RBI Crypto को लेकर सतर्क, जानिए कैसे बनेगा कानून

RBI Crypto को लेकर अभी भी सतर्क, जानिए कैसे बनेगा कानून

हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने साफ कर दिया कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उनका रुख पहले जैसा ही है। उन्होंने कहा, “RBI ने क्रिप्टो को लेकर हमेशा स्पष्ट और सतर्क रुख अपनाया है और हम इसके संभावित जोखिमों को लेकर चिंतित हैं।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत सरकार की एक समिति Cryptocurrency के कानूनी फ्रेमवर्क पर विचार कर रही है।

दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने कहा कि क्रिप्टो पर सीधा बैन ग्लोबल इकोसिस्टम को देखते हुए व्यावहारिक नहीं है। कोर्ट ने सरकार से आग्रह किया कि वह स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क  तैयार करे, जिससे दुरुपयोग की संभावनाएं कम हों और निवेशकों को सुरक्षा मिल सके।

हालाँकि RBI के नए गवर्नर का रुख पूरी तरह से पूर्व गवर्नर शक्तिकान्त दास के रुख की तरह ही नजर आता है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्रिप्टो से जुड़ा कोई कानून आखिर कैसे बनेगा।

 RBI का नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क, तीन स्तंभों पर आधारित

क्रिप्टो पर अपने कड़े रुख के साथ-साथ RBI ने रेगुलेशन-निर्माण की एक नई रूपरेखा भी पेश की है। यह फ्रेमवर्क तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है:

  1. पब्लिक कंसल्टेशन : अब किसी भी नियम को बनाने से पहले जनता और संबंधित स्टेकहोल्डर्स की राय ली जाएगी।
  2. इंपैक्ट एनालिसिस : नियमों का सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी असर मूल्यांकित किया जाएगा।
  3. नियमों की समय-समय पर समीक्षा : टेक्नोलॉजी के बदलते ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए समय पर अपडेट लाना सुनिश्चित किया जाएगा।

इसका उद्देश्य यह है कि भारत की रेगुलेटरी प्रोसेस डायनामिक रहे और हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार हो।

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यूज़र्स की उम्मीदें, ट्रांसपेरेंसी, सिक्योरिटी और टैक्स राहत

देश के करोड़ों क्रिप्टो यूज़र्स इस संभावित कानून से कई उम्मीदें लगाए बैठे हैं जिनमें शामिल है:

  • क्लियर रेगुलेशन: यूज़र्स चाहते हैं कि यह साफ हो कि कौन सी क्रिप्टो वैध है, कौन-से एक्सचेंज मान्यता प्राप्त हैं और क्या माइनिंग, NFT ट्रेडिंग, या स्टेकिंग भारत में लीगल होंगी।
  • टैक्स स्ट्रक्चर में राहत: फिलहाल 30% टैक्स और 1% TDS के नियम भारी पड़ रहे हैं। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट पर टैक्स में छूट और TDS को कम करने की मांग लगातार उठ रही है।
  • सुरक्षा फ्रेमवर्क: WazirX जैसे हैक मामलों से सबक लेते हुए यूज़र्स को निवेश सुरक्षा की आवश्यकता है, जैसे क्रिप्टो होल्डिंग्स के लिए बीमा, ग्रिवेंस रिड्रेसल प्लेटफॉर्म और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ऑडिट की अनिवार्यता।
 भारत का रास्ता,  अंतरराष्ट्रीय मॉडल से सीखने की जरूरत

सरकार अगर कानून बनाती है तो यह अपेक्षा की जा रही है कि वह अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे देशों के नियमों से प्रेरणा ले:

  • FATF गाइडलाइंस को अपनाना
  • AML/KYC प्रक्रिया को सशक्त बनाना लेकिन सरल बनाना
  • Web3 स्टार्टअप्स को सैंडबॉक्स मॉडल में अवसर देना

इससे भारत ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन बन सकता है और भारतीय क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स को इंटरनेशनल मार्केट में प्रवेश करने में मदद मिलेगी।

कन्क्लूजन 

हमारी राय में कानून ऐसा होना चाहिए जो RBI की चिंता और इनोवेशन की जरूरत, दोनों का संतुलन बनाए

भारत में क्रिप्टो रेगुलेशन बनाना आसान नहीं है, क्योंकि एक ओर RBI Crypto से जुड़ी वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक नीति पर खतरे को लेकर सतर्क है, तो वहीं दूसरी ओर यूज़र्स और स्टार्टअप्स इनोवेशन की स्वतंत्रता चाहते हैं। ऐसे में Cryptocurrency India Law को लेकर काफी गंभीरता से विचार होना चाहिए।

हमारा मानना है कि भारत को डुअल फ्रेमवर्क अपनाना चाहिए, एक सरकारी डिजिटल करेंसी (CBDC) के लिए और दूसरा क्रिप्टो जैसे डिसेंट्रलाइज्ड एसेट्स के लिए। नया कानून RBI की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सख्त KYC/AML गाइडलाइंस, टैक्स स्ट्रक्चर में सुधार और सुरक्षा उपायों को लागू करे, साथ ही Web3 इनोवेशन को भी बढ़ावा दे।

अगर ऐसा संतुलन बनता है, तो भारत ग्लोबल क्रिप्टो पॉलिसी में लीडर बन सकता है, एक ऐसा देश जो टेक्नोलॉजी को अपनाता है, लेकिन बिना किसी आर्थिक जोखिम के।

About the Author Rohit Tripathi

Crypto Journalist Cryptohindinews.in

रोहित त्रिपाठी एक सीनियर क्रिप्टो कंटेंट राइटर और ब्लॉकचेन रिसर्चर हैं, जिनके पास टेक्नोलॉजी और डिजिटल मीडिया में 13+ वर्षों का अनुभव है। बीते कुछ वर्षों से वह विशेष रूप से क्रिप्टोकरेंसी, ऑन-चेन एनालिटिक्स, DeFi इकोसिस्टम और टोकनॉमिक्स जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित हैं। रोहित की विशेषज्ञता SEO-अनुकूल, डेटा-ड्रिवन कंटेंट और इंडस्ट्री-केंद्रित रिसर्च लेख तैयार करने में है। वह वर्तमान में Crypto Hindi News में टीम लीड और हेड ऑफ कंटेंट के रूप में कार्यरत हैं। उनकी लेखनी में एक्यूरेसी, ट्रांसपेरेंसी और रीडर्स को वैल्यू देना सर्वोपरि है। वे ऑन-चेन टूल्स और विश्वसनीय मार्केट डेटा का प्रयोग करते हुए प्रत्येक लेख को फैक्ट-आधारित बनाते हैं। हिंदी भाषी रीडर्स के लिए उनका मिशन है: “हाई-क्वालिटी, फैक्चुअल और यूज़र-फर्स्ट क्रिप्टो कंटेंट उपलब्ध कराना।”

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