हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने साफ कर दिया कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उनका रुख पहले जैसा ही है। उन्होंने कहा, “RBI ने क्रिप्टो को लेकर हमेशा स्पष्ट और सतर्क रुख अपनाया है और हम इसके संभावित जोखिमों को लेकर चिंतित हैं।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत सरकार की एक समिति Cryptocurrency के कानूनी फ्रेमवर्क पर विचार कर रही है।
दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने कहा कि क्रिप्टो पर सीधा बैन ग्लोबल इकोसिस्टम को देखते हुए व्यावहारिक नहीं है। कोर्ट ने सरकार से आग्रह किया कि वह स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करे, जिससे दुरुपयोग की संभावनाएं कम हों और निवेशकों को सुरक्षा मिल सके।
हालाँकि RBI के नए गवर्नर का रुख पूरी तरह से पूर्व गवर्नर शक्तिकान्त दास के रुख की तरह ही नजर आता है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्रिप्टो से जुड़ा कोई कानून आखिर कैसे बनेगा।
क्रिप्टो पर अपने कड़े रुख के साथ-साथ RBI ने रेगुलेशन-निर्माण की एक नई रूपरेखा भी पेश की है। यह फ्रेमवर्क तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है:
इसका उद्देश्य यह है कि भारत की रेगुलेटरी प्रोसेस डायनामिक रहे और हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार हो।
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देश के करोड़ों क्रिप्टो यूज़र्स इस संभावित कानून से कई उम्मीदें लगाए बैठे हैं जिनमें शामिल है:
सरकार अगर कानून बनाती है तो यह अपेक्षा की जा रही है कि वह अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे देशों के नियमों से प्रेरणा ले:
इससे भारत ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन बन सकता है और भारतीय क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स को इंटरनेशनल मार्केट में प्रवेश करने में मदद मिलेगी।
हमारी राय में कानून ऐसा होना चाहिए जो RBI की चिंता और इनोवेशन की जरूरत, दोनों का संतुलन बनाए
भारत में क्रिप्टो रेगुलेशन बनाना आसान नहीं है, क्योंकि एक ओर RBI Crypto से जुड़ी वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक नीति पर खतरे को लेकर सतर्क है, तो वहीं दूसरी ओर यूज़र्स और स्टार्टअप्स इनोवेशन की स्वतंत्रता चाहते हैं। ऐसे में Cryptocurrency India Law को लेकर काफी गंभीरता से विचार होना चाहिए।
हमारा मानना है कि भारत को डुअल फ्रेमवर्क अपनाना चाहिए, एक सरकारी डिजिटल करेंसी (CBDC) के लिए और दूसरा क्रिप्टो जैसे डिसेंट्रलाइज्ड एसेट्स के लिए। नया कानून RBI की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सख्त KYC/AML गाइडलाइंस, टैक्स स्ट्रक्चर में सुधार और सुरक्षा उपायों को लागू करे, साथ ही Web3 इनोवेशन को भी बढ़ावा दे।
अगर ऐसा संतुलन बनता है, तो भारत ग्लोबल क्रिप्टो पॉलिसी में लीडर बन सकता है, एक ऐसा देश जो टेक्नोलॉजी को अपनाता है, लेकिन बिना किसी आर्थिक जोखिम के।
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