही सतर्क दिखता हो, लेकिन पर्दे के पीछे तस्वीर बिल्कुल अलग है। भारतीय इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स अब तेजी से डिजिटल एसेट्स की ओर बढ़ रहे हैं। हालिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2025 में भारत में Institutional Crypto Investments 30 से 50 प्रतिशत एनुअल रेट से बढ़े हैं, जो ग्लोबल एक्सचेंज एवरेज से कहीं आगे है। यह ग्रोथ किसी अचानक आए ट्रेंड का नतीजा नहीं है, बल्कि सोच-समझकर बनाई गई लॉन्ग-टर्म स्ट्रेटेजी को दर्शाती है।
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Crypto में बढ़ते इंटरेस्ट के पीछे भारत के High Net-Worth Individuals (HNIs), फैमिली ऑफिस और कॉरपोरेट इंस्टिट्यूट प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। इन निवेशको ने तेजी से अपने पोर्टफोलियो में डिजिटल एसेट्स को शामिल किया हैं, लेकिन बेहद बैलेंस तरीके से।
मुख्य कारणों में शामिल हैं:
ट्रेडिशनल एसेट्स से अलग रिटर्न की तलाश: भारतीय संस्थागत Investors स्टॉक या बॉन्ड जैसी ट्रेडिशनल एसेट्स से अलग निवेश करके बेहतर रिटर्न की उम्मीद करते हैं।
लॉन्ग टर्म के लिए टेक्नोलॉजी-ड्रिवन वैल्यू क्रिएशन: निवेशक ऐसे डिजिटल एसेट्स चुनते हैं जो भविष्य में टेक्नोलॉजी के आधार पर स्थायी और बढ़ती वैल्यू प्रदान करें।
ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में बदलाव की तैयारी: इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स भविष्य के ग्लोबल फाइनेंशियल बदलावों को ध्यान में रखते हुए पहले से ही Crypto और डिजिटल एसेट्स में पोज़िशन बना रहे हैं।
भारतीय आर्गेनाइजेशन अब जोखिम भरे ऑप्शन्स से दूर बना कर सुरक्षित Crypto Token में निवेश कर रहे हैं। उनका मुख्य रूप से Bitcoin, Ethereum, Solana और Ripple जैसे स्थापित एसेट में इंटरेस्ट बढ़ा हैं। इन टोकन की लिक्विडिटी अच्छी है और दुनिया भर में इन्हें स्वीकार किया जाता है। टोटल इन्वेस्टमेंट का केवल 2 से 5 प्रतिशत ही Crypto में रखा जा रहा है। इससे साफ है कि आर्गेनाइजेशन सोच-समझकर और संतुलित तरीके से निवेश कर रहे हैं, ताकि जोखिम कम रहे।
पहले Crypto Investement ज्यादातर बड़े मेट्रो शहरों तक ही सीमित था, लेकिन अब Tier-2 और Tier-3 शहरों में भी तेजी से बढ़ा है। इसका मतलब है कि जानकारी और प्लेटफॉर्म अब छोटे शहरों तक आसानी से पहुंच रहे हैं। निवेशक अब सिर्फ एक ही एसेट में नहीं, बल्कि अलग-अलग टोकन और उपयोग मामलों में हिस्सेदारी बना रहे हैं। यह दर्शाता है कि Crypto पूरे देश में फैल रहा है और निवेशक ज्यादा समझदारी से डिसीजन ले रहे हैं।
Moneycontrol की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय संस्थागत निवेश ग्रोथ ने कई ग्लोबल बेंचमार्क्स को पीछे छोड़ दिया है। उदाहरण के तौर पर, Binance जैसे बड़े एक्सचेंज ने जहां लगभग 14 प्रतिशत
यूज़र ग्रोथ दर्ज की, वहीं भारत में प्लेटफॉर्म-लेवल एक्टिविटी कहीं तेज हुई।
CoinSwitch पर इंस्टीट्यूशनल पार्टिसिपेशन में 93 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
CoinDCX पर VIP ट्रेडिंग वॉल्यूम में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
Mudrex जैसे प्लेटफॉर्म्स पर संस्थागत एक्टिविटी कुल वॉल्यूम का एक-तिहाई तक पहुंच चुकी है।
Mudrex जैसे भारतीय प्लेटफॉर्म पर संस्थागत निवेश तेजी से बढ़ा है और अब कुल ट्रेडिंग का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बन गया है। इससे दिखता है कि Investors अब डोमेस्टिक प्लेटफॉर्म पर भरोसा करने लगे हैं और भारत में Crypto को अपनाना आसान और सुरक्षित समझ रहे हैं।
2022 के टैक्स नियमों के बाद भी क्रिप्टो के नियम कम्पलीट तरीके से स्पष्ट नहीं हैं। इसके बावजूद कई अनुभवी Investors पीछे नहीं हटते हैं। वे मानते हैं कि अभी निवेश करना भविष्य में फायदे का मौका दे सकता है। यही सोच उन्हें स्मार्ट तरीके से पोज़िशन बनाने पर मजबूर करती है और धीरे-धीरे नियम बनाने वालों पर भी असर डाल सकती है।
7 साल के अनुभव के आधार पर मेरा मानना है कि भारतीय संस्थागत Investors अब केवल ट्रेंड फॉलो नहीं करते हैं। Bitcoin, Ethereum और Solana जैसी एसेट्स में सीमित लेकिन स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टमेंट देश में Crypto को अपनाने और लॉन्ग टर्म के लिए वैल्यू क्रिएशन को बढ़ावा देता है।
भारतीय संस्थान अब डिजिटल एसेट्स में सोच-समझकर और सुरक्षित तरीके से इन्वेस्टमेंट करते हैं। वे सिर्फ भरोसेमंद क्रिप्टो टोकन में ही निवेश करते हैं और हर कदम सोच-समझकर उठा रहे हैं। इससे पता चलता है कि भारत अब सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि तेजी से बढ़ते डिजिटल एसेट मार्केट में एक अहम भूमिका निभाई है। यह ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा और देश की डिजिटल निवेश क्षमता को मजबूत करेगा।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल एजुकेशन और न्यूज़ देने के उद्देश्य के लिए है। इसमें किसी इन्वेस्टमेंट सलाह का इरादा नहीं है। निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से एडवाइज लें। क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्टमेंट जोखिमपूर्ण हो सकता है।
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